स्मृति कलश से छलकी प्रख्यात लेखिका मालती जोशी की यादें
लेखिका और कहानीकार मालती जोशी की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय आयोजन संपन्न
प्रख्यात लेखिका, कहानीकार और कवियत्री मालती जोशी के लेखन और चरित्र को केंद्र में रखते हुए 4 जून को उनके 91वें जन्मदिवस के मौके पर बेहद आत्मीयता और सादगीपूर्ण तरीके से उन्हें याद किया गया। उनके परिवार द्वारा आयोजित आयोजन में उनके पाठकों और चाहने वालों ने उन्हें याद किया। मालती जोशी के बेटे सच्चिदानंद जोशी के मार्गदर्शन में मालती जोशी की स्मृति में इंदौर के जाल सभागृह ऑडिटोरियम में 4 और 5 जून को दो दिवसीय स्मृति कल्प नाम से आयोजन किया गया।
स्मृति कलश से छलकी यादें : एक पल को ऐसा लगा जैसे मालती जोशी खुद सभागार में मौजूद हैं विवेक सावरीकर के नेतृत्व में भोपाल के रंग मोहिनी ग्रुप द्वारा मालती जोशी पर केंद्रित नाटक स्मृति कलश का मंचन किया। इस नाटक के माध्यम से मालती जोशी से जुड़े कई रोचक प्रसंग प्रस्तुत किए गए। पत्र के माध्यम से मालती जोशी स्वयं बताती हैं कि कैसे कई बार उन्हें व्यंग्यकार शरद जोशी की पत्नी मान लिया गया। एक बार स्वयं शरद जोशी की पत्नी इरफान के साथ आए और एक परिचित के सामने इस गलतफहमी को दूर किया। वैसे ही कुछ और रोचक प्रसंग के दौरान पेश किए गए। मालती जोशी के पुत्र सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि उन्होंने स्मृति कल्प के लिए सबसे पहले इंदौर को इसलिए चुना, क्योंकि मालती जोशी के प्राण इंदौर में बसते थे।
उन्होंने कहा कि उनकी मां कहती थी कि उनके लिए समीक्षक नहीं पाठक ही श्रेष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि मालती जोशी की रचनाएं परिवार और आसपास के परिवेश के इर्दगिर्द ही रहीं। भारत भवन में आयोजित एक कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आप पर बोलने वाला कोई नजर नहीं आता तो मालती जोशी ने कहा कि मुझे सुनने वाले आए हैं, ऐसे में मुझे बोलने वालों की कोई चिंता नहीं है।
रिश्तों के मनोविज्ञान की जानकार थी मालती जी : इस मौके पर उपस्थित
साहित्यकार एवं पत्रकार निर्मला भुराड़िया ने कहा- हम सब मालती जोशी जी को पढ़कर बड़े हुए हैं। जिन्हें साहित्य में रुचि नहीं होती थी वह भी मालती जोशी की कहानियों को पढ़ते थे। मालती जोशी अपनी रचनाओं में घर परिवार की बातें लिखती थीं, लेकिन घर की बात लिखना बड़ी बात है। दुनिया के बारे में लिखने के लिए जानकारी की जरूरत होती है, लेकिन घर के बारे में लिखने के लिए गहरी संवेदना की जरूरत होती है। मालती जोशी ने घर और कृष्ण का जो भावनात्मक संसार रचा वह वाकई अभिभूत करने वाला है। रिश्तों की बड़ी की को पकड़ने की जो महारथ मालती जी को थी वह बहुत बड़ी चीज है। वह रिश्तों के मनोविज्ञान को बहुत ही गहराई से समझती थी।
कहानी का पाठ किया : संतोष मोहंती ने मालती जी की रचना ब्लू व्हेल का पाठ किया अर्चना मंडलोई ने उनकी कहानी शुभकामना का पाठ किया मिलिंद देशपांडे ने उनकी रचना वह खुश था का पाठ किया तन्वी जोशी ने झर रे मेरे प्यार मधुर गीत प्रस्तुत किया संचालन शांतनु जोशी ने किया।
बहुत बड़ी क्रांति कर गई : आईआईएमसी के पूर्व डायरेक्टर डायरेक्टर
संजय द्विवेदी ने कहा की मालती जी बिना कोई क्रांति किए बहुत बड़ी क्रांति कर गई उसका परिणाम दिखाई दे रहा है। उनकी रचनाओं का स और समाज पर होता था अखबार उनकी रचनाओं को छापने के लिए आतुर रहते थे। साहित्यकार
ज्योति जैन मालती जोशी से जुड़ी अपनी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि वह बहुत ही सरल सहज और विराट लेखिका थीं। उन्होंने कहा कि मालती जी ने पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को बखूबी चित्रित किया।
Edited By: Navin Rangiyal, फोटो : धर्मेंद्र सांगले