• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. महात्मा गांधी
  4. mahatma gandhi movements
Written By

Gandhi Jayanti 2023: जानिए महात्मा गांधी के 6 प्रमुख आंदोलन के बारे में

mahatma gandhi movements
mahatma gandhi movements
2 अक्टूबर 2023 को भारत में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जाएगी। भारत को 200 वर्षों की ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी दिलाने के लिए गांधीजी ने एक एहम रोल निभाया। इस आज़ादी की लड़ाई के लिए गांधीजी ने कई ऐसे आंदोलन छेड़े जिन्होंने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया। सत्य और अहिंसा के प्रति गांधीजी ने ऐसे कई कदम उठाए जिन्हें आज भी याद किया जाता है। चलिए जानते हैं इन आंदोलन के बारे में...
 
1. चंपारण सत्याग्रह 1917
चंपारण आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में गांधीजी ने साल 1971 को शुरू किया था। आपको बता दें कि चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था। इस आंदोलन के ज़रिए गांधीजी ने लोगों के अंदर के ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विरोध को सत्याग्रह में बदलने की कोशिश की थी।
 
2. असहयोग आंदोलन 1920
गांधीजी का मानना था कि ब्रिटिश सरकार के हाथों से लोगों को उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेने की योजना बनाई। इस आंदोलन के ज़रिए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जाग्रति मिली। 
mahatma gandhi movements
3. नमक सत्याग्रह 1930
महात्मा गांधी के सभी आंदोलन में से नमक सत्याग्रह एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। गांधीजी ने 12 मार्च 1930 में अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम में इस सत्याग्रह को शुरू किया था। इस सत्याग्रह में गांधीजी ने दांडी गांव तक 24 दिनों तक सत्याग्रह मार्च निकाला था।
 
4. दलित आंदोलन 1933
गांधी जी ने 8 मई 1933 को छुआछूत के विरोध में दलित आंदोलन की शुरुआत की थी। साथ ही गांधीजी ने 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना भी की थी। 
 
5. भारत छोड़ो आंदोलन 1942
गांधीजी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन की शुरुआत ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने के लिए की गई थी। इसके साथ ही एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ''करो या मरो'' आरंभ करने का निर्णय लिया। 
 
6. खेड़ा आंदोलन 1918
जब गुजरात के गांव खेड़ा में बाढ़ आ गई थी तो स्थानीय किसानों ने शासकों से कर माफ करने की अपील की थी। यहां गांधीजी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जहां किसानों ने टैक्स का भुगतान न करने का संकल्प लिया। इस कारण से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्त होने तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों में ढील दी।