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Last Modified: शनिवार, 14 नवंबर 2020 (15:58 IST)

क्या प्रदूषण से बचने का तरीका पटाखों से दूरी है

क्या प्रदूषण से बचने का तरीका पटाखों से दूरी है - crackers and pollution
कुछ लोग परंपरा की दुहाई देकर दीपावली में आतिशबाजी का बहाना ढूंढ रहे हैं तो कुछ दूसरे पटाखे न चलाने की दुहाई दे रहे हैं। त्योहार मजेदार तरीके से मनाने के और भी तरीके हैं जिनसे परंपरा भी निभेगी और सेहत भी नहीं बिगड़ेगी।
 
देश के ज्यादातर हिस्सों में, खासतौर से उत्तर भारत में पिछले दो हफ्तों से एयर क्वालिटी इंडेक्स बहुत खराब है और कई इलाकों में एक्यूआई 700 के पार चला गया। लोगों को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है और डॉक्टरों का कहना है कि दमे के मरीज आईसीयू में पहुंच रहे हैं। अब संकट यह है कि प्रदूषित होती हवा अन्य बीमारियों के साथ कोरोना के खतरे को भी बढ़ा रही है। ऐसे में जहां नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आतिशबाजी पर रोक लगाई है वहीं कई राज्यों की सरकारें सेहत और राजनीति के बीच झूलती दिख रही है। 

क्या पटाखों से ही बढ़ता है वायु प्रदूषण
इसमें कोई शक नहीं कि कई लोग आतिशबाजी का मजा लेने के लिए दीपावली का इंतजार करते हैं। खासतौर से बच्चों में यह जुनून अधिक होता है। इसलिए अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि क्या सिर्फ आतिशबाजी से ही प्रदूषण होता है और अगर ऐसा है तो साल के बाकी दिन होने वाले प्रदूषण का क्या। यह तर्क सही है कि सिर्फ पटाखों से ही वायु प्रदूषण नहीं होता। उसकी और भी वजहें हैं, लेकिन यह भी सही है कि दीवाली की रात और अगली सुबह हवा में ज्यादातर प्रदूषण पटाखों की वजह से ही होती है।
 
पटाखे हवा को स्वास्थ्य के लिए अधिक घातक बनाते हैं। इनमें सल्फर, कार्बन और कई ऐसे रसायन होते हैं जो आंखों और फेफड़ों के लिये खतरनाक हैं। आतिशबाजी के साथ हवा में धातुओं के बारीक कण भी मिल जाते हैं जो सांस के साथ फेफड़ों में जाते हैं और वहां से रक्त नलिकाओं में पहुंच जाते हैं। साइंस पत्रिका चेस्ट जर्नल में छपे शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचा सकता है। 
 
पटाखों से कोरोना का खतरा
एक यूरोपीय शोध के अनुसार कोरोना के कारण होने वाली 15% मौतों के लिये पीछे वायु प्रदूषण एक वजह हो सकती है। इसी हफ्ते भारत के सबसे बड़े मेडिकल संस्थान एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने भी दोहराया कि प्रदूषण कोविड के मामले तेजी से बढ़ा सकता है। गुलेरिया ने कहा कि जब भी एयर क्वालिटी बिगड़ती है तो उसके बाद बच्चों और वयस्कों की इमरजेंसी में भर्ती बढ़ जाती है। जाहिर है प्रदूषण का बढ़ता स्तर उन लोगों को खतरे में डालेगा जो पहले से दमे के मरीज हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है। 
 
सेहत और राजनीति का घालमेल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वायु प्रदूषण के आपातकालीन स्तर को देखते हुये पटाखों पर पाबंदी लगा दी। लेकिन कई राज्य सरकारें इसे लेकर असमंजस में दिख रही है। वह लोगों की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते। हरियाणा सरकार ने पहले पटाखों पर पाबंदी लगाई और फिर दो घंटे के लिए आतिशबाजी की छूट दे दी। उधर कर्नाटक सरकार ने पटाखों पर पाबंदी के ऐलान के कुछ घंटों बाद ही ‘ग्रीन क्रेकर्स' की इजाजत दे दी। यूपी ने एनसीआर क्षेत्र के साथ लखनऊ, कानपुर और आगरा जैसे शहरों में पटाखे जलाने पर रोक लगाई लेकिन जहां ‘मॉडरेट' और ‘बैटर' हो वहां पटाखे जलाने की इजाजत दी है। 
 
महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने लोगों से अपील की है कि वह स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आतिशबाजी न करें हालांकि मुंबई में बीएमसी ने मुंबई म्युनिस्पल कॉर्पोरेशन की सीमाओं के भीतर पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाई है।  साफ है कि नेता स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की इच्छा शक्ति नहीं दिखा रहे और इन हालातों में भी राजनीतिक फिक्र हावी है। 
 
दीपावली मनाने के बेहतर तरीके
वैसे दीपावली में मौजमस्ती और पर्व को सुखद बनाने के कई पारंपरिक तरीके हैं। परिवार और दोस्तों से मिलना, दिये जलाना, रंगोली बनाना, अच्छा भोजन और प्रियजनों को उपहार। आप दीवाली के दिन अपनी या दोस्तों की पसंदीदा डिश बना सकते हैं और बच्चों को रोशनी दिखाने के लिये वॉक पर ले जा सकते हैं। दिल्ली सरकार ने पटाखों पर पाबंदी लगाई है। 

अब इसका कितना पालन हो पाएगा ये तो शनिवार को पता चलेगा लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल के मंत्री दीवाली पर अक्षरधाम मंदिर में लक्ष्मी पूजा कर रहे हैं। पिछले साल दिल्ली सरकार ने  जनता के मनोरंजन के लिए दीवाली पर लेजर शो का आयोजन कराया था। इस साल लेजर शो नहीं है लेकिन अपनी सेहत के लिए क्या बेहतर है आप अच्छी तरह जानते हैं। 
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