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Written By वार्ता
Last Modified: बर्लिन , गुरुवार, 20 जून 2013 (11:09 IST)

कम रोशनी में जलती है दिमाग की बत्ती

कम रोशनी में जलती है दिमाग की बत्ती -
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बर्लिन। थोड़ी कम रोशनी से सिर्फ आंखों को ही आराम नहीं मिलता है इससे आपका दिल और दिमाग भी आजादी महसूस करता है जिससे आपकी दिमाग की बत्ती ज्यादा तेज जलने लगती है।

जर्मनी के स्टटगार्ड और होयेनहेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में यह खुलासा किया है कि कम रोशनी में बैठे व्यक्तियों के दिमाग में ज्यादा कल्पनाएं आती है जबकि सामान्य रोशनी और तेज रोशनी में बैठे लोग उतनी कल्पनाएं नहीं कर पाते हैं।

शोध से पता चला है कि थोड़ी कम रोशनी रहने से हमारा दिमाग ज्यादा तेज चलता है और इसमें तरह तरह के आइडिया आते हैं। कम रोशनी में बैठे लोग खुद को बंधनमुक्त भी महसूस करते हैं जिसका असर उनके विचारों पर पड़ता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक लोग अंधेरे में ज्यदा सहज महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि तेज रोशनी मे उनकी गलतियां ज्यादा दिखाई देगी। अंधेरा कमरा मनुष्य के मस्तिष्क पर अलग ही प्रभाव छोड़ता है।

शोध रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपनी कल्पनाशीलता बढ़ाना चाहता है तो उसे बस खुद को अंधेरे में बैठा महसूस करना चाहिए। इससे दिमाग पर सकारात्मक असर पड़ता है जिसे 'प्राइमिंग' कहा जाता है। 'प्राइमिंग' वह क्रिया है जब कोई व्यक्ति किसी विचार को अपने दिमाग में दोबारा याद करके लाता है।

हांलाकि उन्होंने साथ ही अपनी शोध रिपोर्ट में यह भी बताया है कि कम रोशनी में विचार तो अच्छे आते हैं, लेकिन अगर इन विचारों को धरातल पर उतारना हो, उसे लागू करना हो तो इसके लिए कम रोशनी फायदेमंद नहीं है। कम रोशनी विश्लेषण क्षमता के लिए भी अच्छी नहीं है। (वार्ता)