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Last Updated : शुक्रवार, 12 दिसंबर 2025 (19:30 IST)

Sim binding से क्यों डरे हुए हैं लोग, क्या हैं सरकार के आदेश, जानिए हर सवाल का जवाब

What is SIM bonding
What is Sim Binding Rule explainer : मैसेजिंग ऐप्स को प्रयोग करने का तरीका जल्द ही बदलने वाला है वॉट्सऐप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे बड़े ऐप्स अब सरकार के उस नए नियम को लेकर चिंतित हैं, जिसे 'सिम-बाइंडिंग' कहा जा रहा है। फरवरी 2026 से लागू होने वाले इस नियम के बाद मैसेजिंग ऐप उसी फोन पर चलेगा जिसमें वह अकाउंट बनाने वाला सिम कार्ड लगा होगा। इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। SIM बदला तो WhatsApp बंद हो जाएगा, क्या यह यूजर के लिए मुश्किल बनेगा? क्या इससे ठगी रुकेगी? कौन इसके पक्ष में है और कौन विरोध कर रहा है? पढ़िए इसके हर सवाल का जवाब- 
क्यों उठाया गया यहा है यह कदम  
भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड पर रोक लगाने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) ने बड़ा कदम उठाया है। विभाग ने एक नया नियम जारी किया है, जिसके तहत व्हाट्सएप, टेलीग्राम, स्नैपचैट, सिग्नल, शेयरचैट, जोश, जियोचैट सहित सभी प्रमुख मैसेजिंग ऐप्स को अगले 90 दिनों के भीतर अनिवार्य तौर पर ‘SIM Binding’ लागू करनी होगी।
 
क्या है SIM Binding 
इसके तहत कोई भी मैसेजिंग ऐप तभी काम करेगा जब फोन में वही मूल सिम मौजूद हो, जिसका उपयोग साइन-अप के दौरान किया गया था।  यदि सिम हटाई जाती है, बदल दी जाती है या इनएक्टिव होती है- तो ऐप काम नहीं करेगा।  वेब-आधारित सेशंस भी हर छह घंटे बाद ऑटोमैटिक लॉगआउट हो जाएंगे और यूजर्स को QR कोड के जरिए दोबारा लिंक करना होगा। सरल शब्दों में, सिम-बाइंडिंग की शर्त यह कहती है कि जिस सिम कार्ड से आपका वॉट्सऐप या टेलीग्राम अकाउंट बना है, अगर आप वह सिम फोन से निकाल देंगे, तो आपका ऐप उसी समय चलना बंद कर देगा।
 
क्या रुक जाएंगे साइबर फ्रॉड
सरकार का कहना है कि एक सक्रिय और KYC-वेरीफाइड SIM की अनिवार्यता से उन कमजोरियों को दूर किया जा सकेगा। इनका इस्तेमाल फ्रॉडस्टर्स बड़े पैमाने पर, कई बार सीमा पार डिजिटल धोखाधड़ी में करते हैं।
 साइबर फ्रॉड में 2024 में 22,800 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान दर्ज किया गया था। ऐसे में यह नियम खातों और वेब सेशंस को ट्रेस करने में मददगार होगा।  यह कदम फिशिंग, इनवेस्टमेंट फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट स्कैम और लोन ऐप रैकेट जैसे मामलों में ट्रेसबिलिटी बढ़ाने में सहायक माना जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि रो‍मिंग पर रहने वाले यूजर्स प्रभावित नहीं होंगे, बशर्ते सिम फोन में लगी हो।
 
क्या था 28 नवंबर के आदेश में  
28 नवंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि  सभी मैसेजिंग ऐप्स को 90 दिनों में नए नियम लागू करने होंगे।  120 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।  केवल सक्रिय सिम वाले डिवाइस पर ही सेवाएं उपलब्ध होंगी।  DoT ने चेतावनी दी है कि नियमों का पालन न करने पर टेलीकम्युनिकेशंस एक्ट 2023, टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी रूल्स और अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में ज्यादातर ऐप्स केवल इंस्टॉलेशन के समय ही SIM वेरीफिकेशन करते हैं और बाद में सिम हटने पर भी चलते रहते हैं- जिसे अब समाप्त किया जाएगा। इन ऐप्स के वेब वर्जन हर 6 घंटे में खुद-ब-खुद लॉगआउट हो जाएंगे। यानी दोबारा इस्तेमाल करने के लिए नया QR कोड स्कैन करना होगा। इन्हीं बदलावों ने ऐप कंपनियों को चिंता में डाल दिया है।
टेलीकॉम इंडस्ट्री ने किया स्वागत
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जिसमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसे सदस्य शामिल हैं, ने इस कदम का स्वागत किया है। COAI का कहना है कि लगातार सिम लिंकिंग से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और ग्राहकों  की सुरक्षा भी बढ़ेगी। COAI ने कहा कि ये नियम लंबे समय से बने उन गैप्स को खत्म करेंगे, जिनकी वजह से गुमनामी और दुरुपयोग संभव था।
 
टेक कंपनियों को क्या है चिंता 
ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF), जिसमें मेटा और गूगल जैसी कंपनियां शामिल हैं, ने इस निर्देश पर चिंता जताई है।
 फोरम का कहना है कि यह नियम अधिकार क्षेत्र, उपभोक्ता प्रभाव और जोखिम से जुड़े सवाल खड़े करते हैं और Telecom Act के दायरे से आगे की जिम्मेदारियां  डाल देते हैं। BIF ने सरकार से अमल की समयसीमा रोकने और SIM Binding पर स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन शुरू करने की मांग की है। Edited by : Sudhir Sharma 
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