मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के कॉन्फिडेंस की इनसाइड स्टोरी
Madhya Pradesh Political News:
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में अक्रामक तेवर में नजर आ रही है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में 150 से अधिस सीटें जीतने का दावा किया तो अब कांग्रेस ने चुनावी सर्वे का हवाला देकर भाजपा को सिर्फ 50 सीटें जीतने का दावा किया है।
कांग्रेस में सर्वे में बड़ा दावा-इंडियन नेशनल कांग्रेस के सर्वे में लिखा गया कि “मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले कई सर्वे सामने आए हैं जिनमें प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है। साथ ही बीजेपी 55 सीटों से भी कम पर सिमट रही है। कांग्रेस के पास 2018 के अपने 15 महीनों का कार्यकाल और कमलनाथ जी जैसे निर्विवाद और अनुभवी नेता का साथ है। इसे लेकर वह जनता के बीच पहुंच रही है। BJP पर 18 वर्षों की देनदारियां और अधूरी घोषणाएं हैं जो गंभीर सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकम्बेंसी) का रूप ले चुकी है। पिछले 5 महीनों में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर 6 अलग-अलग सर्वे सामने आए हैं। सभी सर्वे में BJP की सीटें लगातार घटती जा रही हैं। इतना ही नहीं, बीजेपी के सर्वे में भी पार्टी बुरी तरह से हार रही है।
ये सर्वे आने के बाद से मध्य प्रदेश बीजेपी में खलबली मची है और ये सुझाव भी मिला है कि 60% बीजेपी विधायकों के टिकट काटे जाएं।
आइए अब तक 6 सर्वे पर नजर डालते हैं...
जनवरी 2023
संघ का एक सर्वे सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ जिसमें बीजेपी 103 सीटों के साथ सरकार से बाहर जा रही है।
फ़रवरी 2023
कांग्रेस का एक आधिकारिक सर्वे सामने आया जिसमें बीजेपी 95 सीटों सिमटती नज़र आ रही है।
मार्च 2023
इंटेलिजेंस का एक गोपनीय सर्वे लीक हुआ जिसमें बीजेपी को 80 से भी कम सीटें मिलती नज़र आ रही हैं।
अप्रैल 2023
दैनिक भास्कर एवं ईएमएस समेत कई समाचार समूह के सर्वे प्रशासनिक हल्क़ों में तेज़ी से वायरल हुए जिसमें बीजेपी 70 सीटों पर सिमट रही है।
मई 2023
ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर एक सर्वे हुआ जिसमें बीजेपी को मात्र 65 सीटें मिलती नज़र आ रही हैं।
जून 2023
नवभारत समाचार ने एक सर्वे प्रकाशित किया जिसमें बीजेपी को मात्र 55 सीटों के साथ सत्ता से बाहर होते बताया गया है।
उपरोक्त सभी सर्वे का ट्रेंड बता रहा है कि कांग्रेस तेज़ी से बढ़त बनाते हुए जनता की आवाज़ बन रही है। वहीं बीजेपी की हालत आए दिन ख़राब होती जा रही है। यानी साफ है कि इस बार बीजेपी 50 से भी कम सीटों पर सिमट जाएगी।
चुनाव को लेकर कांग्रेस का कॉन्फिडेंस- मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के जीत के दावे के कई कारण है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने वाली कांग्रेस अब पूरे जोश से मैदान में है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कहते है कि “2018 के चुनाव से पहले मई में प्रदेश अध्यक्ष बना था नवंबर में चुनाव थे। मध्यप्रदेश में काफी लोग मुझे पहचानते नहीं थे मेरी कार्यशैली से वाकिफ नहीं थे परंतु आज ऐसा नहीं है मध्य प्रदेश का हर वर्ग कमलनाथ को और कमलनाथ की कार्यशैली को जानता और पहचानता है।
मध्यप्रदेश की राजनीति को काफी करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान और उसके बाद जिस तरह कांग्रेस को पहले हिमाचल विधानसभा चुनाव और फिर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हुई उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मनोबल बढ़ा हुआ है। भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए एक उत्प्रेरक का काम कर रही है जिससे कांग्रेस संगठन मोबाइलज हुआ।
डॉ. राकेश पाठक आगे कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूरगामी असर हुआ है। राहुल गांधी ने जो नई कांग्रेस बनाई है,वह राहुल कांग्रेस है। राहुल गांधी की मर्जी से ही मल्लिकार्जुन खड़गे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और कर्नाटक चुनाव में दोनों के बीच तालमेल दिखाई दिया। कर्नाटक और हिमाचल की जीत से कांग्रेस पार्टी एक पुर्नजीवन प्राप्त कर चुकी है।
डॉ. राकेश पाठक आगे कहते हैं कि जब चुनाव मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस इस बात को समझ रही है कि राष्ट्रीय मुद्दों की राज्यों में कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाते हुए दिख रही है। चाहे वह भ्रष्टाचार का मामला हो या कर्मचारियों की मांगों का कांग्रेस इनको प्रमुखता उठा रही है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस कर्नाटक की तर्ज पर स्थानीय मुद्दों को उठाने की रणनीति पर चल रही है। वहीं भाजपा के पास मजबूरी है कि उसके पास स्थानीय मुद्दों में उठाने के लिए कुछ होता नहीं है।