मंगलवार, 4 मार्च 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. जय हनुमान
  4. कब है हनुमान जयंती 2025 में?
Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 4 मार्च 2025 (17:53 IST)

कब है हनुमान जयंती 2025 में?

hanuman jayanti kab hai 2025 main
Hanuman jayanti 2025: हनुमान जयंती कहो या जन्मोत्सव कोई फर्क नहीं पड़ता। चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है। हनुमान जी एक कल्प तक अपने शरीर में इसी धरती पर रहेंगे। वे कलयुग के अंत समय में भगवान कल्कि का साथ देंगे। वर्ष 2025 में हनुमान जयंती 12 अप्रैल शनिवार के दिन रहेगी। हनुमानजी का अंक 9 है और इस वर्ष का अंक भी 9 है।ALSO READ: शनिवार को 300 बार हनुमान चालीसा पढ़ने से होंगे 3 बड़े चमत्कार
 
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 12 अप्रैल 2025 को तड़के 03:21 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल 2025 को प्रात: 05:51 बजे तक। 
 
हनुमानजी का जन्म कपि नाम की वानर जाति में राजा केसरी और महारानी अंजना के यहां हुआ था। आन्ध्र प्रदेश तथा तेलंगाना में हनुमान जन्मोत्सव चैत्र पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर वैशाख माह में कृष्ण पक्ष के दौरान दसवें दिन समाप्त होती है। तमिलनाडु में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाया जाता है। कर्नाटक में, मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को हनुमान जयंती मनाते हैं।ALSO READ: मंगलवार को 108 बार हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होगा?
 
हनुमान पूजा की विधि-
- प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें।
- हनुमानजी की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें और आप खुद कुश के आसन पर बैठें।
- मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
- इसके बाद धूप, दीप प्रज्वलित करके पूजा प्रारंभ करें। हनुमानजी को घी का दीपक जलाएं।
- हनुमानजी को अनामिका अंगुली से तिलक लगाएं, सिंदूर अर्पित करें, गंध, चंदन आदि लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
- यदि मूर्ति का अभिषेक करना चाहते हैं तो कच्चा दूध, दही, घी और शहद यानी पंचामृत से उनका अभिषेक करें, फिर पूजा करें।
- अच्छे से पंचोपचार पूजा करने के बाद उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
- गुड़-चने का प्रसाद जरूर अर्पित करें। इसके आलावा केसरिया बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, चूरमा, मालपुआ या मलाई मिश्री का भोग लगाएं।
- यदि कोई मनोकामना है तो उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करके अपनी मनोकामना बोलें।
- अंत में हनुमानजी की आरती उतारें और उनकी आरती करें। 
- उनकी आरती करके नैवेद्य को पुन: उन्हें अर्पित करें और अंत में उसे प्रसाद रूप में सभी को बांट दें।