गुरुवार, 14 नवंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी

रहस्यमयी समुद्र के अद्भुत हैं ये 10 जीव-जंतु

Sea Creatures | रहस्यमयी समुद्र के अद्भुत है ये 10 जीव-जंतु
समुद्री जीव 2 प्रकार के होते हैं- पौधे तथा प्राणी। समुद्र की गहराई के मात्र 1 प्रतिशत हिस्से में रहने वाले जीवों और वनस्पतियों की किस्मों के बारे में वैज्ञानिक जानकर हैरान रह गए हैं। इन महासागरों के गर्भ में अद्भुत जीव-जंतु, दुर्लभ पौधे और हैरान कर देने वाले बैक्टीरियां मौजूद हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि समुद्र में जीव-जंतुओं की 2 लाख से अधिक प्रजातियां विचरण करती हैं। बैक्टीरिया की 35 हजार प्रजातियां, वायरस की 5 हजार और एक कोशिकीय पौधों की करीब डेढ़ लाख नई प्रजातियां खोजी गई हैं। समुद्री जीवन धरती की अपेक्षा कहीं ज्यादा विचित्र और रहस्यों से भरा है। 
 
 
1. यहां एक और जहां विशालकाय व्हेल है तो दूसरी और आंखों से न दिखाई देने वाली मछलियां या जीव भी अपना जीवन जी रहे हैं। 
 
2. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्लू व्हेल की जीभ का वजन ही हाथी के बराबर है। महासागर में मौजूद सबसे छोटा जीव प्लैंकटन है।
 
3. शिकारी स्पर्म व्हेल और अंटाकर्टिक स्लीपर शार्क, अन्य भयानक शार्क, विशालकाय व्हेल, डरावनी शक्लों वाले ड्रैगन जैसी दिखने वाली मछलियां, चमकीली मछलियां, लैंप जैसी आंखों वाली मछलियां, करीब 1 मीटर चौड़ी जेली फिश, स्टार फिश, पारदर्शी मछली, रंग बदलने वाली मछलियां आदि हजारों मछली की प्रजातियां हैं। मछली को समुद्र का प्रमुख जीव माना जाता है। समुद्र मछलियों से भरा पड़ा है।
 
4. हालांकि समुद्र में विशालकाय समुद्री सांप की लाखों प्रजातियां रहती है। जैसे, केप साटेनो के समुद्री सांप, एचएमएस डेडोलस के समुद्री सांप, हालिफैक्स का समुद्री सांप, प्रिंस के समुद्री सांप, मानेड के समुद्री सांप, ऐजेडे के समुद्री सांप, ग्लॉस्टर के समुद्री सांप, ओलाउस के समुद्री सांप आदि।
 
5. इसके अलावा भयानक सूंडों वाले तरह-तरह के ऑक्टोपस, 13 मीटर लंबा आर्किटयूथिस, विशालकाय अनाकोंडा और भयानक जहरीले सर्पों से भरा है समुद्र।
 
6. इसके अलावा समुद्र में हजारों किस्म के बैक्टीरिया, कीड़े-मकोड़े, केकड़े और झींगों की संख्या करोड़ों में होगी, जो समुद्र की गहराइयों में पाए जाते हैं। 2 मीटर तक के कीड़े भी समुद्र के कुछ विशेष क्षेत्र में पाए जाते हैं। सागर में जीवित प्राणियों के सभी प्रमुख समूह जैसे कि जीवाणु, प्रोटिस्ट, शैवाल, कवक, पादप और जीव पाए जाते हैं। 
 
7. इसके अलावा कमल जैसे दिखने वाले रेंगते फूल, ब्लड रेड समुद्र फेनी (स्विड), रेंगने और कई भुजाओं वाले पौधे, कोरल और लाखों तरह की वनस्पतियां पाई जाती हैं। अधिकांश समुद्री पौधे हरे, भूरे तथा लाल शैवाल हैं।
 
8. कहते हैं कि जिस सुरसा को हनुमानजी ने समुद्र में मार दिया था जो समुद्री डायनासोर के समान थी। मकर (मगर नहीं) जो वरुण का वाहन है। जल में ही रहता था जो कुछ-कुछ डायनासोर और मगर के बीच के जैसा लगता है। हालांकि पौराणिक मान्यता अनुसार सुरसा विशालकाय नागों की मां थी।
 
9. श्रीमद भागवत के 12.9.16 में लिखा है। तिमिलिंग नामक एक विशालकाय मछली है समुद्र में। जीवाश्म विज्ञानियों ने विशालकाय मछली के जीवाश्म खोजे और उसे नाम दिया मेगालोडोन (megalodon)। यह प्रागैतिहासिक काल में रहने वाली एक विशाल हांगर थी। इसके विशालकाय दांत थे। वर्तमान में सबसे विशालकाय मछली व्हेल होती है।
 
10. एक होता है मगर जो वर्तमान में पाया जाता है जिसे सरीसृप गण क्रोकोडिलिया का सदस्य माना गया है। यह उभयचर प्राणी दिखने में छिपकली जैसा लगता है और मांसभक्षी होता है, जबकि एक होता है समुद्री मकर जिसे समुद्र का ड्रैगन कहा गया है। श्रीमद्भभागवत पुराण में इसका उल्लेख मिलता है जिसे समुद्री डायनासोर माना गया है। महाभारत में गहरे समुद्र के भीतर अन्य जीवों के साथ तिमिंगिला और मकर के होने का उल्लेख मिलता है। (महाभारत वनपर्व-168.3)। सुश्रुत संहिता के अनुसार तिमि, तिमिंलिगा, कुलिसा, पकामत्स्य, निरुलारु, नंदीवारलका, मकरा, गार्गराका, चंद्रका, महामिना और राजीवा आदि ने समुद्री मछली के परिवार का गठन किया है।-(सुश्रुत संहिता-अध्याय-45)
 
दूसरी ओर हम सुनते और पौराणिक साहित्य में पढ़ते आए हैं कि समुद्र में जलपरियां होती हैं, हाथी और घोड़े भी होते हैं। शेषनाग भी समुद्र में ही रहता है। समुद्र में कहीं पर एक नागलोक भी हैं, जहां आधे मानव रूप में नाग रहते हैं। यह भी सुना है कि समुद्र में ही 7 पाताल लोक भी हैं। समुद्र में मत्स्य मानव, नाग कन्या या जलपरियां रहती है। दुनियाभर की लोककथाओं इन जलपरियों के बारे में बहुत-सी कथाएं पढ़ने को मिलती है। कहते हैं कि कुंति पुत्र अर्जुन की एक पत्नी जलपरी ही थी। कुछ वर्ष पूर्व अमेरिकी समुद्र में एक इसी तरह की मत्स्य कन्या पाई गई थी हालांकि उसे निकालने के पूर्व ही वह दहशत के कारण मर गई थीं। अखबारों में इसके चित्र भी छपे थे। हालांकि यह खबर कितनी सच थी यह कोई नहीं जानता। परंतु इसके कोई पुख्‍ता प्रमाण नहीं है।