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Written By ND

बारास्ता मोबाइल में घुसते हैकर

आईटी
- सतेन्द्र त्रिपाठी/राजीव शर्मा

ND
सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। यह स्लोगन केवल सड़क पर वाहन चलाते वक्त ही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते वक्त भी आपको इस पर ध्यान देना होगा। यह बात थोड़ी चौंकाने वाली जरूर है लेकिन कम्प्यूटर के बाद मोबाइल हैकर्स के गिरोह भी राजधानी में सक्रिय हो गए हैं।

एक से बढ़कर एक सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर मौजूद हैं जो मोबाइल हैक करने के धंधे में लगे हुए हैं। अपने घर की तरह आप अपने मोबाइल की खिड़की (ब्लूटूथ) व दरवाजे बंद रखिए। वरना कोई भी हैकर बड़ी आसानी से आपके मोबाइल में घुसकर चोरी कर फरार हो जाएगा और आपको पता भी नहीं लगेगा। अगर आपको पता लग भी गया तो तब तक आप अपना बहुत कुछ गंवा चुके होंगे।

इंटरनेट पर न जाने कितनी ही वेबसाइट और सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो इस काम का पूरा 'शिक्षण-प्रशिक्षण' दे रहे हैं। इनमें से कुछ की सेवा-सुविधाएं मुफ्त हैं तो कुछ के लिए पैसा लिया जा रहा है। 'स्पाई फोन गोल्ड', 'मोबाइल स्पाई', 'मैजिकब्लूहैक', 'आरसेवन', 'सुपर ब्लूटूथ हैक' और 'टोटलरिकॉल' आदि कुछ ऐसे ही सॉफ्टवेयर हैं जो हैकिंग के काम को आसान बना देते हैं।

इनमें से कुछ सॉफ्टवेयर ऐसे हैं जिनके इस्तेमाल के लिए पहले उस मोबाइल में इन्हें लोड करना पड़ता है जिसकी गतिविधि पर नजर रखनी हो या जिसे हैक करना हो, जबकि कुछ सॉफ्टवेयर ऐसे हैं जिन्हें अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर लोड करने की जरूरत होती है।

इसके बाद आपको अपना ब्लूटूथ ऑन करके मैसेज आदि के रूप में छिपा हुआ स्पाईवेयर प्रोग्राम भेजना पड़ता है। अगर सामने वाले ने आपके अपने मोबाइल के ब्लूटूथ से आपका यह मैसेज रिसीव कर लिया तो समझिए कि वह आपके जाल में फंस गया।

ND
मोबाइल फोन हैकिंग के ये प्रोग्राम इतनी जबरदस्त खासियतों से लैस हैं कि ये अपने टारगेट वाले फोन की एक-एक गतिविधि के बारे में आपको बता सकते हैं। इनमें से कई तो उस फोन द्वारा की गई कॉल या मैसेज की पल-पल की जानकारी किसी वेबसाइट पर बनाए गए आपके 'ई-मेल अकाउंट' में भेजते रहते हैं और कई प्रोग्राम यह सब जानकारी सीधे आपके मोबाइल पर ही भेजते रहते हैं।

टारगेट फोन ने कब किस नंबर पर फोन किया, कितने समय तक बात हुई, कब किसकी कॉल आई, कब किसने किसको कोई मैसेज भेजा आदि सारी जानकारी एसएमएस के रूप में आपको मिलती रहती है।

जहाँ पहले मोबाइल संबंधी साइबर अपराधों में केवल क्लोनिंग की ही शिकायतें आती थीं, वहीं अब इसका दायरा और ज्यादा बढ़ गया है। इंटरनेट से जुड़ने की सुविधा देने वाले मोबाइल फोन आसानी से हैकिंग के शिकार हो सकते हैं। इस काम को ब्लूटूथ और आसान बना देता है।

हैक किए गए फोन को ये लोग अपने फोन या कंप्यूटर से रिमोट कंट्रोल की तरह इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसे में ये लोग बात और एसएमएस आदि तो अपने फोन से ही करते हैं, लेकिन बिल आपको चुकाना पड़ता है। यहाँ तक कि इस स्थिति में ये लोग आपके फोन की एक-एक हरकत पर भी नजर रख सकते हैं।

मोबाइल फोन हैकिंग कितनी खतरनाक हो सकती है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आजकल '3-जी' और '4 -जी' जैसी सेवाएँ आने से लोग अपने काम कंप्यूटर की तरह मोबाइल से भी करने लगे हैं। इसके अलावा अत्यंत निजी व संवेदनशील जानकारियाँ, आँकड़े आदि भी मोबाइल फोन में रहने लगी हैं।

ये सब चीजें हैकिंग के जरिए किसी शातिर अपराधी तक पहुँच सकती हैं। वह भी कुछ ही मिनटों में। विदेशों में तो इस तरह के मामले भी सामने आ चुके हैं कि हैकर्स ने किसी के मोबाइल फोन के कैमरे को ऑन करके उसके निजी जीवन में भी ताँक-झाँक शुरू कर दी।