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Last Updated : सोमवार, 15 मई 2023 (23:42 IST)

हरिवंश ने पुरानी पेंशन बहाली से श्रीलंका, पाकिस्तान सरीखे आर्थिक संकट के बारे में चेताया

हरिवंश ने पुरानी पेंशन बहाली से श्रीलंका, पाकिस्तान सरीखे आर्थिक संकट के बारे में चेताया - Harivansh warned about the restoration of old pension
इंदौर (मध्यप्रदेश)। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने की स्थिति में देश की आर्थिक बदहाली के खतरे की ओर सोमवार को आगाह किया। उन्होंने कहा कि 'सत्ता पाने के लिए' पुरानी पेंशन योजना पर लौटने की बात हो रही है, लेकिन समाज को बहस करनी चाहिए कि क्या ऐसे कदमों से भविष्य में देश में श्रीलंका और पाकिस्तान सरीखा भीषण आर्थिक संकट पैदा नहीं हो जाएगा?
 
हरिवंश, इंदौर की सामाजिक संस्था 'अभ्यास मंडल' की ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला के तहत 'नए दौर की चुनौतियां' विषय पर संबोधित कर रहे थे। गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पुरानी पेंशन योजना 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दी थी और इसके स्थान पर नई राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी।
 
हरिवंश ने कहा कि अब सत्ता पाने के लिए वापस पुरानी पेंशन योजना पर जाने की बात हो रही है, क्योंकि सरकारी कर्मचारी संगठित हैं और इस कारण यह एक बड़ा वोट बैंक है। उन्होंने मीडिया की खबरों में जताए गए अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि जिन 5 राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है, उनके सरकारी खजाने पर कुल मिलाकर 3 लाख करोड़ रुपए का बोझ बढ़ गया है।
 
हरिवंश ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने वाले राज्यों में शामिल राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि इस कदम से राजस्थान के कुल कर राजस्व का 56 प्रतिशत हिस्सा केवल 6 फीसदी सरकारी कर्मचारियों पर खर्च होगा।
 
उन्होंने देश में पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने पर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने के आशंकित दुष्परिणामों पर जोर देते हुए कहा कि ...तो क्या हम भविष्य में अपने देश में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी स्थितियां पैदा करना चाहते हैं? इस विषय पर समाज को बहस करनी चाहिए।
 
राज्यसभा के उपसभापति ने घंटेभर के अपने संबोधन के दौरान इस आवश्यकता पर भी बल दिया कि मौजूदा वक्त में समाज को नैतिक मूल्य अपनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को आत्ममंथन करना चाहिए कि आधुनिकता, प्रगति, उपभोक्तावाद, भौतिक भूख और 'दिल मांगे मोर' की लालसा ने आज हमें कहां पहुंचा दिया है?'(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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