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Written By WD Sports Desk
Last Modified: मंगलवार, 10 दिसंबर 2024 (15:12 IST)

यह मामूली तकनीकी बदलाव कर फॉर्म में लौटे मार्नस लाबुशेन (Video)

10 दिनों की यात्रा में मार्नस लाबुशेन ने किया ऐसा अभ्यास

यह मामूली तकनीकी बदलाव कर फॉर्म में लौटे मार्नस लाबुशेन (Video) - Marnus Labuschagne back amoungst runs with a technical tweak
टीम में अपनी जगह बचाए रचने के लिए जूझ रहे मार्नस लाबुशेन ने अपनी बल्लेबाजी में मामूली बदलाव किए जिसका उन्हें फायदा मिला और उन्होंने भारत के खिलाफ यहां दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की आसान जीत के दौरान 64 रन की उपयोगी पारी खेली।भारत के पहले टेस्ट में 295 रन से जीत दर्ज करने के बाद मेजबान टीम की बल्लेबाजी में सुधार का दारोमदार लाबुशेन और स्टीव स्मिथ जैसे अनुभवी बल्लेबाजों पर था। लाबुशेन अधिक दबाव में थे क्योंकि क्रीज पर पर्याप्त समय बिताने के बावजूद वह रन नहीं बना पा रहे थे।

पर्थ में पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 52 गेंद में 2 रन बनाए जबकि दूसरी पारी में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंद पर वह पगबाधा हुए।टीम में अपनी जगह को लेकर हो रही आलोचना को नजरअंदाज करते हुए लाबुशेन ने अपनी बल्लेबाजी पर काम किया और दूसरे टेस्ट में उन्हें इसका फायदा मिला। उन्होंने गुलाबी गेंद के दूसरे टेस्ट में बुमराह और उनके साथियों के बेहद दबाव बनाने के बावजूद रन बनाने का तरीका ढूंढ लिया।

लाबुशेन ने ‘cricket.com.au’ से कहा, ‘‘पर्थ टेस्ट के अंत तक मुझे पता था कि मैं गेंद की तरफ मूव नहीं कर रहा हूं। मैं जिस तरह खेल रहा था उसे लेकर मुझे काफी चीजें पसंद नहीं थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसका सकारात्मक पक्ष यह था कि मैं जिस तरह खेल रहा था और मेरी जो तकनीक थी उसके बावजूद मैं लगभग 60 गेंद खेलने में सफल रहा। मुझे हल ढूंढने की अपनी क्षमता पर भरोसा था।’’
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैंने पूरे हफ्ते प्रयास किया और विभिन्न चीजों पर काम किया, पता करने की कोशिश की कि यह काम कर रही है या नहीं। इसमें बदलाव करता रहा जब तक कि मुझे वह नहीं मिल गया जिसकी जरूरत थी।’’

लाबुशेन ने एडीलेड टेस्ट से पहले किए गए बदलावों के बारे में विस्तार से बताया।उन्होंने कहा, ‘‘10 दिन के ब्रेक का मतलब था गेंद को फिर से बल्ले के बीच से खेलने का प्रयास करना, गेंद की लाइन में अच्छी तरह से आना और यह पता लगाना कि मैं कहां चूक रहा हूं।’’

लाबुशेन ने कहा, ‘‘मैं नौ दिन तक लगातार बल्लेबाजी कर रहा था, बस उस स्थिति में वापस आने का रास्ता खोज रहा था जहां मैं पहुंचना चाहता था।’’उन्होंने कहा,‘‘यही वह यात्रा थी जिसकी शुरुआत मैंने मंगलवार को की थी और मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि जब मैं एडीलेड पहुंचू तो मैं इस स्थिति में रहूं कि मैं इस पर भरोसा कर सकूं और मैदान पर जाकर खेल सकूं।’’

लाबुशेन ने कहा कि उन्होंने गेंद फेंके जाने से पूर्व के तरीकों को बदलने पर भी ध्यान केंद्रित किया।उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जो चीजें बदलीं, वे गेंद फेंके जाने से पहले की थीं। मैंने पिछले चार या पांच वर्षों में कई अलग-अलग तरीकों से बल्लेबाजी की है इसलिए मेरे लिए यह इस बारे में था कि मैं किस तरीके से खेलना चाहता हूं और इसे अपने नए रुख के साथ फिर से जोड़ना चाहता हूं।’’ (भाषा)
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