yazidi religion in hindi: इस्लामिक देशों के बीच एक ऐसा प्राचीन और रहस्यमय समुदाय मौजूद है जो अपनी अनूठी मान्यताओं और परंपराओं के कारण दुनिया भर में चर्चा का विषय रहा है। इन्हें यजीदी (Yazidi) कहा जाता है। मुख्य रूप से इराक के उत्तरी क्षेत्रों, विशेषकर सिंजार पर्वतमाला में बसे ये लोग, मुस्लिम बहुल इलाकों में रहते हुए भी अपनी विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को सदियों से संरक्षित किए हुए हैं। यह समुदाय अपनी बहादुरी और आध्यात्मिक गहराई के लिए जाना जाता है, लेकिन इनकी सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये हिंदू धर्म जैसी कई मान्यताओं में विश्वास रखते हैं।
कौन हैं यजीदी और कहां रहते हैं?
यजीदी एक प्राचीन धार्मिक समुदाय हैं जिनकी जड़ें मेसोपोटामिया की सभ्यताओं में खोजी जा सकती हैं। ये मुख्य रूप से इराक के उत्तरी हिस्सों में, विशेष रूप से सिंजार पर्वतमाला के आसपास केंद्रित हैं। हालाँकि वे मुस्लिम देशों में रहते हैं, उनकी धार्मिक परंपराएँ इस्लाम से काफी हद तक अलग मानी जाती हैं। उन्होंने बाहरी प्रभावों से अपनी पहचान को बचाए रखा है, जिसके लिए उन्हें अक्सर कट्टरपंथी समूहों की नफरत का सामना करना पड़ता है।
हिंदू धर्म से मिलती-जुलती यजीदी मान्यताएं
यजीदी धर्म की सबसे खास बात यह है कि इसमें पुनर्जन्म, मोक्ष और कर्म जैसी कई अवधारणाओं में विश्वास किया जाता है, जो हिंदू धर्म से काफी मेल खाती हैं। इसके अलावा, यजीदी संस्कृति में मूर्ति पूजा, रंगों, प्रतीकों और तीर्थयात्रा का भी विशेष महत्व है। आइए इन समानताओं को करीब से समझते हैं:
1. पुनर्जन्म और कर्म में विश्वास: यजीदी मानते हैं कि आत्माएँ शरीर बदलती हैं और अपने कर्मों के अनुसार विभिन्न जन्म लेती हैं। यह अवधारणा सीधे तौर पर हिंदू धर्म के पुनर्जन्म और कर्म के सिद्धांत से जुड़ी हुई है।
2. देवता और सात पवित्र आत्माएँ: यजीदियों का मानना है कि ईश्वर ने दुनिया की रचना की और फिर उसकी देखरेख की जिम्मेदारी सात पवित्र आत्माओं (जिन्हें फरिश्तों की तरह देखा जाता है) को सौंप दी। यह बहु-देवतावाद की धारणा से मिलता-जुलता है, जहाँ हिंदू धर्म में भी अनेक देवी-देवताओं की मान्यता है जो ब्रह्मांड के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
3. मूर्ति पूजा और रंगों का महत्व: यजीदी अपनी पूजा में रंगों और प्रतीकों को खास महत्व देते हैं। उनके लिए धार्मिक अनुष्ठानों में नीला रंग बहुत शुभ माना जाता है। वे मूर्ति पूजा भी करते हैं, जो हिंदू धर्म की एक प्रमुख विशेषता है।
4. पवित्र नदियों में स्नान: यजीदी पवित्र नदियों में स्नान करने को शुद्धिकरण का एक तरीका मानते हैं। यह प्रथा हिंदू धर्म में गंगा स्नान जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर आत्मशुद्धि करने की परंपरा से काफी मिलती-जुलती है।
5. त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान: यजीदियों के त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में भी हिंदू शैली की झलक दिखाई देती है, जैसे अग्नि के चारों ओर घूमना (फेरे लेना) और विशेष प्रकार के मंत्रों का उच्चारण करना।
खतना करवाते हैं लेकिन धर्म परिवर्तन के खिलाफ यजीदी
एक ओर जहाँ यजीदी कई मायनों में हिंदू धर्म से समानता रखते हैं, वहीं वे कुछ ऐसी प्रथाओं का भी पालन करते हैं जो इस्लाम में मान्य हैं, जैसे कि खतना (circumcision)। हालांकि खतना यहूदी धर्म का भी हिस्सा है और यजीदी समुदाय में यह प्रथा यहूदियों का प्रभाव है।
इसके साथ ही, यजीदी समुदाय धर्म परिवर्तन के सख्त खिलाफ होता है। वे अपने समुदाय के बाहर शादी करने से भी बचते हैं ताकि उनकी धार्मिक शुद्धता और पहचान बनी रहे। इसी कारण से उनका समुदाय आबादी में छोटा बना हुआ है।
कट्टरपंथियों की नफरत और यजीदियों का संघर्ष
यजीदियों ने अपने इतिहास में कट्टरपंथी समूहों द्वारा भयंकर उत्पीड़न का सामना किया है। इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे संगठनों ने उन्हें 'काफिर' या 'शैतान की पूजा करने वाला' मानकर उन पर अत्याचार किए, जिसके परिणामस्वरूप नरसंहार, गुलामी और विस्थापन हुआ। यह नफरत इस तथ्य से उपजी है कि यजीदी एकेश्वरवादी इस्लाम को नहीं मानते और उनकी अपनी अनूठी मान्यताएँ और अनुष्ठान हैं जो इस्लामिक सिद्धांतों से भिन्न हैं।
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