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Last Modified: बुधवार, 18 अक्टूबर 2023 (10:10 IST)

पीजी विद्यार्थीयों के लिए साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला

पीजी विद्यार्थीयों के लिए साइबर सुरक्षा पर कार्यशाला - Workshop on cyber security for PG students
इंदौर। एससीएसआईटी (SCS/IT), रामानी सभागार देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) इंदौर में दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र (ddukk) के तत्वावधान मे कुलपति डॉ. रेणु जैन के मार्गदर्शन व डॉ. माया इंगले के निर्देशन में पीजी विद्यार्थियों के लिए 'साइबर सुरक्षा और साइबर लॉ' विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
 
राष्ट्रीय स्तर के साइबर सुरक्षा ट्रेनर प्रो. गौरव रावल को सर्टिफिकेट कोर्स के अंतर्गत सत्र लेने के लिए एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। सत्र का उद्देश्य विभिन्न संकाय के पीजी विद्यार्थियो को साइबर अपराधों पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 के प्रावधानों और उसके तहत ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे अपने को सुरक्षित करे था।
 
प्रो. रावल ने कहा कि हम साइबर अपराध की घटनाओं को सुनते हैं पढ़ते हैं फिर उसे अनदेखा कर देते हैं। यही व्यवहार हमें साइबर क्राइम का शिकार बना देता है ऑनलाइन शॉपिंग, जॉब, पेमेंट, डेटा शेयरिंग, चैटिंग, मेल भेजना, बैंकिंग वर्क, ऑनलाइन स्टडीज, जैसे अनेक काम इंटरनेट के माध्यम से करते हैं। लेकिन ऑनलाइन सुरक्षा और गोपनीयता के बारे मे जानकारी नहीं रखते।

इस कारण अपराधी हमें अपना शिकार बना लेते हैं। हम अपनी व्यक्तिगत जानकारी सोशल मीडिया पर किसी से भी शेयर ना करें। अनजान एप्लीकेशन डाउनलोड न करें। अनजान लिंक पर क्लिक न करें। अनजान फ्रेंड रिक्वेस्ट या वीडियो कॉल स्वीकार न करें। बैंक से बोल रहे हैं या इनकम टेक्स से बोल रहे हैं। आपकी जानकारी अपडेट करना है जैसे फोन कॉल ब्लॉक कर दें। गलती से की गई गलती आपको गंभीर संकट डाल सकती है। 
 
उन्होंने केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT) की भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में भी बताया। प्रोफेसर गौरव रावल ने विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जैसे कि साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने में भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियां जैसे विभिन्न कारकों के कारण उत्पन्न होती हैं:
 
पुलिस को विभिन्न चैनलों के माध्यम से साइबर शिकायतें मिल रही हैं और यह देखा गया है कि छात्र शिकायत दर्ज करने से हिचकते हैं। लोग इस तरह के मामलों में आधिकारिक शिकायत नहीं करना चाहते हैं। लोग चाहते हैं कि हम (कानून प्रवर्तन एजेंसियां) अनौपचारिक रूप से इस तरह के मामलो को संभालें। अधिकांश लड़कियां साइबर अपराध की रिपोर्ट नहीं करतीं क्योंकि वे इससे जुड़े सामाजिक कलंक के बारे में चिंतित होती हैं।
 
प्रो. गौरव ने बताया कि भारत में 75 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और उनमें से लगभग 32 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। आजकल छात्र ऑनलाइन रेलशनशिप में आसान शिकार बनते जा रहे हैं और उनके साथ भावनात्मक उत्पीड़न के मामले अक्सर आ रहे हैं।

आजकल भ्रामक सूचनाओं, फर्जी खबरों में भी वृद्धि देखी जा रही है, लड़कियों और महिलाओं को शादी का झांसा देकर ऑनलाइन ठगा जा रहा है जब कोई महिला या लड़की मैलवेयर लिंक पर क्लिक करती हैं तो साइबर अपराधी फोन पर उनकी सारी जानकारी जैसे कैमरा, माइक्रोफ़ोन चालू करके, उनके अंतरंग व गोपनीय डेटा तक पहुचकर उन्हें कैप्चर कर लेते हैं फिर उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
 
इस सत्र में सभी छात्रों के साथ डॉ. माया ने सक्रिय रूप उपस्थित रहीं और साइबर दुनिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। पीजी विद्यार्थीयों को आज के दौर में हो रहे साइबर क्राइम के खिलाफ सही व सटीक जानकारी मिली। कुमारी अंशिका जैन ने प्रो. रावल को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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