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Written By Author जितेंद्र जायसवाल

वेबदुनिया : हिंदी ऑनलाइन पत्रकारिता का वटवृक्ष

वेबदुनिया : हिंदी ऑनलाइन पत्रकारिता का वटवृक्ष - Webdunia online journlism
15 अगस्त 1995 का दिन भारत के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के संदर्भ में किसी पर्व से कम नहीं था जब इंटरनेट को आम लोगों के लिए खोला गया। इस दिन भारत आभासी रूप से दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगा। इंटरनेट भारत में आया तो सही लेकिन सभी के मन को भाया नहीं। इसका सीमित विस्तार तो एक समस्या थी ही लेकिन जो प्रमुख दिक्कत लोग महसूस कर रहे थे, वह यह थी कि इंटरनेट पर मौजूद अधिकतर सामग्री अंग्रेज़ी में थी। इसलिए लोग इससे जुड़ ही नहीं पा रहे थे।
 
तकनीक और भाषा के बीच की इस खाई को मध्य भारत के एक युवा उद्यमी श्री विनय छजलानी ने समझा और अपने परिवार के पत्रकारिता के लंबे प्रतिष्ठित अनुभव का उपयोग करते हुए इस खाई को भरने का निर्णय लिया। इस तरह 23 सितंबर 1999 को जन–जन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के घोष के साथ विश्व के पहले हिंदी वेब पोर्टल के रूप में वेबदुनिया का जन्म हुआ जिसमें भारत के हिंदी मानस के लिए समाचार सहित विविध विषयों पर हिंदी में स्तरीय सामग्री परोसनी शुरू की।
मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित समाचारपत्र समूह नईदुनिया के एक छोटे से एक कमरे से शुरू हुआ यह वेब पोर्टल अब वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है तथा आज भी हिंदी के सबसे सफल और लोकप्रिय वेब पोर्टलों में से एक है। जिस समय इंटरनेट के क्षेत्र में भाषाई पोर्टल्स के लिए संभावनाएं न के बराबर थीं, उस समय वेबदुनिया ने भारतीय भाषाओं को वेब पर लाने की दिशा में मील का पहला पत्थर रखा। 
 
वेबदुनिया के हिंदी पोर्टल पर आज 35 से अधिक चैनल उपलब्ध हैं जिनके द्वारा हिंदी पाठकों के आवश्यकता की हर सामग्री प्रस्तुत की जाती है। पोर्टल के दुनियाभर में लाखों चाहने वाले हैं तथा हर दिन इसे 10 लाख से अधिक पृष्ठ दृश्य प्राप्त होते हैं। वेबदुनिया ने अपने कारवां को हिंदी से आगे बढ़ाते हुए अन्य भारतीय भाषाओं में भी अपने अभियान का विस्तार किया है तथा पोर्टल को कुल सात भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया है।
 
यह बात सर्वविदित है कि हिंदी और भारतीय भाषाओं में सूचना प्रौद्योगिकी को कारगर ढंग से विस्तार प्रसार देने की ताकत है। यह विश्वास भी किया जाने लगा है कि हिंदी और अन्य भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं से इंटरनेट माध्यम का तादात्म्य आम भारतीय जीवन एवं जीवन पद्धति में आमूल चूल परिवर्तन लाएगा। इसी विचार के साथ इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के शंखनाद स्वरूप विश्व के पहले हिंदी पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम का शुभारंभ हुआ। 
 
मोटे तौर पर वेबदुनिया के क्रियाकलापों को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है:
– इंटरनेट माध्यम पर हिंदी और अन्य भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के लिए व्यावसायिक विपणन परिदृश्य का निर्माण।
– भारतीय भाषाओं पर आधारित तकनीकी अनुप्रयोगों का विकास, संवर्धन और विपणन।
– भारतीय भाषाई पोर्टलों का विकास, संचालन एवं भाषा सामग्री संबंधी सेवाएँ।
– भारतीय तथा दक्षिण एशियाई भाषाओं में अनुवाद और स्थानीयकरण सेवाएँ।
 
इसमें संदेह नहीं कि उपयोगिता, महत्ता एवं प्रासंगिकता की दृष्टि से वेबदुनिया की उपयोगिता लगातार बढ़ती जा रही है। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह लाभप्रद सिद्ध हो रही है तो निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियाँ भी इसे अपनाए हुए हैं। मीडिया एवं गैर अंग्रेजी भाषी भारतीय नेट उपभोक्ताओं के लिए वेबदुनिया वरदान सिद्ध हो रही है। 
 
