लौट रहा है सबसे बड़ा उल्का पिंड
चंद्रमा से टकरा सकता है सबसे बड़ा उल्का पिंड
अंतरिक्ष में भटक रहा सबसे बड़ा उल्का पिंड '2005 वाय-यू 55' इस माह में धरती के सबसे पास से गुजरेगा। इस दौरान चंद्रमा से इसकी दूरी मात्र 452 किमी ही रह जाएगी।गुरुत्वाकर्षण के कारण यदि यह पृथ्वी से टकरा गया तो आधी दुनिया का सफाया हो सकता है। हालांकि खगोल विज्ञानी इसके धरती से टकराने की संभावना को न के बराबर बता रहे हैं। इसकी तुलना में इसके चंद्रमा से टकराने की संभावना ज्यादा है।वराहमिहिर शोध संस्था उज्जैन के खगोल विज्ञानी संजय केथवास ने बताया कि खगोल विज्ञान में एक शब्द है 'नियोज' जिसका अर्थ है 'नीयर टू अर्थ ऑब्जेक्ट्स' या पृथ्वी के पास अंतरिक्ष में भ्रमण करने वाली वस्तुएं। इनसे हमेशा खतरा बना रहता। इन्हीं नियोज में से एक सबसे बड़ा उल्का पिंड '2005 वाय-यू 55' है, जो 30 वर्षों बाद पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरेगा।
पृथ्वी-चंद्रमा के मध्य अंतरिक्ष से गुजरते समय यदि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फंस गया तो यह धरती से टकरा सकता है।आलू जैसी बड़ी चट्टान : उल्का पिंड 2005 वाय-यू 55 पहाड़ी आलू जैसी एक बड़ी एवं ठोस चट्टान है। इसकी लंबाई 1 हजार 300 फुट है। अगर यह पृथ्वी से टकराती है तो 50 अरब टन टीएनटी (ट्राइ नाइट्रो टाल्युइन) के बराबर ऊर्जा उत्पन्न होगी, जो आधी धरती को ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त है।इसके पहले वर्ष 1981 में यह उल्का चंद्रमा के उस पार से गुजरा था, लिहाजा तब खतरे जैसी कोई बात नहीं थी। मगर इस बार यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच से गुजरने वाला है। वैसे यह सूर्य के प्रचंड गुरुत्वाकर्षण में बंधा हुआ है। अतः इसके अपने पथ पर सीधे आगे निकल जाने की उम्मीद अधिक है। उल्का पिंड 2005 वाय-यू 55 टेलीस्कोप के माध्यम से इस माह से दिखने लगेगा। इसके लिए दुनिया भर के खगोल विज्ञान क्लब, संस्थाएं तैयारी में जुटी हैं।