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Last Updated : सोमवार, 30 दिसंबर 2024 (12:52 IST)

नव वर्ष 2025 पर विशेष आलेख : नया साल, मोदी और तमाम चुनौतियों का सामना

modi
हर वर्ष नया साल नई उम्मीदें लेकर आता है और लोगों के लिए नए लक्ष्य लेकर आता है। नया साल जो कार्य पिछले साल में अधूरे रह गए थे उन कार्यों को नई ऊर्जा से पूर्ण करने की प्रेरणा और आधार देता है। नए साल में हर व्यक्ति को नए अहसास के साथ अपने अधूरे कार्यों को पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए और अपने लिए नए लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए व नई सोच के साथ उन लक्ष्यों को साकार करने का प्रण लेना चाहिए। नया वर्ष हर व्यक्ति के लिए बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है।

यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिए योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिए नए लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए, जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके।
 
पूरे विश्व का माहौल हर वर्ष नए साल पर खुशनुमा होता है, हर देश में अपने-अपने तरीके से अंग्रेजी नववर्ष का स्वागत किया जाता है। भारत देश में बात की जाए तो यहां पर भारतीय काल गणना के अनुसार पारंपरिक नया साल (नव विक्रम संवत) होता है जिसकी शुरुआत चैत्र महीने से होती है- उसी के अनुसार भारत में प्रमुख त्योहारों के समय का निर्धारण होता है।ALSO READ: भारतीय राजनीति में मनमोहन सिंह से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और पीएम मोदी की चुप्‍पी के मायने?

भारतीय संस्कृति में नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से माना जाता है, लेकिन पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध व विश्वव्यापी अंग्रेजी कलेंडर की मान्यता के चलते भारतीय नव विक्रम संवत मनाने की परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। 
 
भारत में शादी-विवाह, विभिन्न धार्मिक आयोजनों और अन्य प्रमुख कार्यों का मुहूर्त भी हिन्दू नवसंवत्सर (नव विक्रम संवत) के अनुसार ही निकाला जाता है। भारत देश में अंग्रेजी नववर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पिछले कुछ दशकों से भारत देश में भी अंग्रेजी नववर्ष को अंग्रेजों की भांति मनाया जाने लगा था। जिसमें कि जगह-जगह शराब पार्टियों का आयोजन होना, अश्लील नृत्य पार्टी का आयोजन शामिल था। लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत देश में भी अंग्रेजी नववर्ष मनाने का स्वरूप बदला है, आज की कुछ युवा पीढ़ी अंग्रेजी नववर्ष का स्वागत मंदिरों में पूजा-पाठ और घरों में धार्मिक आयोजन कर कर रही है जो कि भारतीय संस्कृति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। 
 
अंग्रेजी नववर्ष में पूजा-पाठ या धार्मिक आयोजनों या जगह-जगह पर भंडारों के आयोजित होने से दुनिया के बाकी समुदाय भी भारतीय संस्कृति की तरफ आकर्षित हो रहे है। इसी तरह से भारत के लोग अपनी संस्कृति को सहेज कर रखेंगे तो निश्चित ही आने वाले समय में भारतवर्ष का बोलबाला होगा और भारत देश जगद्गुरु के सिंहासन पर काबिज होगा। अंग्रेजी नव वर्ष का स्वागत हम लोग करते ही है और करना भी चाहिए लेकिन इसी तरह धूमधाम से हमें अपने पारंपरिक नए साल (नव विक्रम संवत) को भी मनाना नहीं भूलना चाहिए। 
 
एक हद तक भारत देश के लोगों में अपने पारंपरिक नववर्ष (नव विक्रम संवत) के लिए जागरूकता बढ़ने लगी है लेकिन इस पर अभी और काम होना बाकी है।

आज हमें अंग्रेजी नववर्ष को मनाने की जो पाश्चात्य संस्कृति थी उसमें बदलाव कर अपने भारतीय परिवेश में बदलना होगा, तभी हमारी संस्कृति का पूरे विश्व में बोलबाला होगा। हमारे देश के प्रमुख संगठनों, धार्मिक गुरुओं और सरकार को इसके लिए और कदम उठाने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों में उक्त सभी ने भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के लिए काफी काम किया है, तभी भारतीय लोगों में राष्ट्रीयता का संचार हुआ है।
 
भारत सरकार और देश के सभी राज्यों की सरकारों को इस नव वर्ष में देश के सभी नागरिकों के भले के लिए योजनाएं बनानी चाहिए, जिसमें शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं का महत्वपूर्ण स्थान होना चाहिए। नरेन्द्र मोदी सरकार इस समय देश में बहुत सारी जनहितकारी योजनाएं चला रही है लेकिन शिक्षा, चिकित्सा और बेरोजगारी पर अभी बहुत काम होना बाकी है।ALSO READ: एक साथ चुनाव की ओर अग्रसर हुआ देश

देश की मोदी सरकार और सभी राज्य की सरकारों को देश को शिक्षा माफिया, चिकित्सा माफिया और भ्रष्टाचार की जड़ों को खत्म करने का अभियान चलाना चाहिए जिससे कि देश में राम राज्य की स्थापना हो सके और लोगों तक मुफ्त में नहीं सस्ते में इन सुविधाओं की पहुंच हो सके। भारत के लोगों को मुफ्त में सुविधाओं की जरूरत नहीं है, बल्कि सस्ते दामों में भारत की सरकारों को ये सुविधायें देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचानी चाहिए, तभी देश में अंत्योदय का सपना साकार होगा। भारतीय लोग मुफ्त की योजनाओं की जगह आत्मनिर्भर बनकर भारतीय झंडा गाड़ना चाहते हैं।
 
पिछले दस सालों में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनेक नई शुरुआतें की गईं हैं तथा कई महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की गई हैं। जिनका लाभ भी आम लोगों को मिला है लेकिन अभी भी मोदी सरकार को अपनी बहुत सारी योजनाओं को उनकी परिणति तक पहुंचाना होगा और अच्छे परिणाम देने होंगे। जिससे देश के हर व्यक्ति तक विकास पहुंच सके। नरेंद्र मोदी सरकार को शासन को सभी स्तरों पर कुशल, पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल बनाना होगा। जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत रूप से प्रयासरत हैं। 
 
वर्ष 2025 में मोदी सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित करनी होगी और जातिगत भेदभाव को जमीनी स्तर से खत्म करने की लोगों में अलख जगानी होगी। इसके अलावा देश में मोदी सरकार को ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग को देश से समाप्त करने की पहल करनी चाहिए, क्योंकि ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग- गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का शोषण करने का माध्यम बन गया है। ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग के तहत जो लोग कार्य करते हैं उनसे लगातार वसूली की जाती है, जिसमें सरकारी तंत्र के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल है। सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र में ठेकेदारी प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगानी चाहिए। 
 
कहा जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र को उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तहेदिल से और एकाग्रचित होकर प्रयास करना होगा। जो कि उनके हर प्रयास में दिखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वर्ष 2025 में अनेक उपलब्धियां गढ़ने का अवसर है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संपूर्ण देश का नागरिक एक सशक्त, एकजुट एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती। 
 
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्षों में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएं भी पाई हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए। बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिए रणनीति बनानी चाहिए। जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)