यद्यपि वेबदुनिया का सूत्रपात इंटरनेट माध्यम पर हिंदी के लिए एक सुदृढ़ मंच प्रदान करने के लिए हुआ था, लेकिन निरंतर अथक प्रयासों से तमिल, तेलुगू, मलयालम, एवं सात अन्य भाषाओं को विभिन्न प्रकार से नेट पर संवर्धित किया गया है। वेबदुनिया पर आज 35 से अधिक चैनल और सेवाएँ उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से नेट उपभोक्ता हिंदी में सहभागिता करते हैं। देखा जाए तो वेबदुनिया हिंदी आधारित वेब सक्षम अनुप्रयोगों का ताना–बाना बनकर उभरा है। वामा, ज्योतिष, बच्चों की दुनिया, बॉलीवुड, रोमांस, क्रिकेट, साहित्य, समाचार आदि चैनल लोगों को अपनी पसंद की सामग्री उनके हाथों में उपलब्ध कर रहे हैं।
 
वेबदुनिया ने अपने पोर्टलों एवं बहुभाषीय विस्तृत सेवाओं के द्वारा इंटरनेट के मुक्ताकाश पर भारतीय भाषाओं का ज्ञानदीप जलाया है। इससे हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए इंटरनेट जैसे वैश्विक माध्यम पर सुदृढ़ आधार बनाने में सहायता मिली है। वेबदुनिया द्वारा विकसित हिंदी आधारित अनुप्रयोगों एवं अन्य भाषाओं के अनुप्रयोगों द्वारा इन भाषाओं में कार्य करना सहज एवं सरल हो गया है। आश्चर्य नहीं कि भाषा की महत्ता और तकनीकी समन्वय का सूत्रपात करके वेबदुनिया ने नेट को जन–जन तक का इंटरनेट बना दिया है। 
 
निसंदेह वेबदुनिया ने विश्व को अनेक ऐसी अनेक सेवाएँ दीं जिन्हें विश्व का प्रथम एवं अग्रणी होने का दर्जा प्राप्त है। इनमें हिंदी पोर्टल, बहुभाषीय ईमेल सेवा, खोज इंजन, वीडियो समाचार बुलेटिन, वेब वार्ता आदि प्रमुख हैं। वेबदुनिया द्वारा विकसित ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण तकनीक एक अनूठी तकनीक है जिसने कंप्यूटर और मोबाइल पर हिंदी की टाइपिंग को अत्यंत सरल बना दिया। इंटरनेट को भारत के आम आदमी तक पहुँचाकर वेबदुनिया ने एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। इसने अपने प्रयासों से नेट पर हिंदी भाषी उपभोक्ताओं का एक विशाल समुदाय सृजित किया है जो धीरे–धीरे अंग्रेजी नेट उपभोक्ताओं की संख्या को पार कर रहा है। इंटरनेट का यह भाषाई स्थानीयकरण निश्चित रूप से ई––क्रांति का शुभारंभ है जिसका श्रेय वेबदुनिया को ही जाता है।
 
वेबदुनिया की जिस समय शुरुआत हुई, वह भाषाई मीडिया के लिए चुनौतीभरा समय था, क्योंकि जिस देश में ज्यादातर भाषाई समाचार-पत्रों की स्थिति बहुत अच्छी न हो ऐसे में वेब पोर्टल की शुरुआत निश्चित ही एक साहसिक काम था। दूसरे अर्थों में कहें तो यह दुस्साहस था। 
 
मगर समय के साथ परिस्थितियां भी बदलीं, वेबदुनिया की मेहनत रंग लाई और पाठकों का कारवां बढ़ता ही गया। और ये यात्रा पूरे आत्मविश्वास के साथ जारी है। आज देश ही नहीं, पूरी दुनिया में वेबदुनिया की पहचान है। वेबदुनिया विदेशों में बसे हिन्दीभाषी भारतीयों की तो खास पसंद बन गया है। 
 
वेबदुनिया इसलिए भी खास है, क्योंकि जिस जमाने में अखबारों को तोप और तलवारों से ज्यादा ताकतवर और धारदार माना जाता था, ऐसे समय में लोगों को खबर पढ़ने के लिए उनके हाथ में कम्प्यूटर का माउस थमाना वाकई बड़ी बात थी। वेबदुनिया की यही खूबियां उसे औरों से अलग भी करती हैं और आज इस वेब पोर्टल की देश के प्रमुख हिन्दी पोर्टल्स में गिनती होती है।
 
