सागर के शिवप्रसाद के सीरियल किलर बनने की पूरी कहानी
भोपाल। मध्यप्रदेश के सागर के सीरियल किलर शिवप्रसाद से पुलिस पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए है। पुलिस पूछताछ में आरोपी शिवप्रसाद ने बताया कि वह एक्शन थ्रिलर फिल्म KGF-2 की रॉकी से बहुत प्रभावित था और चौकीदारों की हत्या के बाद वह पुलिसकर्मियों की हत्या कर बड़ा गैंगेस्टर बनना चाह रहा था। सागर पुलिस के मुताबिक आरोपी शिवप्रसाद फिल्मों और वेब सीरिज के निगेटिव किरदारों से बहुत प्रभावित था और इनके किरदारों से प्रभावित होकर हत्या की घटनाओं को अंजाम दे रहा था।
सागर आइजी अनुराग के मुताबिक साइको आरोपी शिवप्रसाद ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि वह नकारात्मक प्रसिद्ध पाने और पैसे लूटने के लिए अकेले चौकीदारों को अपना निशाना बनाता था। पूछताछ में उसने बताया कि चौकीदारों की हत्या करने के बाद उसकी आगे पुलिसकर्मियों को भी निशाना बनाने की योजना था।
ऐसे में सवाल यह उठाता है कि फिल्में और वेब सीरिज हमारे समाज की मनोदशा को किस ढंग से प्रभावित कर रही है और इसको कैसे रोका जा सकता है,यह भी समझना जरूरी है।
क्या होती है सीरियल किलर की मानसिकता?-सागर के सीरियल किलर शिवप्रसाद के परिजनों के मुताबिक शिवप्रसाद काफी लंबे समय बाद रक्षा बंधन पर परिवार में लौटा था और घर लौटने पर उसने अपनी मां से कहा था कि बहुत जल्द वह फेमस हो जाएगा और लोग उसे जनाने लगेंगे। इसके बाद आरोपी ने अपने गांव से सागर तक की दूरी साइकिल से तय की और इसके बाद एक के बाद एक हत्या की वारदता को अंजाम देना शुरु कर दिया।
जाने मानें मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते है कि अगर मानसिकता की बात करें तो ऐसे लोग किसी भी तरह से प्रसिद्धि प्राप्त करना चाहते है इसके लिए वो लोगों के ध्यान में आने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम देते है। ऐसे व्यक्ति वास्तव में हताश, निराश और कुंठित होते है और यह रातों-रात फेमस होने के लिए एक जुनून के साथ किसी कार्य को करते है।
शुरुआती जीवन में कंडक्ट डिसऑर्डर के शिकार-सागर के सीरियल किलर शिवप्रसाद के परिजनों के मुताबिक शिवप्रसाद बचपन से हिंसक प्रवृत्ति का था और गांव में लोगों के साथ झगड़े और मारपीट की घटनाओं के बाद वह पैंसे कमाने बाहर चला गया था। मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऐसे लोग अपने शुरूआती जीवन यानि बचपन में कंडक्टर डिसऑर्डर के शिकार होते है। कंडक्ट डिसऑर्डर में बच्चा ऐसे व्यवहार को बार-बार दोहराता जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचता हो। वहीं साथ के बच्चों को दिक्कत महसूस होती हो जैसे साथियों को धमकाना, मारना, चिढ़ाना, चोरी करना आदि कंडक्ट डिसऑर्डर की समस्या है। बच्चे का आक्रमक व्यवहार, हिंसात्मक स्वभाव, गुस्सा होना, उत्तेजित होना, बार-बार झूठ बोलना आदि कंडक्ट डिसऑर्डर के प्रमुख लक्षण है।
फिल्मों और वेबसीरीज से बढ़ रहा क्राइम?-पुलिस पूछताछ में शिवप्रसाद ने बताया कि वह फिल्म KGF-2 के कैरेक्टर रॉकी से बहुत प्रभावित था और वह रातों रात फेमस होना चाहता था। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि फिल्में और वेब सीरीज समाज में किस तरह से व्यावहरिक परिवर्तन ला रही है और समाज उसको कैसे धड़ल्ले से कॉपी कर रहा है इसको सागर के शिवप्रसाद के केस से आसानी से समझा जा सकता है। आज वेब सीरीज और फिल्मों में जिस तरह से क्राइम ही क्राइम दिखाया जा रहा है या कहे परोसा जा रहा है वह बेहद घातक है जैसे किसी का गला काटने के बाद हत्यारे का आराम से खीरा खाते हुए या जूस पीते हुए दिखाया जाना। ऐसे दृश्यों का सीधा प्रभाव व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर पड़ता है।
ऐसे में फिल्में और वेब सीरिज में जो नकारत्मक कंटेट दिखाया जा रहा है उससे क्रोध और कुंठा से भरा व्यक्ति उससे सीधा अपना जुड़ाव महसूस करता है और उसको लगता है कि वह ऐसा कर रातों रात फेमस हो सकता है। वह फिल्मों में दिखाए जा रहे करेक्टर के बिहेरवियर को टॉप का ट्रैंड समझ कर स्वीकार कर लेता है। ऐसे में जब वेब सीरिज में अपराध का महिमामंडन किया जा रहा है तो उसका सीधा असर समाज पर भी पड़ेगा और क्राइम की घटना बढ़ेगी।