Chhatrapati Shivaji Biography : छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान योद्धा, रणनीतिकार और प्रशासक थे। उन्होंने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो हमें प्रेरणा देते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन से जुड़े 5 महत्वपूर्ण कार्य आज भी याद रखे जाते हैं, वो कुछ इस प्रकार हैं। आइए जानते हैं यहां...
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1. बचपन से ही नेतृत्व क्षमता: शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था। जीजाबाई ने उन्हें बचपन से ही रामायण, महाभारत और अन्य वीरों की कहानियां सुनाईं, जिससे उनमें वीरता और देशभक्ति के गुण विकसित हुए। उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय बचपन में ही दे दिया था। उन्होंने अपने साथियों को संगठित करके गांवों और किलों पर आक्रमण करना शुरू कर दिया था।
2. अफजल खान का वध: जदुनाथ सरकार की किताब शिवाजी एंड हिज़ टाइम्स के अनुसार जब बीजापुर में शिवाजी की गतिविधियां बढ़ गईं, तो अफजल खां को उन्हें धोखे से पकड़ने के लिए भेजा। वो शिवाजी से दोस्ती का झूठा नाटक करके एक पत्र भेजता है। शिवाजी उसकी चाल समझ जाते हैं और वे एक कूटनीति के तहत उसे एक पत्र भेजकर जवाली आने के लिए मना लेते हैं। तय हुआ कि 10 नवंबर, 1659 की दोपहर अफजल खां शिवाजी से मिलेगा। वो एक पालकी पर हथियार समेत प्रतापगढ़ किले के नीचे लगाए शामियाने में उतरेगा। वो अपने साथ 3 सैनिकों को ला सकता है। शिवाजी को भी अपने हथियार और उतने ही सैनिक लाने की अनुमति दी गई। अफजल शिवाजी से मिलने पहुंचा और उसकी योजना था कि वह अपने खंजर से शिवाजी की हत्या कर दें। शिवाजी ने भी अपनी आत्म रक्षा के लिए तैयारी कर रखी थी। उन्होंने अपनी दाहिनी आस्तीन में उन्होंने एक हथियार बिछुआ रखा। अपने बाएं हाथ में उन्होंने लोहे का शेर के पंजे की शक्ल का एक वाघ-नख इस तरह रखा कि उस पर किसी की सीधी नजर न पड़ सके।
अफजल खां ने मुस्कुराते हुए शिवाजी को गले लगाने के लिए अपनी बांहें फैला दीं। शिवाजी कद में अफजल खां से बहुत छोटे थे और सिर्फ उसके कंधे तक आते थे। जब ये दोनों गले मिल रहे थे तभी शिवाजी ने अपने आप को असहज महसूस किया। एक सेकेंड से भी कम समय में अफजल खां ने अपने बाएं हाथ से शिवाजी की गर्दन को अपनी बांहों में जकड़ लिया और वे खंजर मारने लगे। शिवाजी ने अफज़ल खां की पकड़ से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने और जोर से शिवाजी की गर्दन को जकड़ लिया। तब शिवाजी ने सांप की तरह मुड़ते हुए पहले अपनी बांह को आजाद कराया और बाईं हथेली में छिपे वाघ-नख को अफजल की पीठ में घुसा दिया। बिछुए से अफजल के पेट पर वार किया। इसके बाद वहां अफरा तफरी मच गई बाद में घायल अफजल भागने का प्रयास करने लगा लेकिन वह मारा गया।
4. राज्याभिषेक: 1674 में शिवाजी महाराज ने अपना राज्याभिषेक करवाया और छत्रपति की उपाधि धारण की। उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और उसे एक शक्तिशाली राज्य बनाया। उन्होंने अपनी प्रजा के लिए कई कल्याणकारी काम किए। उन्होंने किसानों और व्यापारियों के लिए कई योजनाएं बनाईं। उन्होंने महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम किया।
5. गुरिल्ला युद्ध: गुरिल्ला युद्ध का तरीका, शिवाजी महाराज की यह युद्ध नीति बहुत ही अनोखी थी। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध का इस्तेमाल किया। गुरिल्ला युद्ध में सैनिक दुश्मन पर अचानक हमला करते हैं और फिर छुप जाते हैं। इस युद्ध नीति से उन्होंने मुगलों को बहुत परेशान किया।
इसके अलावा भी शिवाजी महाराज के अन्य कई महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जो हमें उनसे शिक्षा लेने के लिए आज भी प्रेरणा देती हैं।
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