वेबदुनिया ने जब अपने नन्हे कदम इंटरनेट के मंच पर रखे थे, तब आम लोगों के लिए इंटरनेट अंतरिक्ष में चलने वाली कोई वस्तु थी जिसके बारे में जानना अंग्रेजी भाषा में दक्ष लोगों का काम ही हुआ करता था, लेकिन भारत में आज इंटरनेट जन-जन की जरूरत बनता जा रहा है। अब लोगों के लिए इंटरनेट कोई अंतरिक्ष उपग्रह नहीं है बल्कि हाथ में रखा एक जादुई उपकरण मात्र है, जिसके माध्यम से अब वह अपने शहर नहीं, अमेरिका के शहरों से भी जुड़ गया है।
 
इंटरनेट के प्रारंभिक काल में इंटरनेट के संदर्भ में कई भ्रांतियां थीं। इसे पूरी तरह से अंग्रेजी भाषा का माध्यम माना जाता था। वास्तव में हिन्दी में पोर्टल की शुरुआत यह सोचकर की गई कि इंटरनेट जनसंचार का अत्यंत सुगम माध्यम बनता जा रहा है और देश में इसकी पहुंच जन-जन तक बनाने के लिए हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का सहयोग महत्वपूर्ण साबित होगा। वेबदुनिया ने न सिर्फ पहला हिन्दी पोर्टल होने का गौरव प्राप्त किया, बल्कि चार दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी सफलतापूर्वक पोर्टल चला रहा है। ये पोर्टल्स भारत में ही नहीं, विदेशों में भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। वेबदुनिया ने पहली बहुभाषी ब्लॉगिंग साइट माय वेबदुनिया, गेम्स, क्लासीफाइड से लेकर इंटरनेट पर अन्य कई प्रयोग किए।
 
वेबदुनिया के कुछ प्रमुख मील के पत्थर इस प्रकार रहे–
हिंदी पोर्टल : वेबदुनिया के हिंदी पोर्टल का औपचारिक शुभारंभ 23 सितंबर, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्द्रकुमार गुजराल ने किया था। वक्त के साथ वेबदुनिया के परिवार में तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी और गुजराती के पोर्टल भी जुड़े। आज वेबदुनिया परिवार में हिन्दी समेत सात पोर्टल हैं।
 
भारतीय भाषाओं में पहली ईमेल सेवा 'ई-पत्र' : जिस समय किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि इंटरनेट पर हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल भेजा जा सकता है, तब वेबदुनिया ने ई-पत्र के माध्यम से 1998 में पहले हिन्दी फिर 10 अन्य भारतीय भाषाओं में ई-मेल सेवा की शुरुआत की थी। ई-पत्र दुनिया का पहला ट्रांसलिटरेशन इंजन था, जिसके माध्यम से व्यक्ति रोमन में टाइप कर अपनी भाषा में अपना संदेश भेज सकता था। ई-पत्र पैड के माध्यम से वेबदुनिया ने ऑफलाइन भी यह सुविधा उपलब्ध करवाई थी, जिससे व्यक्ति ऑफलाइन भी अपनी भाषा में टाइप कर सकता था। कम्प्यूटर की भाषा में कहें तो यह कॉमन इंटरनेट ऑफलाइन यूटिलिटी सुविधा थी। 
 
विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन : इंटरनेट पर खबरें, आलेख आदि सामग्री हिन्दी में भी ढूंढी जा सकती है, इसकी शुरुआत का श्रेय भी वेबदुनिया के खाते में ही दर्ज है। पोर्टल की शुरुआत के मात्र दो वर्षों के भीतर विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन वेबदुनिया ने बनाया। आज जब हम समाचार या आलेख के साथ जरूरी की-वर्ड डाल देते हैं, यह तरीका बहुत आसान भी है। लेकिन उस दौर में हर खबर और आलेख के लिए अलग इंटरफेस के जरिए की-वर्ड डालना होता था। यह काफी परिश्रम वाला काम था, लेकिन इसी टीम की बदौलत शुरू हुआ विश्व का पहला हिन्दी सर्च इंजन।
 
फ़ोनेटिक की-बोर्ड- वेबदुनिया की तकनीकी दक्षता : फ़ोनेटिक की-बोर्ड वेबदुनिया की तकनीकी दक्षता को ही दर्शाता है। जब किसी ने इंटरनेट पर अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में टाइप करने के बारे में सोचा भी नहीं था, तब वेबदुनिया ने फोनेटिक की-बोर्ड के माध्यम से हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में टाइप करने की सुविधा प्रदान की। आज के जमाने के सभी प्रमुख फ़ोनेटिक टाइपिंग टूल इसी तकनीक पर आधारित हैं।
 
