भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में तमाम राजनीतिक दल जीत के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं। ऐसे में बसपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने दावा किया है कि राज्य में इस बार उनकी पार्टी अपने 34 साल के इतिहास का सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए कम से कम 32 सीटें जीतेगी और सत्ता की चाबी बसपा के पास रहेगी।
मध्यप्रदेश बसपा अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने बातचीत में राज्य में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत न मिलने की भविष्यवाणी के साथ ही अपनी पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताते कहा कि हम कम से कम 32 सीटों पर जीत दर्ज करेंगे और सत्ता की चाबी बसपा के पास रहेगी। कुल मिलाकर 75 सीटों पर हमारी स्थिति पहले से बहुत अच्छी है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में बसपा ने राज्य विधानसभा चुनाव में 2 सीटें जीती थीं, 2008 में 7 और 2013 में 4 सीटें जीती थीं। इस बार प्रदेश में 15 साल से सत्ता पर काबित भाजपा के खिलाफ जबरदस्त सत्ताविरोधी लहर एवं दलित एकता के चलते हम अच्छी जीत की स्थिति में हैं।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में 1 सीट लेने वाला निर्दलीय भी कभी-कभी मुख्यमंत्री बन जाता है। मैं तो कम से कम 32 सीटों पर बसपा की जीत की उम्मीद के साथ आपको यह बता रहा हूं। हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश की सत्ता की धुरी बहनजी (बसपा सुप्रीमो मायावती) के आजू-बाजू रहे, लेकिन यह तय है कि खंडित जनादेश आने पर हम भाजपा को समर्थन नहीं करेंगे।
उन्होंने बताया कि पिछले चुनाव में प्रदेश के 5 जिलों मुरैना, रीवा, सतना, दतिया एवं ग्वालियर में बसपा का दबदबा था। इस बार भी इन जिलों की कुछ सीटों से हम जीतेंगे। इसके अलावा छतरपुर, पन्ना, शिवपुरी, श्योपुर, दमोह, कटनी, बालाघाट एवं सिंगरौली जिलों में भी पार्टी का खाता खुलने की पूरी उम्मीद है।
वर्ष 2008 के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 8.97 प्रतिशत रहा था, जो 2013 में करीब ढाई प्रतिशत गिरकर 6.29 प्रतिशत रह गया। अहिरवार ने इस बार पार्टी को 10 प्रतिशत से अधिक वोट मिलने का दावा किया। इसकी वजह स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि फिलहाल माहौल अलग है। दलित वर्ग अपने अधिकारों के प्रति पहले से ज्यादा जागरूक है और अपनी स्थिति बेहतर बनाने के लिए वे बसपा पर भरोसा करेंगे। राज्य में पिछले वर्ष के किसान आंदोलन के खिलाफ भाजपा सरकार ने जो कदम उठाए थे, उसकी वजह से किसान भी इस सरकार के खिलाफ हैं।
प्रदेश में जबर्दस्त सत्ताविरोधी लहर का दावा करते हुए अहिरवार ने कहा कि पिछले 13 साल से राज्य के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान और भाजपा सरकार की हालत खराब है। चौहान 2 सीटों से चुनाव लड़ने वाले हैं। चौहान जिस बुधनी विधानसभा सीट से जीतते हैं, वहां वे मतदाताओं की नाराजगी के चलते चुनाव सभा तक नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम पहली बार मध्यप्रदेश में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ना ही पार्टी का इतिहास रहा है। (भाषा)