शनि यदि है पांचवें भाव में तो रखें ये 5 सावधानियां, करें ये 6 कार्य और जानिए भविष्य
मकर और कुंभ का स्वामी शनि तुला में उच्च, मेष में नीच का होता है। लाल किताब में आठवें भाव में शनि बली और ग्यारहवां भाव पक्का घर है। सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। लेकिन यहां पांचवां घर में होने या मंदा होने पर क्या सावधानी रखें जानिए।
कैसा होगा जातक : यहां स्थित शनि को संतान के लिए अच्छा नहीं माना गया है इसे बच्चे खाने वाला सांप कहा गया है। शनि को पंचम भाव में बहुत ही बुरा माना जाता है लेकिन सावधानी और उपाय से इसका बुरा असर खतम हो जाता है।
यह भाव सूर्य का घर होता है जो शनि का शत्रु ग्रह है। जातक घमंडी हो सकता है। यदि जातक के शरीर में बाल अधिक हैं तो जातक बेईमान हो सकता है। यदि जातक 48 साल की उम्र तक अपने खुद के घर का निर्माण नहीं करता है तो पुत्र को कठिनाइयां नहीं होगी। उसे अपने पिता या पुत्र के बनवाए मकान में ही रहना चाहिए। जातक को अपने पैतृक घर में बृहस्पति और मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं रखनी चाहिए, इससे उसके बच्चों का भला होता है।
5 सावधानियां :
1. जुआ या सट्टा ना खेलें।
2. शराब और पराई स्त्री से दूर रहें।
3. अपने बच्चों की इच्छाओं का ध्यान रखें।
4. अपंग और अंधे और सेवाकर्मियों का अपमान न करें।
5. खुद का मकान ना बनाएं परदादाओं के मकान में ही रहें।
क्या करें :
1. लड़के के जन्मदिन पर नमकीन चीजें बांटें।
2. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. कहीं पर नीम का एक पेड़ लगाएं।
4. कुत्तों को प्रतिदिन रोटी खलाएं।
5. शनिवार को छाया दान करें।
6. मंदिर में 10 बादाम चढ़ाएं और उसमें से 5 लाकर अपने घर में सदैव रखें।