कर्नाटक में आरक्षण के मुद्दे पर गलत सूचनाएं फैला रही भाजपा : कांग्रेस
Reservation issues in Karnataka : कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों को आरक्षण देने के मुद्दे पर गलत सूचनाएं फैला रही है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह रेखांकित करने के लिए 30 साल का एक घटनाक्रम भी प्रस्तुत किया कि कर्नाटक में पिछड़े वर्गों का वर्गीकरण 1994 में किया गया था और यह आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं है। भाजपा का आरोप है कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने मुस्लिम आरक्षण को उचित ठहराने के साथ कहा है कि इसके लिए संविधान में बदलाव भी किया जा सकता है। हालांकि शिवकुमार ने भाजपा के आरोपों को खारिज किया है।
रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 2015 में 50 लाख रुपए तक के सिविल कार्य अनुबंधों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) को 24 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कर्नाटक विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया था। यह विधेयक 2017 में कानून के रूप में लागू किया गया था। 20 दिसंबर 2019 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सिविल कार्य अनुबंधों में आरक्षण को बरकरार रखा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जुलाई 2023 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 50 लाख रुपए की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया। उन्होंने कहा, जून 2024 में सिविल कार्य अनुबंधों में यह आरक्षण श्रेणी 1 यानी सबसे पिछड़े (4 प्रतिशत) और श्रेणी 1ए यानी सापेक्ष रूप से (बौद्ध शामिल हैं) से संबंधित ओबीसी ठेकेदारों के लिए बढ़ा दिया गया था।
रमेश ने कहा, मार्च 2025 में सिविल कार्य अनुबंधों में आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए कर दिया गया था, जो निम्नानुसार लागू है : एससी/एसटी के लिए 24 प्रतिशत, श्रेणी 1 से संबंधित ओबीसी ठेकेदारों के लिए चार प्रतिशत और श्रेणी 2ए से संबंधित ओबीसी ठेकेदारों के लिए 15 प्रतिशत, श्रेणी 2बी से संबंधित ओबीसी ठेकेदारों के लिए 4 प्रतिशत।
रमेश ने कहा कि कर्नाटक में पिछड़े वर्गों का वर्गीकरण सितंबर 1994 में किया गया था, जिसके तहत शैक्षिक और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का सर्वेक्षण करने के बाद मुस्लिम जातियों को श्रेणी 2बी के तहत सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा, आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर है। यह राज्य में कांग्रेस, भाजपा और जद (एस) सरकारों में जारी रहा है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour