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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021 (18:45 IST)

बाली और हनुमान जी का युद्ध

Bali hanuman yudh । बाली और हनुमान जी का युद्ध - Bali hanuman yudh
सुग्रीव का भाई, अंगद का पिता, अप्सरा तारा का पति और वानरश्रेष्ठ ऋक्ष का पुत्र बाली बहुत ही शक्तिशाली था। देवराज इंद्र का धर्मपुत्र और किष्किंधा का राजा बाली जिससे भी लड़ता था लड़ने वाला कितना ही शक्तिशाली हो उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाती थी और लड़ने वाला कमजोर होकर मारा जाता था। लेकिन ऐसी क्या बात थी कि वह हुमानजी से भीड़ गया, आओ जानते हैं।
 
हनुमानजी बचपन में ही अपने महाबली बाली काका का मान मर्दन कर देते हैं। बाली को अपनी उड़ने की तेज शक्ति पर बहुत अभिमान था लेकिन हनुमाजी उसे भी तेज उड़कर उसका अहंकार तोड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन बाली का फिर भी अभिमान नहीं टूटता है तब होता है महायुद्ध।
 
हनुमान और सुग्रीव के भाई महाबली बाली के युद्ध की हमें एक कथा मिलती है। बाली को इस बात का घमंड था कि उसे विश्व में कोई हरा नहीं सकता या कोई भी उसका सामना नहीं कर सकता। एक दिन की बात है रामभक्त हनुमान वन में तपस्या कर रहे थे। उस दौरान अपनी ताकत के नशे में चूर बाली लोगों को धमकाता हुआ वन में पहुंचा और चिल्लाने लगा कि कौन है जो मुझे हरा सकता है, किसी ने मां का दूध पिया है जो मुझसे मुकाबला करे।
 
हनुमानजी उसी वन में राम नाम जप से तपस्या कर रहे थे। बाली के चिल्लाने से उनकी तपस्या में विघ्न हो रहा था। उन्होंने बाली से कहा, वानर राज आप अति-बलशाली हैं, आपको कोई नहीं हरा सकता, लेकिन आप इस तरह चिल्ला क्यों रहे हैं?
 
यह सुनकर बाली भड़क गया। उसने हनुमान जी को चुनौती थी और यहां तक कहां की रे वानर तू जिसकी भक्ति करता है मैं उसे भी हारा सकता हूं। राम का मजाक उड़ता देख हनुमान को क्रोध आ गया है और उन्होंने बाली की चुनौती स्वीकार कर ली। तय हुआ कि अगले दिन सूर्योदय होते ही दोनों के बीच दंगल होगा।
 
अगले दिन हनुमान तैयार होकर दंगल के लिए निकले ही थे कि ब्रह्माजी उनके समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने हनुमान को समझाने की कोशिश की कि वे बाली की चुनौती स्वीकार न करे। लेकिन हनुमानजी ने कहा कि उसने मेरे प्रभु श्रीराम को चुनौती दी है। ऐसे में अब यदि मैं उसकी चुतौती को अस्वीकार कर दूंगा तो दुनिया क्या समझेगी। इसलिए उसे तो सबक सिखाना ही होगा।
 
यह सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- ठीक है, आप दंगल के लिए जाओ, लेकिन अपनी शक्ति का 10वां हिस्सा ही लेकर जाओ, शेष अपने आराध्य के चरण में समर्पित कर दो। दंगल से लौटकर यह शक्ति फिर हासिल कर लेना। यह सुनकर हनुमानजी मान गए और अपनी कुल शक्ति का 10वां हिस्सा लेकर बाली से दंगल करने के लिए चल पड़े।
 
दंगल के मैदान में हनुमानजी ने जैसे ही बाली के सामने अपना कदम रखा, ब्रह्माजी के वरदान के अनुसार, हनुमानजी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में समाने लगा। इससे बाली के शरीर में उसे अपार शक्ति का अहसास होने लगा। उसे लगा जैसे ताकत का कोई समंदर शरीर में हिलोरे ले रहा हो। चंद पलों के बाद बाली को लगने लगा मानो उसके शरीर की नसें फटने वाली है और रक्त बाहर निकलने ही वाला है।
 
तभी अचानक ही वहां ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने बाली से कहा कि खुद को जिंदा रखना चाहते हो तो तुरंत ही हनुमान से कोसों दूर भाग जाओ, अन्यथा तुम्हारा शरीर फट जाएगा। बाली को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन वह ब्रह्माजी को यूं प्रकट देखकर समझ गया कि कुछ गड़बड़ है और वह वहां से तुरंत ही भाग खड़ा हुआ।
 
बहुत दूर जाने के बाद उसे राहत मिली। शरीर में हल्कापन लगने लगा। तब उसने देखा की ब्रह्माजी उसके समक्ष खड़े हैं। तब ब्रह्माजी ने कहा कि तुम खुद को दुनिया में सबसे शक्तिशाली समझते हो, लेकिन तुम्हारा शरीर हनुमान की शक्ति का छोटा-सा हिस्सा भी नहीं संभाल पा रहा है। तुम्हें में बताना चाहता हूं कि हनुमान अपनी शक्ति का 10वां भाग ही लेकर तुमसे लड़ने आये थे। सोचो यदि संपूर्ण भाग लेकर आते तो क्या होता?
 
बाली यह जानकर समझ गया कि मैंने बहुत बड़ी भूल की थी। बाद में बाली ने हनुमानजी को दंडवत प्रणाम किया और बोला- अथाह बल होते हुए भी हनुमानजी शांत रहते हैं और रामभजन गाते रहते हैं और एक मैं हूं जो उनके एक बाल के बराबर भी नही हूं और उनको ललकार रहा था। मुझे क्षमा करें हनुमान।