ई-वार्ता : इंटरनेट पर भाषाई चैटिंग की शुरुआत करने का श्रेय भी वेबदुनिया को जाता है। भारत में इंटरनेट के आरंभिक युग में ई–वार्ता के माध्यम से उसने कई भारतीय भाषाओं में चैटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई।
 
इस दौर में वेबदुनिया ने कई प्रयोगों में एक नया प्रयोग किया और वह यह कि चैट के माध्यम से देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल और जनता दल (यू) नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से भारत के लोगों की सीधी बात कराई जाए। इस विचार को वेबदुनिया ने 29 सितंबर 2000 को चैट का आयोजन कर मूर्तरूप भी दे दिया। देशभर से हजारों लोगों ने दोनों से सीधे सवाल पूछे। यह बहुत ही रोमांचक था। पहले सिर्फ पत्रकार ही सवाल पूछते थे, लेकिन यह कमाल का अनुभव था कि देश की आम जनता भी सीधे नेताओं से सवाल पूछ सकती थी। उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी से भी चैट के माध्यम से लोगों ने बात की। 
 
पहला ई-कॉमर्स- भाई को भेजा बहना का प्यार : आज के दौर में ई-कॉमर्स काफी लोकप्रिय हो रहा है। लोगों का रुझान ऑनलाइन शॉपिंग की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। ...लेकिन वेबदुनिया ने ई-कॉमर्स की शुरुआत तब की थी, जब इसके बारे में कोई बहुत अधिक नहीं जानता था। 21वीं सदी की शुरुआत में वेबदुनिया ने भाई-बहन के रिश्ते में और मिठास बढ़ाने का काम किया। आमतौर पर तब रक्षाबंधन के मौके पर बहनें अपनी राखियां डाक अथवा कोरियर से भेजती थीं, लेकिन विदेशों में भेजना तो और भी दुष्कर था। ऐसे में वेबदुनिया ने विदेशों में रह रहे भाइयों के लिए न सिर्फ राखियां बल्कि मिठाई का पैकेट, हल्दी, कुमकुम और चावल भी नाममात्र के शुल्क पर पहुंचाया।
 
इलाहाबाद कुंभ- अध्यात्म और आईटी का संगम : 21वीं सदी के पहले इलाहाबाद महाकुंभ में वेबदुनिया के सौजन्य से अध्यात्म और आईटी का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। उस समय वेबदुनिया ने देश-विदेश में मौजूद भारतीयों के लिए इलाहाबाद कुंभ से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराया। इनमें समाचार, कुंभ का इतिहास, आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व से लेकर कुंभ के आकर्षक फोटो भी श्रद्धालुओं तक पहुंचाए। महाकुंभ में वेबदुनिया का सबसे आकर्षक था 'ऑनलाइन स्नान' अथवा 'वर्चुअल स्नान'। उस समय इसे लोगों ने काफी सराहा था।
 
सफलता का राज : वेबदुनिया की सफलता का एकमात्र राज पाठकों को परोसी जाने वाली सामग्री की विविधता और समृद्धता है। वेबदुनिया पर भारतीय भाषाई पाठकों के लिए वह हर सामग्री उपलब्ध है जो वह पढ़ना चाहता है या जिसकी उसे अपनी रोजमर्रा के जीवन में आवश्यकता होती है।
 
तुलसीदासजी ने लिखा है- 'कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करहिं सो तस फल चाखा।' लेकिन मानव मन जिज्ञासु है तो शंकालु भी है। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर उसे शुभ और अशुभ की चिंता होती ही है। ऐसे में आप शुभारंभ कर सकते हैं अपने दिन का वेबदुनिया एस्ट्रो चैनल के साथ, जहां आपको दैनिक भविष्यफल तो मिलेगा ही, यहां आप साप्ताहिक भविष्यफल भी देख सकते हैं। 
 
...और जब गूंजती है आपके घर किलकारी तो उसकी कुंडली और भविष्य की भी तो चिंता आप करते ही हैं, ऐसे में वेबदुनिया देता है आपको ऑनलाइन कुंडली बनाने की सुविधा और 'आज जन्मे' यानी जिस दिन बच्चे का जन्म होता है उसके मान से उसका भविष्य। और हां, आप यहां दशहरे के दिन ऑनलाइन रावण दहन कर सकते हैं तो संक्रांति के दिन पतंगबाजी और गिल्ली-डंडे का मजा ले सकते हैं। ऐसी कई सुविधाएं हैं जिसका ऑनलाइन लुत्फं उठाया जा सकता है।
 
