जिहादियों ने गुरुद्वारा उड़ा दिया पर 'आतंकवाद' नहीं
जर्मनी के ऐसेन नगर में इस्लामिक स्टेट समर्थिक जिहादियों ने सिखों के एक गुरुद्वारा को विस्फोट से उड़ा दिया लेकिन जर्मन सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह आतंकवादी कृत्य नहीं है।
लगता है जर्मनी के अधिकारी उसी निकट दृष्टिदोष से पीड़ित हैं जिसने पश्चिम देशों की सरकारों और अधिकारियों को अपनी चपेट में ले लिया है। वे यह नहीं मानते हैं कि यह उनके खिलाफ एक युद्ध है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार रात म्यूनिख में आतंकियों की गोलीबारी में छह लोगों की मौत हो गई।
उन लोगों द्वारा प्रत्येक आतंकी हमला किया जाता है ताकि वे मुक्त विश्व को समाप्त कर सकें। लेकिन, पश्चिमी देशों ऐसे हमलों के पीछे उद्देश्य खोजने का नाटक करते हैं और बाद में मान लेते हैं कि यह एक छिटपुट वारदात है।
जर्मनी में तीन मुस्लिम किशोरों ने एक गुरुद्वारे को बम से उड़ा दिया और इन लड़कों का स्थानीय सलाफी नेताओं से भी सम्पर्क था। ये लड़की तुर्की मूल के हैं और इन्हें कोर्ट ने हत्याओं का प्रयास करने, हमले करने और विस्फोट को अंजाम देने का दोषी पाया, लेकिन जर्मनी के संघीय अभियोजन अधिकारी इसे आतंकवाद का मामला नहीं मानते।
इस मामले में पुलिस ने मोहम्मद बी. (एसेन) यूसुफ टी (गेलसेनकुर्खेन) दोनों ही 16 वर्ष को गिरफ्तार किया। इन लड़कों ने विस्फोटक उपकरणों को बनाया और उनका इस्तेमाल किया। बाद में इन दोनों को गिरफ्तार किया गया। कुछ समय बाद तीसरे आरोपी टोल्गा आई. को भी गिरफ्तार किया गया। यह घटना डसलडोर्फ के पास एसेन में अप्रैल, 2016 में हुई थी जिसमें तीन लोग घायल हो गए थे, जिनमें एक 60 वर्षीय सिख ग्रंथी भी गंभीर रूप से घायल हुआ था। पुलिस ने यूसुफ को गिरफ्तार किया था जिसके खिलाफ एक वीडियो भी मिला था।
ये तीनों एक व्हाट्सएप ग्रुप 'सपोटर्स ऑफ द इस्लामिक खिलाफत' के सदस्य हैं और तीनों ही तुर्की मूल के हैं। लेकिन गिरफ्तारी के बाद यह सवाल उठाया गया कि क्या यह काम आतंकवाद से प्रेरित था? बहुत से स्थानीय लोगों को इस बात को लेकर हैरानी हुई कि संघीय अभियोजकों ने इसे आतंकवाद की कार्रवाई ही नहीं माना। इस शुतुरमुर्गी रवैए से यह बात मानी जा रही है कि इस्लामी आतंकवाद के खतरे को लेकर यूरोप के पश्चिमी देश खुद अपनी कब्रें खोदने पर उतारू हैं।