जिन किशोर बच्चों के मां बाप उनसे अपना प्यार नहीं जताते या उनकी भावनाओं की कद्र नहीं करते उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा होती है बनिस्पत उन बच्चों के जिन्हें मां बाप का खूब प्यार मिलता है और वे उन पर गर्व करते हैं।
ये बात अमेरिकी रिसर्चरों ने एक शोध के बाद कही है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के इस रिसर्च की रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आयी है जब अमेरिका में किशोर बच्चों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति ने मां बाप, शिक्षकों और सेहत विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
पिछले महीने ही कैलिफोर्निया में 13 साल की और कोलोराडो में 10 साल की लड़की ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। दोनों के मां बाप का कहना है कि उनकी मौत के पीछे उनका स्कूल जिम्मेदार है। सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी में स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े डॉक्टोरल प्रोग्राम के संयोजक कीथ किंग कहते हैं, "मां बाप हमेशा हमसे पूछते हैं, "हम क्या कर सकते हैं?' बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि उनके पीछे कोई है लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से ज्यादा ऐसा नहीं करते। यह सबसे बड़ी समस्या है।"
किंग और उनकी सहकर्मी रेबेका विदोरेक ने 12 साल और उससे ज्यादा उम्र के किशोरों पर 2012 में किए एक सर्वे के नतीजों के आधार पर बताया है कि मां बाप के रवैये और बच्चों में खुदकुशी की सोच के बीच सीधा संबंध है। मां बाप के रवैये से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले बच्चे 12 और 13 साल की उम्र के होते हैं।
इस उम्र वर्ग के जिन बच्चों के मां बाप कभी नहीं कहते कि उन्हें उन पर गर्व है उनमें आत्महत्या करने का विचार आने की आशंका पांच गुना ज्यादा होती है। ये बच्चे दूसरे बच्चों की तुलना में आत्महत्या के तरीकों के बारे में सात गुना ज्यादा सोचते और सात गुना ज्यादा कोशिश भी करते हैं। 12 और 13 साल की उम्र के उन बच्चों में भी आश्चर्यजनक रूप से खुदकुशी का विचार आते देखा गया जिनके मां बाप ने उनसे बेहद कम या फिर कभी नहीं कहा कि उन्होंने अच्छा काम किया है या फिर उनके होमवर्क में मदद नहीं की।
16 और 17 साल के जिन किशोरों के मां बाप उनसे नहीं कहते कि उन्हें उन पर गर्व है उनमें तीन गुना ज्यादा आत्महत्या का विचार आता है जबकि वे अपने साथियों की तुलना में चार गुना ज्यादा आत्महत्या की योजना बनाते हैं या फिर कोशिश करते हैं।
विदोरेक का कहना है, "इसका एक ही उपाय है कि बच्चे सकारात्मक रूप से परिवार और मां बाप से जुड़े रहें।" बच्चे अगर मां बाप के साथ पर्याप्त रूप से नहीं जुड़े हों तो वे नशीली दवाओं या फिर जोखिम भरे यौन व्यवहारों को भी आजमा सकते हैं।
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इसी साल अपनी रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया कि 2007 से 2015 के बीच किशोरियों में आत्महत्या की दर दोगुनी हो गयी जबकि लड़कों में यह 30 फीसदी बढ़ गयी।
विशेषज्ञों का कहना है कि कई कारणों से आत्महत्या का जोखिम पैदा होता है जिसमें अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव, दादागिरी, आर्थिक संघर्ष और हिंसा शामिल है। तो ऐसे में मां बाप क्या कर सकते हैं?
किंग कहते हैं, "आप उन्हें कह सकते हैं कि आपको उन पर गर्व है, उन्होंने अच्छा काम किया है, उनसे बात करिये उनके होमवर्क में मदद किजिये।"
एनआर/एके (एएफपी)