नई दिल्ली। टेलीविजन कार्यक्रम में महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के मामले में निलंबित क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल ने सोमवार को ‘बिना शर्त’ माफी मांगी। इस बीच प्रशासकों की समिति (सीएओ) के अध्यक्ष विनोद राय ने कहा कि बीसीसीआई को दोनों खिलाड़ियों के करियर को खतरे में डालने की जगह उनमें सुधार करने पर ध्यान देना चाहिए।
दोनों खिलाड़ियों के बिना शर्त माफी मांगने के बावजूद भी बीसीसीआई की 10 इकाइयों ने इस मामले की जांच के लिए लोकपाल नियुक्त करने के लिए विशेष आम बैठक बुलाने की मांग की हैं। सीओए में राय की सहयोगी डायना इडुल्जी चाहती है कि यह जांच सीओए और बीसीसीआई के अधिकारी करें।
बीसीसीआई के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि हां, हार्दिक और राहुल ने फिर से जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया है। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है। सीओए प्रमुख ने बीसीसीआई के नए संविधान की धारा 41 (सी) के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी (राहुल जौहरी) को मामले की जांच का निर्देश दिया है।
डडुल्जी को लगता है कि ऐसा होने पर मामले मे ‘लीपापोती’ की जाएगी। इन दोनों क्रिकेटरों की ‘कॉफी विद करण’ कार्यक्रम में की गई टिप्पिणयों के कारण बवाल मच गया था। पांड्या ने कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं के साथ संबंध होने का दावा किया और यह भी बताया कि वह इस मामले में अपने परिजनों के साथ भी खुलकर बात करता है। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी पांड्या और राहुल की टिप्पणियों पर नाराजगी जताई थी।
ऑस्ट्रेलिया दौरे के बीच से स्वदेश बुलाए गए दोनों खिलाड़ियों का करियर अधर में अटका है। एकदिवसीय विश्व कप के शुरू होने में चार महीने से भी कम समय बचा है। राय ने इडुल्जी को भेजे मेल में कहा, बीसीसीआई को युवा खिलाडियों का करियर खत्म नहीं करना चाहिए।
राय ने लिखा, कृपया इस बात को लेकर आश्वस्त रहे कि मामले की जांच में ‘लीपापोती’ नहीं होगी। भारतीय क्रिकेट के हित को ध्यान में रखना होगा। मैदान से बाहर दोनों खिलाड़ियों का यह आचरण निंदनीय है। मैंने मामले का पता चलने के तुरंत बाद कहा था यह मूर्खतापूर्ण है। उन्होंने कहा, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें फटकारें, सुधारात्मक कार्रवाई करें, उन्हें गलत कामों के बारे में सचेत करें और इसकी सजा (परिणाम भुगतने) के बाद उन्हें फिर से मैदान पर उतारें।
इस पूर्व सीएजी ने अपने ई-मेल में कहा कि खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय दौरे (ऑस्ट्रेलिया से) के बीच में से वापस बुलाए जाने के बाद ‘शर्मिंदा’ हैं और नैसर्गिक न्याय के मुताबिक उनके पक्ष को सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमने मौजूदा दौरे से उन्हें वापस बुलाकर शर्मिदा किया है। हमने उन्हें निलंबित किया है। हमें उन में सुधार करने की जरूरत है। फैसले में देरी कर के हम उनका करियर खतरे में नहीं डाल सकते। इसमें सुधारात्मक रवैए के साथ त्वरित कार्रवाई की जरूरत है।
राय ने बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को मामले की शुरुआती जांच का निर्देश दिया है। इडुल्जी ने जौहरी से मामले की शुरुआती जांच करने पर आशंका जताई। उनके मुताबिक जौहरी खुद यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे थे और इससे जांच में लीपापोती की जा सकती है। सीईओ प्रमुख ने कहा, धारा 41(सी) के तहत सीईओ को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया लेकर मामले की जांच करनी चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए की नैसर्गिक न्याय के मानदंड पूरे हो।
उन्होंने ई-मेल में कहा कि विधि टीम की सलाह पर इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय से लोकपाल की नियुक्ति की मांग की गई है। राय ने कहा, 17 जनवरी को होने वाली सुनवाई के लिए हमने सर्वोच्च न्यायालय से लोकपाल की नियुक्ति की मांग की है। अगर न्यायालय लोकपाल की नियुक्ति नहीं करता है तो भी कानूनी सलाह के तहत हमें तदर्थ लोकपाल के साथ जांच को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, सीईओ की जांच रिपोर्ट पर नियुक्त लोकपाल खिलाड़ियों के मामले में अंतिम फैसला ले सकेंगे।