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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 21 जुलाई 2021 (14:55 IST)

बच्चे नहीं होने पर सरकार नहीं दे पाती,बोले 9 बच्चों के पिता BJP विधायक,बड़ा सवाल,जनसंख्या नियंत्रण पर क्यों गंभीर नहीं राजनेता?

बच्चे नहीं होने पर सरकार नहीं दे पाती,बोले 9 बच्चों के पिता BJP विधायक,बड़ा सवाल,जनसंख्या नियंत्रण पर क्यों गंभीर नहीं राजनेता? - BJP MLA raised questions regarding population control law in Madhya Pradesh
भोपाल। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर मध्यप्रदेश में सियासी पारा धीमे-धीमे चढ़ता जा रहा है। देश में भाजपा शासित राज्यों असम और उत्तर प्रदेश में राज्य सरकारों के जनसंख्या नियंत्रण कानून पर आगे बढ़ने के बाद अब मध्यप्रदेश में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग तेज हो गई है। पूर्व प्रोटेम स्पीकर और भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने जनसंख्या नियंत्रण  कानून बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र भी लिख दिया है। वहीं कैबिनेट मंत्री विश्वास सांरग भी जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में है।
 
भाजपा विधायक निकालीं मुहिम की हवा-इस बीच मध्यप्रदेश के सिंगरौली से भाजपा विधायक रामलल्लू वैश्य जो 9 बच्चों के पिता है ने जनसंख्या नियंत्रण की पूरी मुहिम की हवा निकाल दी है।  भाजपा विधायक ने कहा कि “सब कुछ भगवान की इच्छा से होता है और हमारे बस में कुछ नहीं है। अगर किसी को बच्चा नहीं होता तो सरकार नहीं दे पाती है। अगर किसी को ज्यादा बच्चे हो जाते है तो सरकार को इसे समझना चाहिए। बच्चों की जिम्मेदारी माता-पिता पर होती है न कि सरकार पर”। 

वहीं भाजपा विधायक ने जनसंख्या कानून को लेकर कहा कि अगर कानून हो तो सभी के लिए एक जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप हिंदुओं से कहेंगे कि नसबंदी कराओ और दूसरे भाइयों से कहेंगे कि फ्री हो जाओ तो ये दो तरह की बात नहीं होंगी.पूरे देश में एक ही तरह का कानून जरूरी है। 

जनसंख्या नियंत्रण पॉलिसी पर भेदभाव-ऐसा पहली बार नहीं है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मध्यप्रदेश में कोई कवायद हो रही है। दो दशक पहले 26 जनवरी 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून को लागू किया था जिसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं कर सकते हैं और सरकारी नौकरी के दौरान अगर दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा।

इसके साथ ही अगर आपके दो से ज्यादा बच्चे है तो पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। इसके बाद 2005 में शिवराज सरकार ने सरकारी नौकरी में इस नियम को लागू रखा लेकिन चुनाव लड़ने पर रोक के फैसले को बीजेपी सरकार ने पलट दिया था। 
माननीयों को ही फ्रिक नहीं-मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी में दो बच्चों के नियम लागू होने और जनप्रतिनिधियों को इससे छूट मिलने पर लगातार सवाल उठते आए है। 2 से अधिक बच्चों होने पर चुनाव लड़ने पर छूट को लेकर मध्यप्रदेश में समाजिक संगठन लंबे समय से ऐतराज जताते आए है। संगठनों की मांग है कि जनप्रतिनिधियों को चुनाव लड़ने के नियम से क्यों छूट दी गई। अगर थोड़ा विश्लेषण करें तो माजरा कुछ और पता चलता है। मध्यप्रदेश में भाजपा के 40 फीसदी विधायकों के 3 से लेकर 9 बच्चे हैं। वहीं शिवराज कैबिनेट में शामिल में 13 मंत्रियों के दो से अधिक यानि 3 से लेकर 6 बच्चे हैं। 
 
वहीं कांग्रेस के 16 विधायकों के तीन बच्चे है वहीं 12 विधायकों के चार और तीन विधायकों के पांच बच्चे है। भाजपा बीजेपी विधायक रामलल्लू वैश्य और कांग्रेस एमएलए वाल सिंह मैड़ा के 9 बच्चे हैं। वहीं भाजपा विधायक केदार शुक्ला के 8 और मंत्री बिसाहूलाल सिंह के 6 बच्चे है।
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