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ऐ माँ...!
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महेंद्र तिवारी आँचल में तेरे मुस्कुराता जीवनतुझसे महकता सृष्टि का उपवन।जहाँ में तेरा नहीं कोई सानी फानी दुनिया तुझे नहीं पहचानी।ईश्वर से बड़ा दर्जा तेरातुझसे जिंदा है वजूद मेरा।पता होता तू रूठ जाएगीअकेला मुझे यूँ छोड़ जाएगी।..
तो नहीं करता तुझे नाराजदेखना न पड़ते दिन ये आज।नहीं बनती जिंदगी जहरन टूटता मुझ पर ये कहर।काश! सुन लेता मालिक मेरा रोना..
तो आबाद होता अपना भी अँगना।तुझसे नहीं मुझे कोई गिलास्वर्ग-सा सुख तेरी गोद में मिलातेरी रहमत ने कर दिया निहालकैसे दूँ तुम्हारी ममता की मिसाल।