भारत के पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा को इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज ग्राहम थोर्प की असामयिक मृत्यु ने अवसाद से अपनी संघर्ष की कहानी को साझा करने के लिए मजबूर किया।थोर्प ने इस महीने की शुरुआत में आत्महत्या कर ली थी।
उथप्पा ने अपने यूट्यूब चैनल पर साल 2009 और 2011 के बीच अपने जीवन के सबसे संघर्षपूर्ण दिनों को याद किया जब वह आत्महत्या के बारे में सोच रहे थे।थोर्प के अलावा, भारत के पूर्व तेज गेंदबाज डेविड जॉनसन की इस साल की शुरुआत में अपने अपार्टमेंट की चौथी मंजिल से कूदने के बाद मौत हो गई थी।
उथप्पा ने कहा, मैं अवसाद और आत्महत्या के बारे में बात करने जा रहा हूं। हमने कई लोगों के बारे में सुना है, यहां तक कि हाल ही में क्रिकेटरों ने भी अवसाद के कारण अपनी जिंदगी खत्म कर ली है।
उन्होंने कहा, अतीत में भी हमने ऐसे एथलीटों और क्रिकेटरों के बारे में सुना है, जिन्होंने अवसाद के कारण आत्महत्या कर ली। मैं भी इस तरह की स्थिति में रहा हूं। मैं इस तथ्य के बारे में जानता हूं कि यह कोई अच्छी यात्रा नहीं है। यह बहुत चुनौतीपूर्ण है, यह परेशान करने वाला पल होता है।
भारत के लिए 46 वनडे और 13 टी 20 खेलने वाले उथप्पा ने थोर्प के परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
उन्होंने कहा, जब मैं अवसाद से गुजर रहा था तो मुझे अक्सर यह महसूस होता था कि मैं उन लोगों के लिए बोझ हूं जो मेरे आस-पास है। मैं जिस स्थिति में रहना चाहता था उससे बहुत दूर था और मेरे पास कोई जवाब नहीं था।
उन्होंने कहा, मेरी संवेदनाएं ग्राहम थोर्प और उनके परिवार के साथ है। मैं कल्पना नहीं कर सकता कि उन्होंने जो किया वह करने में सक्षम होने के लिए उन्हें क्या करना पड़ा। मेरी प्रार्थनाएं उनके परिवार के साथ-साथ डेविड जॉनसन के लिए भी हैं।
उथप्पा को लगता है कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग मानसिक स्वास्थ्य से प्रभावित होते हैं, जिनमें उनके और थोर्प जैसे विशिष्ट एथलीट भी शामिल हैं।
उन्होंने सवाल पूछने के लहजे में कहा, आप इसके साथ कैसे निपटते हैं? आप वास्तव में क्या अनुभव करते हैं? मैं यहां तक पहुंचने से पहले ही सोचता हूं कि आप इससे कैसे निपटेंगे? कोई क्या अनुभव करता है? आपको ऐसा लगता है जैसे आप बेकार हैं।
उन्होंने कहा, आपको ऐसा लगता है जैसे आप उन लोगों के लिए बोझ हैं जिन्हें आपसे प्यार करते हैं। आप बिल्कुल हताश और खुद को बेकार महसूस करते हैं।
कर्नाटक के इस क्रिकेटर ने कहा, मैं हफ्तों, महीनों, वर्षों तक अपने बिस्तर से नहीं उठना चाहता था। मुझे याद है कि 2011 में मैं पूरे साल इस बात से इतना शर्मिंदा था कि मैं एक इंसान के रूप में कैसा हो गया हूं। मैंने उस पूरे साल आईना नहीं देखा था।
टी20 विश्व कप (2007) खिताब जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे उथप्पा ने इससे निपटने का तरीका बताते हुए कहा कि सुरंग के आखिर में रोशनी है।
उन्होंने कहा, मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि चाहे जो भी हो, इससे निकलने का रास्ता है। इस तरह के मामले में आपको यह स्वीकार करना होगा कि कुछ गड़बड़ है। इनकार में रहने से मदद नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा, अगर आप अपनी स्थिति के बारे में स्वीकार नहीं करेंगे तो उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होगा। इससे निकलने का शायद एक बढ़िया तरीका यह होगा कि अपने बारे में कुछ लिखना शुरू करें। इस तरह मुझे पता चला कि आपके साथ कुछ गड़बड़ है।
उन्होंने कहा, दूसरी चीज जो कोई कर सकता है वह है इसके बारे में किसी से बात करना। आप जिस पर भरोसा करते है या जिससे प्यार करते हैं उससे अपनी समस्या के बारे में बात करें। उनसे अपनी भावनाओं को साझा करते हुए यह बताइये कि आप अच्छा महसूस नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा, अगर आप अपनी भावनाओं को साझा नहीं करेंगे तो अंदर की नकारात्मक बातें अधिक मजबूत हो जाती है।
उथप्पा ने कहा कि पेशेवर मदद से मानसिक बीमारी से निपटने में काफी मदद मिलती है।उन्होंने कहा, इस मामले में तीसरा कदम किसी से मदद मांगना होगा। एक अच्छे पेशेवर की सलाह काफी मददगार होती है। चौथा चरण यह पता लगाना है कि क्या आपको कोई अच्छा परामर्शदाता मिला है।
उन्होंने कहा, मेरे अनुसार एक अच्छा परामर्शदाता वह है जो आपको समाधान नहीं देता है, बल्कि एक अच्छा परामर्शदाता वह है जो आपसे सही प्रश्न पूछता है और आपको अपना समाधान स्वयं निकालने में सक्षम बनाता है।
(भाषा)