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Last Updated : शनिवार, 20 नवंबर 2021 (12:11 IST)

Milkha singh Birth Anniversary : फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के बारे में 10 प्रमुख जानकारियां

Milkha singh  Birth Anniversary : फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के बारे में 10 प्रमुख जानकारियां - flying milkha singh
दुनिया के महान धावक, ऐशियन और कॉमनवेल्‍थ में गोल्‍ड मेडलिस्‍ट विजेता, ओलंपिक फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का 20 नवंबर 1929 को गुलाम भारत में जन्‍म हुआ था। वे करीब 15 भाई-बहन थे। भारत के विभाजन में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान में अपने माता-पिता और भाई-बहन को खो दिया था। इसके बाद शरणार्थी के तौर पर वे पाकिस्तान की ट्रेन से दिल्‍ली आ गए। यहां पर वह कुछ दिन अपनी बहन के घर रहे। इसके बाद दिल्‍ली की शाहदरा इलाके में शरणार्थी कैंप लगा था जिसमें उन्होंने कुछ दिन गुजारे।

उनके घर से स्कूल की दूरी करीब 10 किमी थी। जिसे मिल्खा हमेशा दौड़कर पार करते थे। 1951 में अपने भाई के कहने पर मिल्खा सिंह ने आर्मी जॉइन कर ली। इसके बाद उन्हें आर्मी में खेलकूद में स्पेशल ट्रेनिंग में चुना गया। कामयाबी की ऐसी कई कहानियां, किस्से और लम्हें हैं जिन पर देश को नाज को होता है। इस खास दिवस पर जानते हैं जानते हैं मिल्खा सिंह के बारे में 10 प्रमुख जानकारियां

1.कॉमनवेल्‍थ खेल में भारत को पदक दिलाने वाले मिल्खा सिंह पहले भारतीय थे। 1958 और 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वहीं रोम में 1960 और टोक्यो में 1964 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

2.1960 में रोम ओलंपिक में 40 साल पुराना कीर्तिमान तोड़कर नया कीर्तिमान गढ़ा। लेकिन पदक जीतने से वंचित रह गए थे। हालांकि खेल में उनके इतना योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उस वक्‍त चहुओर मिल्खा सिंह के चर्चे थे।

3. मिल्खा सिंह ने खेल क्षेत्र में अहम योगदान भी दिया और देश का नाम भी रोशन किया। फ्लाइंग मिल्खा सिंह ने ओलंपिक खेलों में करीब 20 मेडल अपने नाम किए। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है।  

4. मिल्‍खा सिंह, निर्मल कौर से पहली बार कोलंबो में मिले थे। निर्मल कौर भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तानी भी कर चुकी थीं। 1962 में मिल्खा सिंह और निर्मल कौर ने विवाह कर लिया था। इनकी 2 बेटी हैं और 1 बेटा हैं। वहीं 1 बेटे को गोद लिया था जिनका नाम हवलदार बिक्रम सिंह था। लेकिन टाइगर हिल युद्ध में वे शहीद हो गए।

5.मिल्‍खा सिंह ने हमेशा से जीतने के लिए कड़ी मेहनत करते थे। वे कहते थे, अभ्यास करते रहने से इंसान परफेक्‍ट बनता है। मिल्खा सिंह की खासियत थी की वे ट्रेन के साथ दौड़ लगाते थे। इस दौरान उन्‍हें बहुत सारी चोट आई। लेकिन वह रुके नहीं। लगातार प्रैक्टिस करते रहें।  

6. 1958 में मिल्‍खा सिंह ने एशियाई खेलों में 2 स्वर्ण पदक जीता। और 1958 में  उन्‍होंने कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीता था। एशियाई खेलों में सफलता हासिल करने के बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमीशन का पद मिल गया था।

7. 1962 में मिल्खा सिंह को पाक के जनरल अयूब खान ने कहा था, 'आज तुम जैसे दौड़ रहे हो ऐसा दौड़ते हुए किसी इंसान को नहीं देखा, बेटा तू उड़ा नहीं उड़ा हैं आज से दुनिया तुम्हें सिख नहीं बल्कि फ्लाइंग सिख के नाम से पहचानेगी। आपको ये खिताब देते हुए फक्र महसूस कर रहा हूं।'

8.2001 में मिल्खा सिंह ने अर्जुन पुरस्‍कार लेने से इंकार कर दिया था। क्‍योंकि उन्हें बहुत देर से वह पुरस्‍कार दिया गया था।

9. चीते की तरह दौड़ना बहुत आसान नहीं है। रेस क्रॉस कंट्री में 500 धावकों में मिल्खा सिंह छठे नंबर पर रहे थे।

10.1962 में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान के सबसे तेज धावक अब्‍दुल खालिक को पराजित किया था।