चीन शिनचियांग के स्थानीय लोगों की निगरानी के लिए हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है। उइगुर मुसलमानों को कैंप में रखकर उनका ब्रेनवाश किया जा रहा है।
चीन अपने उत्तर पश्चिमी क्षेत्र शिनचियांग में सुरक्षा कार्रवाई को लेकर लगातार सुर्खियों में है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा उइगुर मुसलमान रहते हैं। एक्टिविस्टों को कहना है कि चीन ने इस क्षेत्र को खुली जेल में बदल दिया है। संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने 2018 में कहा था कि करीब 10 लाख उइगुर मुसमलानों को इस क्षेत्र में बने कथित रि-एजुकेशन कैंप में रखा गया है। जो लोग इन कैंपों से बाहर रह रहे हैं, हर जगह उनके ऊपर कड़ी नजर रखी जाती है और हमेशा पहचान पत्र की जांच की जाती है।
दुनिया के कई देश चीन के इस कदम पर विरोध जता रहे हैं। इसी सप्ताह अमेरिका ने शिनचियांग प्रांत में कथित तौर पर मानवाधिकारों के हनन और अल्पसंख्यकों की गिरफ्तारी और दुर्व्यवहार में शामिल होने के आरोप में 28 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
चीन द्वारा शिनचियांग प्रांत में की गई सुरक्षा कार्रवाई का सबसे विवादास्पद हिस्सा रि-एजुकेशन कैंप का विशाल नेटवर्क है। इसके बारे में एक्टिविस्टों और यहां रह चुके लोगों का कहना है कि हिरासत में रखे गए लोगों का राजनीतिक ब्रेनवाश किया जाता है और उनके साथ दुर्व्यवहार भी होता है।
कैंप में दो महीने गुजारने वाले एक कजाख व्यवसायी का कहना है कि चीन का एक ही लक्ष्य हैः हिरासत में लिए गए लोगों की धार्मिक मान्यता को बदलना। कैदियों को प्रत्येक सुबह देशभक्ति गीत गाने और सुअर खाने को मजबूर किया जाता है। जबकि इस्लाम में सुअर खाने की मनाही है।
एएफपी द्वारा 1500 से ज्यादा सरकारी दस्तावेजों की जांच की गई। इसमें यह बात सामने आई कि चीन इन कैंपों के स्कूल होने का दावा करता है लेकिन वास्तव में ये जेल जैसे हैं। शिनचियांग के कैंप में लोगों से पूछताछ के लिए चीनी पुलिस आंसू गैस, करंट लगाने वाले सामान और यहां तक की 'टाइगर चेयर' का इस्तेमाल करती है। अभी भी चीन की सरकार कहती है कि धार्मिक कट्टरता से निकालने के लिए केंद्र में लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। हालांकि पिछले साल अक्टूबर महीने तक चीन ऐसे किसी भी तरह का कैंप होने की बात को खारिज करता रहा था।
कैंप के बाहर रह रहे शिनचियांग के स्थानीय लोगों पर हाई-टेक सर्विलांस सिस्टम से कड़ी नजर रखी जाती है। ह्यूमन राइट वॉच के अनुसार, इंटीग्रेटेड ज्वाइंट ऑपरेशंस प्लेटफॉर्म नामक एक मोबाइल ऐप कई जगहों से जानकारी एकत्र करता है। इसमें चेहरे की पहचान करने वाले कैमरे, वाईफाई स्निफर्स शामिल हैं। साथ ही कुछ समय के अंतराल पर घरों की जांच भी की जाती है। शिनचियांग के अधिकारी विशेष लोगों को निशाना बनाने के लिए एप्प का इस्तेमाल करते हैं। इसमें वे लोग शामिल होते हैं जो उत्साहपूर्वक मस्जिदों के लिए दान करते हैं, अपने पड़ोसी से ज्यादा घुलते-मिलते नहीं है, समूह में रहते हैं या फिर स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
अप्रैल महीने में न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि चीनी अधिकारी पूरे देश में उइगुर मुसलमानों को पहचानने के लिए बड़े स्तर पर चेहरा पहचानने की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। अखबार के अनुसार चीन के मध्य शहर सेनमेंशिया में चीनी अधिकारियों ने यह जानने के लिए कि कोई निवासी उइगुर है या नहीं, एक महीने में पांच लाख बार फेस स्कैन किया।
चीन से जो डाटा लीक हुए हैं उनसे पता चलता है कि बड़े स्तर पर सभी जातीय समूहों की निगरानी की जा रही है। डच सिक्योरिटी शोधकर्ता को फरवरी में मिले एक डाटाबेस के अनुसार 24 घंटे के भीतर शिनचियांग के 60 लाख स्थानों को ट्रैकिंग डिवाइस के माध्यम से सेव किया गया। साथ ही डाटाबेस में करीब 26 लाख लोगों की निजी जानकारियों का संग्रह है। इसमें उनकी जाति, धर्म, पता और नौकरी के बारे में जानकारी है।
वर्ष 2017 में शिनचियांग के अधिकारियों ने 'एंटी-एक्सट्रीमिस्ट' नियम को पारित किया था। इन नियम के तहत बड़े पैमाने पर लोगों के व्यवहार और उनके पहनावे पर रोक लगाई गई थी। यह कार्रवाई मुस्लिम समुदाय के रिवाजों पर रोक लगाने के लिए की गई थी। चेहरे पर असाधारण तरीके से दाढ़ी रखना और बुर्का पहनने से रोक भी इस लिस्ट में शामिल था। नए नियम में उइगुरों को टीवी और रेडियो पर सरकारी प्रचार सुनने तथा देखने को भी जरुरी बनाया गया।
इस साल रमजान के महीने में उइगुर बहुल शहरों में नजारा पूरा बदला-बदला दिखा। ईद-उल-फितर के समय सरकार द्वारा तय एक मस्जिद में नमाज अदा किया गया। इस दौरान वहां पुलिस और सिविल अधिकारी मौजूद थे। 2017 के बाद से दर्जनों मस्जिदों, कब्रिस्तानों और धार्मिक स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया है।
चीन अपने देश के बाहर भी उइगुर मुसलमानों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। जुलाई 2017 में मिस्र के अधिकारियों ने अपने देश में एक उइगुर छात्र के घर छापा मारने में चीनी अधिकारियों की मदद की थी। उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया जहां चीनी अधिकारियों ने उससे सख्ती से पूछताछ की। इसके बाद उसे मिस्र के खतरनाक जेलों में से एक टोरा में भेज दिया गया और 60 दिनों तक रखा गया।
आरआर/एमजे (एएफपी)