कहां गुम हो जाते हैं भारत में बड़े नोट
क्या 2,000 के नोट ने भारत के कैश सिस्टम को मुश्किल में डाल दिया है? जानिये नोटों की सप्लाई के पीछे छुपे इस संकट की कहानी।
भारत में मुद्रा से जुड़े अधिकार केंद्रीय बैंक यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास हैं। बाजार और अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक नोटों की छपाई का फैसला करता है। नए नोटों की छपाई के पीछे सबसे अहम भूमिका आम तौर पर मुद्रास्फीति निभाती है। मुद्रास्फीति बढ़ने के दौरान सेवाओं और उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो मुद्रा का मूल्य गिर जाता है। ऐसे में रिजर्व बैंक बाजार से नकदी सोखने की कोशिश करता है। इन कोशिशों के तहत नए नोटों की छपाई नहीं की जाती। साथ ही बैंकों के लिए रेपो रेट और कैश रिजर्व रेश्यो में इजाफा किया जाता है। रेपो रेट वह दर है जिसके तहत अल्प अवधि के लिए बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। अगर यह कर्ज महंगा हो जाए तो बैंक भी आम तौर पर कर्ज महंगा कर देते हैं और बाजार से ज्यादा नकदी बैंकों की तरफ लौटने लगती हैं।
कैश रिजर्व रेश्यो के तहत बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक खास हिस्सा रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित रखना होता है। इस रेश्यो को बढ़ाते ही नकदी फौरन रिजर्व बैंक के पास लौटने लगती है।
भारत में इस वक्त देखी जा रही नोटों की कमी को मुद्रा संकट कहना गलत होगा। मौजूदा समस्या नोटों की सप्लाई से जुड़ी है। एटीएम मशीनों का बड़ा नेटवर्क अचानक जरूरत के मुताबिक सप्लाई नहीं दे पा रहा है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हाल के समय में अचानक कैश की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। यह असामान्य डिमांड हैं, लेकिन इसके कारण पता नहीं चले हैं।
वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा के मुताबिक नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद देश ने मुद्रा संकट देखा। 1,000 के नोटों पर बैन लगाने के बाद सरकार ने 2,000 रुपये के नोट छापे। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में फैले नोटों में 2,000 रुपये के नोट की हिस्सेदार 50.2 फीसदी हो गई। इसके बाद जुलाई 2017 में इन नोटों की छपाई बंद हो गई। लेकिन छपाई बंद होने के बाद धीरे धीरे यह नोट भी बाजार से गायब हो गए हैं। अब इस बात का जवाब मिलना चाहिए कि ये नोट आखिर है कहां?
विकास दर और पुराने खराब हो चुके नोटों की संख्या के आधार पर नई मुद्रा बीच बीच में जारी होती रहती है। भारत में नोट चार टकसाल और चार बैंक नोट प्रेस में नोट छापे जाते हैं। विदेश से आने वाले हाई सिक्योरिटी पेपर पर नोटों को छापने के बाद रिजर्व बैंक अपने 18 इश्यू ऑफिसेस के मार्फत देश भर में नोट सप्लाई करता है।
इन इश्यू ऑफिसेस के जरिए नई मुद्रा देश भर में फैले 4,200 से ज्यादा करेंसी चेस्ट में पहुंचती है। ये करेंसी चेस्ट आम तौर शहर या जिले का कोई बड़ा बैंक होता है। इसी करेंसी चेस्ट से मुद्रा सारे बैंकों की शाखाओं में पहुंचती है। कटे फटे और गल से चुके नोटों को कर्मशियल बैंक एक साथ जमा करते हैं और फिर करेंसी चेस्ट वापस भेजते हैं। यशवंत सिन्हा के मुताबिक इस वक्त करेंसी चेस्ट में भी 2,000 के नोट नहीं पहुंच पा रहे हैं और समस्या देश के कई इलाकों तक फैली हुई दिख रही है।
रिपोर्ट ओंकार सिंह जनौटी