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Written By DW
Last Updated : शनिवार, 21 दिसंबर 2024 (08:00 IST)

भारत: शादियों में पुरोहित से पहले जासूसों को ढूंढा जा रहा है

भारत: शादियों में पुरोहित से पहले जासूसों को ढूंढा जा रहा है - people searching for detective before purohit
भारत में शादी के लिए रिश्ते तय करने से पहले लड़का लड़की के बारे में जानकारी जुटाने का काम अब पेशेवर जासूस कर रहे हैं। सदियों से यह जिम्मेदारी पड़ोसियों और रिश्तेदारों पर थी लेकिन, लोगों का अब उन पर उतना भरोसा नहीं रहा। जासूसों का नेटवर्क बड़े शहरों की पॉश कॉलोनियों से लेकर छोटे शहरों और गांव की गलियों तक फैला है।
 
भारत में अब भी दो परिवार के लोगों का शादी के लिए जोड़े तय करने की परंपरा सबसे ज्यादा चलन में है। हालांकि देश की सामाजिक रीतियां अब बड़ी तेजी से बदल रही हैं। बहुत से जोड़े परिवारों से आगे निकल कर खुद ही जोड़ी बना ले रहे हैं। ऐसे में कुछ परिवार शादी के लिए उत्सुक युवा प्रेमियों की छानबीन करने के लिए पंडित या वेडिंग प्लानर से पहले जासूसों को काम पर लगा रहे हैं। भावना पालीवाल जैसे हाईटेक जासूस इसी काम की फीस वसूलते हैं।
 
क्या पता लगाते हैं जासूस
नई दिल्ली के एक दफ्तर में काम करने वाली शीला ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उनकी बेटी ने कह दिया कि वह अपने बॉयफ्रेंड से शादी करेगी। इसके तुरंत बाद शीला ने पालीवाल को काम पर लगा दिया। शीला बदला हुआ नाम है ताकि उनकी बेटी को पता ना चल सके कि उसके मंगेतर की जासूसी हो रही है। शीला का कहना है, "मेरी शादी अच्छी नहीं रही थी। जब मेरी बेटी ने कहा कि वह प्यार में है तो मैं उसकी मदद करना चाहती थी, लेकिन बिना उचित सावधानी बरते नहीं।"
 
48 साल की पालीवाल ने करीब दो दशक पहले तेजस डिटेक्टिव एजेंसी की नींव रखी थी। वह बताती हैं कि काम काफी अच्छा चल रहा है। उनकी टीम हर महीने करीब आठ मामले निपटाती है। हाल के एक मामले में उनके क्लाइंट ने भावी दूल्हे की छानबीन कराई थी। पालीवाल ने वेतन के मामले में बड़ी गड़बड़ का पता लगाया। पालीवाल ने बताया, "उस आदमी ने कहा कि वह 70,700 डॉलर सालाना कमाता है, हमने देखा कि वह सिर्फ 7,700 डॉलर ही कमा रहा है।"
 
51 साल के संजय सिंह भी एक जासूसी एजेंसी चलाते हैं। उन्होंने बताया कि केवल इसी साल उनकी एजेंसी ने शादी से जुड़ी "सैकड़ों" छानबीन की है। इसी तरह प्राइवेट डिटेक्टिव आकृति खत्री का कहना है कि उनके वीनस डिटेक्टिव एजेंसी में एक चौथाई से ज्यादा मामले शादी से पहले की छानबीन से जुड़े हैं। उन्होंने एक उदाहरण दिया, "लोग तो यह भी जानना चाहते हैं कि कहीं दूल्हा समलैंगिक तो नहीं।"
 
यह एक गोपनीय काम है। पालीवाल का दफ्तर शहर के एक मॉल में है, इसके बाहर लगे साइन बोर्ड पर इसे भविष्य  बताने वाली एजेंसी लिखा है। भविष्यवक्ता आमतौर पर शादियों की तारीख बताता है, लेकिन भावना और भी बहुत कुछ बता देती हैं। भावना हंसते हुए कहती हैं, "कभी-कभी मेरे क्लाइंट नहीं चाहते कि जासूस से उनकी मुलाकात के बारे में लोगों को पता चले।"
 
