वर्तमान व्यवस्था पर क्षणिकाएं...
1. 'कांधे पर शव।
जीवन विप्लव'।
2. 'रोती बेटी पास।
मरी मां उदास।'
3. 'सभ्य समाज घेरे में।
इंसानियत अंधेरे में।'
4. 'चीखता पत्रकार।
मरता विचार।'
5. 'सोती सरकारें।
वीभत्स चीत्कारें।'
6. 'सुने कौन?
शब्द मौन।'
7.'M.P. का चमत्कार।
फर्स्ट इन बलात्कार।'
8. 'व्यापम।
यम हैं हम।'
9. 'नारी के अरमान।
भोग के सामान।'
10. 'स्त्री मन।
खरा कुंदन।'
11. 'बेटी का विचार।
जीवन का आधार।'
12. 'पपीहा-सा मन।
याद आएं साजन।'
13. 'बूढ़ा जीवन उदास।
विदेश बसे बेटे की आस।'
14. 'पिता की चिंता सारी।
बेटे की बेरोजगारी।'
15. 'मुफ्तखोरों के वास।
सरकारी आवास।'
16. 'शिक्षा का आकार।
डिग्री का व्यापार।'
17. 'अध्यापकों का हाल।
जीवन हुआ बेहाल।'
18. 'छठवां वेतनमान।
धैर्य का इम्तिहान।'
19. 'सातवां वेतनमान।
जीवन का अवसान।'
20. 'सरकारी पाठशाला।
गरीब बच्चों की गौशाला।'
21. 'निजी स्कूल।
खूब फल-फूल।'
22. 'मध्यान्ह भोजन।
गरीबी का समायोजन।'
23. 'छोटी-सी भूल।
सरकारी स्कूल।'
24. 'शिक्षक अभिन्न।
सरकारी जिन्न।'