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Last Updated : मंगलवार, 19 अप्रैल 2022 (18:44 IST)

थोक महंगाई दर क्या है? आम जनता पर इसका असर कैसे पड़ता है?

थोक महंगाई दर क्या है? आम जनता पर इसका असर कैसे पड़ता है? - What is whole sale inflation rate, how it affects common man
देश में महंगाई लगातार तेजी से बढ़ रही है। अक्टूबर 2021 में थोक महंगाई दर 13.83 प्रतिशत थी। नवबंर 2021 में यह बढ़कर 14.87 फीसदी पर पहुंच गई। यह इसका हालांकि इसके बाद इसमें कमी आई और फरवरी 2022 में यह 13.11 पर आ गई। हालांकि रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से पेट्रोल डीजल के दामों में आई तेजी से इसमें काफी इजाफा हुआ। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ। मार्च में यह देखते ही देखते थोक महंगाई दर 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। आइए जानते हैं कि थोक महंगाई दर क्या है? आम जनता पर इसका असर कैसे पड़ता है?

थोक महंगाई दर क्या है : थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) एक मूल्य सूचकांक है जो कुछ चुनी हुई वस्तुओं के सामूहिक औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में थोक मूल्य सूचकांक को आधार मान कर महंगाई दर की गणना होती है। हालांकि थोक मूल्य और खुदरा मूल्य में काफी अंतर होने के कारण इस विधि को कुछ लोग सही नहीं मानते हैं। भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 697 पदार्थों को शामिल किया गया है। इनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि हर तरह के पदार्थ शामिल हैं।
 
अब मान लीजिए 10 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक 120 है और 17 मार्च को यह बढ़कर 122 हो गया। प्रतिशत में अंतर लगभग 1.6 प्रतिशत हुआ और यही महंगाई दर मानी जाती है।
 
सामानों के थोक भाव लेने और सूचकांक तैयार करने में समय लगता है, इसलिए मुद्रास्फीति की दर हमेशा दो हफ्ते पहले की होती है। भारत में हर हफ्ते थोक मूल्य सूचकांक का आकलन किया जाता है। इसलिए महंगाई दर का आकलन भी हफ्ते के दौरान कीमतों में हुए परिवर्तन दिखाता है। पहले डब्ल्यूपीआई मापने का बेस ईयर 2004-2005 था। लेकिन अप्रैल 2017 में सरकार ने इसे बदलकर 2011-12 कर दिया।
 
WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां : WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं- प्राइमरी आर्टिकल्स, ईंधन और उत्पादित सामग्रियां। प्राइमरी आर्टिकल्स की भी दो उप-श्रेणियां हैं। पहली खाद्य उत्पाद। दूसरी गैर खाद्य उत्पाद। खाद्य उत्पादों में अनाज, धान, गेहूं, दालें, सब्जियां, फल, दूध, अंडा, मांस और मछली जैसी चीजें शामिल हैं। गैर खाद्य उत्पाद में तेल के बीज, खनिज संसाधन और कच्चा पेट्रोलियम शामिल है। 
 
डब्ल्यूपीआई की दूसरी श्रेणी है ईंधन। इसमें पेट्रोल, डीजल और LPG की कीमतें देखी जाती हैं। तीसरी और सबसे बड़ी श्रेणी है, मैन्युफैक्चर्ड गुड्स यानी उत्पादित सामग्रियां। इनमें कपड़ा, रेडिमेट कपड़े, कैमिकल, प्लास्टिक, सीमेंट, धातु, चीनी, तंबाकू उत्पाद, वसा उत्पाद जैसे मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं।
 
आम जनता पर क्या असर : थोक महंगाई दर बढ़ने का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। थोक में अगर किसी वस्तु के दाम बढ़ते हैं तो आम आदमी को रिटेल में भी इसके ज्यादा दाम चुकाने होते हैं।
पिछले वर्ष मार्च की तुलना में इस वर्ष गेहूं के थोक दामों में 14.04 प्रतिशत का इजाफा हुआ तो सब्जी थोक में 19.88 फीसदी महंगी हो गई। इसी तरह पेट्रोल 53.44, डीजल 52.22, LPG 24.88 फीसदी महंगी हो गई। सभी वस्तुओं के दाम बढ़ने से थोक महंगाई दर में भारी तेजी दर्ज की गई। 
 
उल्लेखनीय है कि मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी रही जो पिछले 14 महीनों में सबसे अधिक है। यह लगातार तीसरा महीना है जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। इससे पहले अक्टूबर, 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 प्रतिशत के उच्चस्तर पर थी। मार्च में खाद्य वस्तुओं के दाम 7.68 प्रतिशत बढ़े। इससे पिछले महीने खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 5.85 प्रतिशत थी। पिछले साल मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 5.52 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 4.87 प्रतिशत पर थी।