मामूली खर्च में पक्की जानकारी
जासूसों को काम पर लगाने की फीस 8-10 हजार से लेकर 1.5 -2 लाख रुपये तक है। यह इस पर निर्भर करता है कि कितनी निगरानी करनी है। शादी में जीवन भर की बचत यहां तक की भारी कर्ज लेकर खर्च करने वालों के लिए यह रकम बहुत मामूली है। ऐसा नहीं कि सिर्फ ससुराल वाले ही दामाद या बहू की छानबीन कराना चाहते हैं। कुछ प्रेमी भी अपने भावी जीवनसाथी के परिवार की पृष्ठभूमि जान लेना चाहते हैं। कई बार तो संदिग्ध प्रेम संबंधों की पुष्टि के लिए भी वे जासूसों को काम पर लगाते हैं।
 
दो परिवारों की सहमति से होने वाली पारंपरिक शादियों से पहले कई तरह की छानबीन की जाती है। इसमें आर्थिक स्थिति तो प्रमुख है ही साथ में सदियों पुराने जातीय दर्जे का मामला भी बहुत ज्यादा महत्व रखता है। इस मजबूत जाति व्यवस्था या फिर धार्मिक आस्थाओं को तोड़ने की सजा कई बार दूल्हा दुल्हन की हत्या के रूप में भी सामने आई है।
 
पहले शादी से पहले छानबीन का काम परिवार के सदस्य, पुरोहित या फिर शादी कराने वाले पेशेवर करते थे। हालांकि देश में आबादी का रुख शहरों की तरफ मुड़ने के बाद सामाजिक तानाबाना ऐसा बदला है कि जानकारियों को पुष्ट करने के पारंपरिक तरीके बहुत कारगर नहीं हो रहे हैं। शादियां ऑनलाइन मैट्रिमोनियल और डेटिंग ऐप से भी तय हो रही हैं। सिंह कहते हैं, "शादियों के प्रस्ताव तो टिंडर पर भी आ रहे हैं।"
 
जासूसों की चुनौतियां
आधुनिक सोसायटियों में सुरक्षा के उपाय का मतलब है कि एजेंट के लिए उन घरों तक पहुंचना मुश्किल होता है। पारंपरिक घरों में यह काफी आसान था। सिंह बताते हैं कि जासूसों को कुछ इधर उधर की कहानी बना कर अपना काम निकालना पड़ता है। कई बार यह "कानूनी और गैरकानूनी" तरीकों के बीच की स्थिति होती है। हालांकि उन्होंने जोर दे कर कहा कि उनके एजेंट कानून के हिसाब से ही चलते हैं।
 
उन्होंने टीम को आदेश दिया है कि वह कुछ भी अनैतिक ना करें साथ, ही छानबीन के दौरान यह ध्यान रखें कि उनकी जांच "किसी की जिंदगी तबाह कर सकती है।" खत्री ने टेक डेवलपर्स की मदद से अपने एजेंटों के लिए एक ऐप तैयार करवाया है जहां वो सारी जानकारी सीधे अपलोड कर सकते हैं और एजेंटों के फोन में कोई जानकारी नहीं रहती। ऐसे में पकड़े जाने पर भी जानकारियां लीक होने का डर नहीं रहता। खत्री का कहना है, "इससे हमारी टीम सुरक्षित रहती है साथ ही कम समय और खर्च में अच्छे नतीजे भी हासिल होते हैं।"
 
मददगार तकनीक
निगरानी के उपकरण कुछ हजार रुपये के कीमत पर आसानी से उपलब्ध हैं। इनमें ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग करने वाले उपकरण भी शामिल हैं। इन्हें आसानी से मच्छर भगाने वाली इलेक्ट्रॉनिक मशीनों में भी छिपाया जा सकता है। इसी तरह  कार ट्रैकिंग के लिए उन्नत चुंबकीय जीपीएस या फिर बेहद छोटे कैमरे भी बहुत काम आते हैं।
 
तकनीक के उभार ने रिश्तों के लिए भी नई चुनौतियां पैदा की हैं। खत्री का कहना है, "हम जितने ज्यादा हाई-टेक होंगे, हमारी जिंदगी में उतनी ही समस्याएं भी आएंगी।" हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रिश्तों में धोखा को उजागर करने के लिए ना तो तकनीक दोषी है ना ही जासूस, "ऐसे रिश्ते किसी भी हाल में ज्यादा नहीं चलने वाले। झूठ पर कोई रिश्ता नहीं टिकता।"
एनआर/आरपी (एएफपी)