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Last Updated : बुधवार, 20 जून 2018 (10:00 IST)

हर दो सेकंड में एक आदमी घर छोड़ने को मजबूर

हर दो सेंकड में एक आदमी घर छोड़ने को मजबूर | migration
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया में आज तकरीबन 6.8 करोड़ लोग अपना घरबार छोड़ भागने के लिए मजबूर हैं। कारण हैं युद्ध, हिंसा और उत्पीड़न। अनुमान मुताबिक दुनिया में हर दो सेंकड में एक व्यक्ति घर छोड़ रहा है।
 
 
110 में एक व्यक्ति विस्थापित
यूएन हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2017 में विस्थापितों की आबादी साल 2016 के मुकाबले 30 लाख तक बढ़ी है। मौजूदा विस्थापितों की मोटा-मोटी संख्या थाईलैंड की पूरी आबादी के बराबर है। दुनिया की कुल आबादी के हिसाब से निकाला जाए तो हर 110 में से 1 आदमी जबरन विस्थापित लोगों में शामिल है।
 
 
दो सेंकड में एक आदमी
रिपोर्ट कहती है कि तकरीबन 1.6 करोड़ तो पिछले साल ही विस्थापित हुए हैं। इनमें से कुछ को पहली बार अपना घरबार छोड़कर भागना पड़ा तो वहीं कुछ लोगों के लिए अनुभव नया नहीं था। यूनएचसीआर के मुताबिक करीब 44,500 लोगों को हर रोज अपना घर छोड़ना पड़ रहा है, मतलब हर दो सेंकड में एक आदमी।
 
 
देश के भीतर
इनमें से एक बड़ी संख्या देश के भीतर ही विस्थापित हो रहे लोगों की है, जिन्हें आईडीपी (इंटरनली डिस्प्लेस्ड पीपल) कहा गया है। डाटा मुताबिक, साल 2017 के अंत तक दुनिया में करीब 4 करोड़ आईडीपी थे। यह आंकड़ा पिछले सालों के मुकाबले कुछ घटा है. विस्थापितों की यह संख्या कोलंबिया, सीरिया जैसे मुल्कों में सबसे अधिक है।
 
 
सीरिया से भागते लोग
पिछले सात साल से युद्ध झेल रहे सीरिया में 2017 के अंत तक करीब 63 लाख लोगों को भागने को मजबूर हुए। इसके अतिरिक्त सीरिया में करीब 62 लाख लोग देश के अंदर ही विस्थापित हुए हैं।
 
 
अफगानिस्तान का नंबर
2017 में सीरिया के बाद रिफ्यूजी पैदा करने की सूची में दूसरा स्थान अफगानिस्तान का रहा। अफगानिस्तान से करीब 26 लाख लोग विस्थापित हुए। यूएनएचसीआर ने इस इजाफे का कारण अफगान बच्चों के जन्म को बताया है, साथ ही दूसरा कारण जर्मनी में अफगान लोगों को शरणार्थी दर्जा मिलने को कहा है।
 
 
दक्षिणी सूडान का हाल
दुनिया के सबसे जवान देश दक्षिणी सूडान से लोग बढ़ी तादाद में भाग रहे हैं। यह अफ्रीकी देश पिछले लंबे समय से जातीय हिंसा और गृह युद्ध देख रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, यह देश "सबसे बुरे आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। लेकिन यहां की सरकार और विपक्ष अपने ही लोगों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।"
 
 
तुर्की में रिफ्यूजी
रिपोर्ट मुताबिक तुर्की में सबसे अधिक रिफ्यूजियों ने डेरा बनाया है। आंकड़ों मुताबिक साल 2017 के अंत तक तुर्की में तकरीबन 35 लाख पंजीकृत रिफ्यूजी रह रहे थे. इनमें बड़ी संख्या सीरियाई लोगों की है।
 
 
गरीब देशों में भी
अमेरिका और यूरोप पहुंचने वाले लोगों के अलावा, तकरीबन 85 फीसदी रिफ्यूजी अब कम आय या मध्य आय वाले देशों मसलन लेबनान, पाकिस्तान, युंगाडा आदि देशों में रहते हैं।