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Last Updated : मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019 (17:59 IST)

आखिर नरेंद्र मोदी क्यों पसंद करते हैं महात्मा गांधी को?

आखिर नरेंद्र मोदी क्यों पसंद करते हैं महात्मा गांधी को? | Gandhi Jayanti 150th Birth Anniversary
देश का एक वर्ग महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को लेकर असमंजस की स्थित में है। इस सबके बीच आखिर महात्मा गांधी को पीएम नरेन्द्र मोदी क्यों पसंद करते हैं? उनके हर भाषण में महात्मा गांधी क्यों होते हैं? महात्मा गांधी को मोदीजी इसलिए पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि वे गुजराती हैं। उनकी पसंद के कई कारण हो सकते हैं। उनमें से कुछ कारण को हम यहां जानते हैं।
 
 
1. आजादी को बनाया जन आंदोलन : हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी का सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि उन्होंने पहली बार देश की आजादी को जन-आंदोलन में बदल दिया था, वर्ना उसके पहले तो लोग कहीं-कहीं समूह में ही विरोध करते थे और आजादी का संदेश जन-जन तक नहीं पहुंचा था।
 
पीएम मोदी ने कहा था, 'गांधीजी के व्यक्तित्व की सबसे खूबसूरत बात यह थी कि उन्होंने हर भारतीय को एहसास दिलाया था कि वे भारत की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अध्यापक, वकील, चिकित्सक, किसान, मजदूर, उद्यमी आदि सभी में आत्मविश्वास की भावना भर दी थी कि जो कुछ भी वे कर रहे हैं, उसी से वे स्वाधीनता संग्राम में योगदान दे रहे हैं।'
 
 
2. स्वच्छ भारत : यह गांधी की ही सोच थी कि देश को स्वच्छ किया जाए, क्योंकि यह बात गांधीजी अच्छी तरह जानते थे कि स्वच्छ भारत ही गरीबी और रोग से मुक्त हो पाएगा। यही कारण था कि जब नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए तो उन्होंने सबसे पहले स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। 2 अक्टूबर 2014 को देशभर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई थी, जो अब लगभग सफलता की ओर अग्रसर है।
 
पीएम मोदी ने कहा, 'पिछले 4 वर्षों में स्वच्छ भारत अभियान के जरिए 130 करोड़ भारतीयों ने महात्मा गांधी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। हर भारतीय के कठोर परिश्रम के कारण यह अभियान आज एक ऐसे जीवंत जन आंदोलन में बदल चुका है।
 
 
3. जनभागीदारी से सफल होते कार्य : महात्मा गांधी मानते थे कि देश की सभी समस्याओं का समाधान तभी हो सकता है जबकि देश की जनता का उसमें योगदान हो। गांधीजी ने ही जनभागीदारी की बात कही थी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने गांधीजी के इस मंत्र को अपनाया और जनभागीदारी से जहां स्वच्छता मिशन को सफल बनाया, वहीं उन्होंने देश की अन्य कई सरकारी योजनाओं को भी सफल रूप से लागू किया है।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'बीते पांच सालों में हमने जनभागीदारी को प्राथमिकता दी है। चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो या डिजिटल इंडिया हो, जनता अब इन अभियानों का नेतृत्व खुद कर रही है।' पीएम मोदी कहते हैं कि वर्तमान में भारत की सबसे बड़ी नीति है- जनभागीदारी। सबका साथ-सबका विकास सभी संभव हो सकता है।
 
 
4. पर्यावरण में सहयोगी गांधी के विचार : नरेन्द्र मोदी हमेशा ग्लोबल वॉर्मिंग और आतंकवाद की बात करते रहे हैं। नरेन्द्र मोदी को भी महात्मा गांधी की तरह पर्यावरण की चिंता सताती रहती है। पीएम कहते हैं कि महात्मा गांधी ने भारत को सही अर्थों में सिद्धांत और व्यवहार से जोड़ा था। 21वीं सदी में भी महात्मा गांधी के विचार उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे और वे ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं जिनका सामना आज विश्व कर रहा है।'
 
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था, 'महात्मा गांधी ने एक सदी से भी अधिक पहले मानव की आवश्यकता और उसके लालच के बीच अंतर स्पष्ट किया था। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा दोनों के पालन की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल पेश की थी। वे अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और आसपास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे। गांधीजी यह सुनिश्चित करते थे कि पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में उन्होंने इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में न मिले।'
 
 
5. आतंकवाद की समस्या : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर के अवसर पर कई अखबारों के लिए लिखे अपने लेख में पीएम मोदी ने कहा, 'एक ऐसी दुनिया में, जहां आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है, वहां शांति और अहिंसा के महात्मा गांधी के स्पष्ट आह्वान में मानवता को एकजुट करने की शक्ति है। ऐसे युग में जहां असमानताएं होना स्वाभाविक है, बापू का समानता और समावेशी विकास का सिद्धांत विकास के आखिरी पायदान पर रह रहे लाखों लोगों के लिए समृद्धि के एक नए युग का सूत्रपात कर सकता है।'
 
मोदी ने अपने संयुक्त राष्ट्र संघ के हाल के ही भाषण की शुरुआत राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए की थी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए गौरव का अवसर है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संबोधित कर रहा हूं। यह अवसर इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। उनका सत्य और अहिंसा का संदेश आज भी दुनिया के लिए प्रासंगिक है।
 
 
6. गरीब की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझना : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबी और गरीब के लिए बहुत सी कार्ययोजनाओं का प्रारंभ किया है। उन्होंने हर गांव में बिजली पहुंचाने और हर घर में गैस कनेक्शन को पहुंचाने का लक्ष्य लगभग पूरा कर लिया है। मोदी कहते हैं कि 'वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाणे रे' यह बापूजी की सबसे प्रिय पंक्तियों में से एक थी। यही वह भावना थी जिसने उन्हें दूसरों के लिए जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। हम 130 करोड़ भारतीय आज उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो बापू ने देश के लिए देखे और जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया था।'
 
 
7. दुनिया के कई लोगों की प्रेरणा महात्मा गांधी : पीएम मोदी मानते हैं कि महात्मा गांधी ही ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने आजादी को हासिल करने के लिए अहिंसक मार्ग को अपनाया, जो कि दुनिया में सबसे पहला, अनूठा और प्रेरणादायी उदाहरण था। उसी से प्रेरित होकर नेल्सल मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने भी अपने-अपने आंदोलन चलाए। दरअसल, महात्मा गांधी एक संत थे और संत रहते हुए उन्हें वह कार्य भी करना था, जो कि एक देश के नागरिक की जिम्मेदारी थी।
 
उनके सामने दो रास्ते थे या तो वे किसी आश्रम में रहकर ध्यान वगैरह करने चले जाते या धर्म की बातें छोड़कर पूर्णत: देश की आजादी के लिए समर्पित हो जाते। लेकिन महात्मा गांधी ने एक तीसरा रास्ता अपनाया, उन्होंने धर्म को साधते हुए आजादी के आंदोलन का कार्य किया। यह उनका सत्य के साथ प्रयोग करना था। धर्म साधने के लिए उन्हें उपवास तो करना ही था और उन्होंने उपवास को ही अपना हथियार बना लिया। ऐसे कई प्रयोग उन्होंने किए जिसे 'एक पंथ दो काज' कह सकते हैं।