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Written By ND

दिल दा मामला है यह

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- मानसी

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हेलो दोस्तो! आप यह देखकर हैरान हैं कि आज कदम-कदम पर आपको दिल पेश किया जा रहा है। आप जहाँ भी जाते हैं वहीं तरह-तरह के दिल आपको लुभाने में जुटे हैं। कहाँ तो आप एक दिल के लिए तरसते थे और आज लाखों दिल आपकी राहों में बिछे पड़े हैं। फिर भी आप एक खास दिल की तलाश में भटक रहे हैं। आप उस दिल की तलाश में हैं जो अपनी धड़कन की लय आपके दिल की लय से मिला सके। जिसमें अपनेपन की गर्माहट हो और जो आपके सुख-दुख से सुखी-दुखी होता हो।

ऐसे दिल की खोज करने के लिए थोड़े सब्र की जरूरत होती है। वेलेंटाइंस डे के नाम पर इन दिनों बाजार अनेक प्रकार के दिल से सजा हुआ है। सारे गुब्बारे गोल आकृति के बजाय दिल बन चुके हैं। सुर्ख लाल दिल से सारे मॉल, रेस्तरां और दुकानें सजी हैं। केक, पेस्ट्री, सलाद, कुकीज (बिस्कुट), फूलों के गुलदस्ते, कार्ड्स, लेटर पैड, कान के बुंदे, बालियाँ, ीशर्ट के प्रिंट सब दिल के आकार में बदल चुके हैं। बेड ीट, तकिये का गिलाफ, रूमाल, टॉवेल, चप्पल आदि सब दिल पहन रहे हैं, दिल खा रहे हैं, दिल पर सो और उठ, बैठ रहे हैं। फिर भी इस दिलमय होते समाज में हरेक की सच्चे दिल की तलाश जारी है।

अपने-अपने अनुमान से वे दिल के दरवाजे पर दस्तक देने की तैयारी कर चुके हैं पर मजे की बात यह है कि हर दस्तक देने वाले के पास भी एक अदद दिल है लेकिन वह कितना सच्चा है, कितना असली है, कितना मजबूत है, इसका अध्ययन उन्होंने किया ही नहीं है। उन्हें तो बस दूसरे के दिल में सच्चाई, ईमानदारी, मोहब्बत, मासूमियत, रहमदिली जैसे गुण की चाह है।

दूसरा भी यही सारी खूबियाँ उनके दिल में भी खोज रहा है, इसकी परवाह उन्हें कहां है। उन्हें तो बस एक ही धुन है कि किसी प्रकार एक अच्छा सा दिल मिल जाए ताकि जीवन चैन व सुकून से कटे। इस दुनिया में सेहत, धन-दौलत, कैरियर, लोकप्रियता, परिवार सब कुछ पाने का कोई न कोई नुस्खा है पर टिकाऊ, सच्चा और प्यार भरा दिल पाने का कोई ठोस उपाय अभी तक ईजाद नहीं हुआ है। यहाँ हर माँ-बाप को अपने बच्चे में श्रवण कुमार वाला दिल चाहिए तो हर पति को अपनी पत्नी में सावित्री वाला दिल चाहिए।

बच्चों को माँ-बाप का दोस्ती भरा दिल चाहिए तो पत्नी को पति में प्रेमी वाला दिल चाहिए। हर प्रेमी को तलाश है अपनी प्रेमिका में राधा वाला दिल तो हर प्रेमिका को चाहिए अपने प्रेमी में कृष्ण वाला दिल। पर अफसोस कोई युवक अपने अंदर कृष्ण जैसा प्रेम भरा मर्यादापूर्ण दिल नहीं रखना चाहता और न ही कोई युवती अपने अंदर राधा समान दिल की मालकिन बनना चाहती है। पत्नी के दिल को कुढ़ने-कोसने उलाहना देने के अलावा कुछ आता नहीं और पति के दिल को गुस्सा व अनदेखा करने के सिवाय कुछ भाता नहीं।

कहने का मतलब यह है कि हर किसी को दूसरे का दिल, एक आदर्श रूप में चाहिए। अपने दिल में चाहे जिस कदर भी लालच, बेवफाई, क्रूरता और चालाकी भरी हो पर दूसरे के दिल में साफगोई, पारदर्शिता, मिठास हो और साथ ही सात जन्म साथ निभाने का हौसला हो। और तो और, सास को भी बहू के पास बेटी से भी ज्यादा प्रेम भरा दिल चाहिए और बहू को अपनी सास के दिल की जगह अपनी माँ का द्रवित दिल चाहिए। पर माँ की भूमिका समाप्त होते ही सास अपने भीतर कसाई का दिल लगवा आती है और उधर बेटी-बहू बनते ही पत्थर का दिल फिट करा लेती है।

अब न ही प्रेमी-प्रेमिका के पास स्थायी प्रेम वाला दिल बचा है। वहाँ तो बस मौकापरस्ती, लालच, अपेक्षाएँ, छल-कपट व जलन जैसे तत्व ही बचे हैं। ऐसे हालात में जिस दिल की तलाश में सभी भटक रहे हैं, वह भला मिले तो कैसे मिले। आदर्श दिल पाने का एक ही रास्ता बचा है, अपने-अपने दिल को जतन के साथ सँवारें-सुधारें। जैसा दिल चाहिए ठीक वैसा ही दिल अपना भी तैयार करें। ईमानदारी से यदि सभी अपने दिल को मोहब्बत भरा बनाएँगे तो सच्चे और अच्छे दिल की समाज में कमी नहीं रहेगी।