इसके साथ ही श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवतगीता, सत्यनारायण व्रत कथा, एकादशी व्रत कथा और तमाम तरह की आरती/ चालीसा पढ़ने के लिए आपको कहीं और जाने या खोजने की आवश्यकता नहीं। राम शलाका, टैरो कार्ड्स, विवाह कुंडली मिलान आदि ऐसी कई और भी सुविधाएं हैं, जो आप इस महासागर में गोता लगाने के बाद जान सकते हैं।
 
यदि आपको भारत के संविधान के बारे में जानकारी हासिल करना है, तो वह भी वेबदुनिया पर ऑनलाइन उपलब्ध है। इसके लिए आपको किसी किताब या लाइब्रेरी को खंगालने की जरूरत नहीं है। सामयिक विषयों पर हम आपको बहस के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाते हैं, तो पोल के जरिए 'आपकी राय' लोगों तक पहुंचाते हैं। पर्यटन, चुटकुले, मोबाइल, ऑटोमोबाइल, खोज-खबर, फोटो ‍फीचर, फोटो गैलरी, वीडियो इंटरव्यू आदि ऐसी कई सुविधाएं और सेवाएं हैं, जो आपकी जानकारी बढ़ाने में काफी कारगर सिद्ध होगी। 
 
किसी धार्मिक जगह की यात्रा करने से पहले 'धर्मयात्रा' चैनल जरूर देखें। यहां आपको देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी मिलेगी साथ ही वहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है, इसकी भी जानकारी मिलेगी। इसके अलावा दुनियाभर के धर्मों की जानकारी आपको धर्म दर्शन में मिल जाएगी। 'सतातन धर्म' नामक चैनल पर आपको हिन्दू धर्म से जुड़ी सभी जानकारियां मिल जाएंगी। जब धर्म की बात चली है तो 'योग' कैसे छूट सकता है। 'योग चैनल' में योगासनों के वीडियो के साथ सब कुछ तो है ही।
 
आज के समाचार का इंतजार कल तक क्यों? अभी क्यों नहीं? जी हां, आज के तकनीकी प्रधान युग में तो जब सुबह अखबार आपके हाथों में होता है, तब तक खबरें बासी भी हो जाती हैं। वेबदुनिया पर कुछ ही पलों में आपके लिए खबरें हाजिर हो जाती हैं। 
 
बात जब खेल की हो तब भी वेबदुनिया हमेशा अग्रिम पंक्ति में ही रहता है। क्रिकेट का विश्व कप हो या भारत में खेला जाने वाला आईपीएल का कोई मैच, क्रिकेट टिकर के माध्यम से हम हमेशा से ही आपका रोमांच बढ़ाते हैं। 
 
बॉलीवुड की रंगीन दुनिया में क्या चल रहा है? वह फिर चाहे किसी सितारे के प्रेम-प्रसंग की चर्चा हो या फिर नई फिल्म के रिलीज होने का मौका, सभी कुछ आपको मिलता है। आप यहां पाते हैं बॉलीवुड की चटपटी खबरें, आकर्षक फोटो, नई फिल्म की कहानी और समीक्षा भी। 
 
वेबदुनिया का सेहत चैनल वाकई काफी समृद्ध है। यहां देशी-विदेशी चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी के साथ ही आयुर्वेद, होम्योपैथ और देसी जड़ी-बूटियों के आसान और गुणकारी नुस्खे मौजूद हैं। योगासनों की विधि और वीडियो भी तो वेबदुनिया पर उपलब्ध हैं। 
 
वेबदुनिया का खजाना यहीं जाकर खत्म नहीं हो जाता है। यहां से चुन सकते हैं आप और भी कई अनमोल मोती, जो आपकी जानकारी में इजाफा ही करते हैं। बच्चों की दुनिया में आपके नन्हे-मुन्नों के लिए रोचक कहानियां, प्रेरक प्रसंग, निबंध आदि मौजूद हैं तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की जानकारी भी तो यह वेब पोर्टल आप तक पहुंचाता है। लाजवाब व्यंजन बनाने की विधि, साहित्य, सभी धर्मों के बारे में विस्तृत जानकारी, फोटो गैलरी आदि सभी कुछ वेबदुनिया पर उपलब्ध है। (साभार : विश्व हिन्दी पत्रिका)