कौन हैं जामसाहब शत्रुशल्य सिंह, जिन्होंने राजपूत समुदाय से रूपाला को माफ करने की बात कही
Who is Jamsaheb Shatrushaly Singh: जामनगर के जामसाहेब शत्रुशल्यसिंह ने राजपूत समुदाय से अपील की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिताने के लिए पुरसोत्तम रूपाला को माफ कर दें। हालांकि सिंह ने एक पत्र जारी कर रूपाला के बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। 'जौहर' वाले मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यदि कोई हमें बुरी भाषा से अपमानित करता है तो हमें खुद को कड़ी सजा नहीं देनी चाहिए।
दरअसल, रूपाला के विवादित बयान को लेकर राजपूत समुदाय के लोग राजकोट से टिकट बदलने की मांग कर रहे हैं। जामसाहेब ने पत्र लिखकर रूपाला को माफ करने और नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हमें 'क्षमा वीरस्य भूषणम धर्म' को याद रखना चाहिए और क्षमा कर देना चाहिए।
क्या लिखा है पत्र में : रूपाला मामले में शत्रुशल्य सिंह ने लिखा कि यह अच्छी बात है कि इस संबंध में अभी तक कुछ खास नहीं हुआ है। क्योंकि अगर कोई हमारा अपमान करता है तो हमें खुद को कड़ी सजा नहीं देनी चाहिए। जो भी अनुचित बात करने का अपराध करता है, उसे दंडित किया जाना चाहिए। जिन बहनों ने यह साहस दिखाया, उन्हें मेरा धन्यवाद। लेकिन, मैं इस कार्य की आलोचना करता हूं, क्योंकि इस मामले में 'जौहर' का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने लिखा- एक समय राजपूत केवल साहस के कारण नहीं बल्कि एकता के कारण शासन करते थे। अब समय आ गया है कि लोकतांत्रिक युग में विरोध लोकतांत्रिक तरीके से ही किया जाना चाहिए, अनुचित तरीके से नहीं। राजपूतों को न केवल साहस बल्कि एकता भी दिखानी होगी। सभी राजपूत एक हो जाएं और जब कोई ऐसी हरकत करता है, जो हम बर्दाश्त नहीं कर सकते तो एकजुट होकर उसे चुनाव में हराएं।
कौन हैं शत्रुशल्य सिंह : जामसाहेब शत्रुशल्य सिंह प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रह चुके हैं और नवानगर के महाराजा की उपाधि धारण करने वाले अंतिम व्यक्ति हैं। गुजरात का जामनगर शहर जामसाहेब के नाम पर ही है। नवानगर में जडेजा राजपूत वंश का राज्य रहा है। स्थानीय भाषा में सरदार को जाम कहा जाम कहा जाता है। जाम शब्द राजाओं के लिए भी प्रयोग किया जाता रहा है।
शत्रुसल्या सिंह की शिक्षा इंग्लैंड के मालवर्न कॉलेज में हुई। उन्होंने 1957 और 1958 में प्रथम एकादश के लिए क्रिकेट खेला। एक दौर वह भी था जब उन्होंने अपने महलों में लगभग 8000 पालतू जानवर रखे थे। जामनगर में उनके घर के सामने 45 एकड़ में फैला वन्यजीव अभयारण्य है।
उन्होंने नेपाली शाही परिवार की एक सदस्य से शादी की। पिता की मृत्यु के बाद फरवरी 1966 में नवानगर के महाराजा और जामसाहेब की उपाधि प्राप्त की। शत्रुसल्य सिंह क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद लंबे समय तक सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख रहे थे।
अप्रैल 2022 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जामनगर के शत्रुशल्य सिंह से मुलाकात की थी। मोदी एवं भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुरावोस्की ने उनके पिता दिग्विजय सिंह को याद किया था। जामसाहेब दिग्विजय सिंह ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड के 800 से ज्यादा बच्चों को शरण दी थी। पोलैंड में कई सड़कें उनके नाम पर हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala