बाल कविता : सरकार चलाएंगे
दिल्ली जाकर अब हम तो,
अपनी सरकार बनाएंगे।
भरत देश के बालक हैं हम,
भारत देश चलाएंगे।
जब अपनी सरकार बनेगी,
ऐसा अलख जगाएंगे।
भय और भूख मिटेगी पल मॆं,
भ्रष्टाचार हटाएंगे।
अब आतंकी सीमाओं से,
भीतर न घुस पाएंगे।
यदि घुसे चोरी-चोरी तो,
सारे मारे जाएंगे।
स्वच्छ प्रशासन देंगे सबको,
बिजली घर-घर में होगी।
बिना कटौती मिलेगी सबको,
यह करके दिखलाएंगे।
त्राहि-त्राहि भी अब पानी की,
किसी गांव में न होगी।
सारे शहर और कस्बों को,
हम पानी पिलवाएंगे।
रिश्वत, घूस कमीशन लेता,
अगर कोई भी मिलता है।
बीच सड़क या चौराहे पर,
हम फांसी लटकाएंगे।
डर के मारे भूत भागते,
ऐसा लिखा किताबों में।
यही व्यवस्था प्रजातंत्र में,
हम करके दिखलाएंगे।
तस्कर डाकू राजनीति में,
अब घुस भी न पाएंगे।
यदि आ गए चोरी से तो,
उनको मार भगाएंगे।
बच्चों के द्वारा बच्चों की,
और बच्चों की ही खातिर।
दिल्ली में लंबे अर्से तक,
हम सरकार चलाएंगे।
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