शुक्रवार, 15 अगस्त 2025
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. स्वतंत्रता दिवस
  4. How Mughals emperors mistakes led to entry of Britishers in india
Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 14 अगस्त 2025 (16:10 IST)

कैसे मुगलों की गलतियों ने भारत को बना दिया अंग्रेजों का गुलाम? जानिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने कैसे जमाई अपनी जड़ें

How Mughals emperors mistakes led to entry of Britishers in india
How Mughals emperors mistakes led to entry of Britishers in india: भारतीय इतिहास में मुगल साम्राज्य का पतन और ब्रिटिश शासन का उदय एक ऐसी घटना है जिसने हमारे देश का भविष्य हमेशा के लिए बदल दिया। लेकिन क्या यह सिर्फ ब्रिटिशों की कूटनीति और सैन्य शक्ति का परिणाम था? इतिहास के पन्नों को पलटने पर पता चलता है कि मुगलों की कुछ रणनीतिक और ऐतिहासिक गलतियां भी थीं, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में अपने पैर जमाने का मौका दिया और अंततः हमें 200 साल की गुलामी में धकेल दिया। आइए, उन प्रमुख घटनाओं पर नजर डालते हैं

विलियम हॉकिन्स की कोशिश और जहांगीर की ऐतिहासिक गलती
ईस्ट इंडिया कंपनी की नजर 17वीं शताब्दी की शुरुआत से ही भारत के समृद्ध व्यापार पर थी। कंपनी लगातार मुगल दरबार में अपने दूत भेज रही थी, लेकिन शुरुआती सफलता नहीं मिल रही थी।
विलियम हॉकिन्स का आगमन: 1608 में, इंग्लैंड के राजा जेम्स-I का दूत विलियम हॉकिन्स भारत आया। वह अपने साथ राजा की एक चिट्ठी और कई कीमती तोहफे लेकर आया था।
जहांगीर का प्रभाव: मुगल बादशाह जहांगीर हॉकिन्स के आत्मविश्वास और अंग्रेजी भाषा के ज्ञान से प्रभावित हुआ। उसने हॉकिन्स को 400 मनसब और 'इंग्लिश खान' की उपाधि भी दी।
ऐतिहासिक गलती: हालांकि, पुर्तगालियों के दबाव के कारण हॉकिन्स तुरंत कोई व्यापारिक अधिकार हासिल नहीं कर पाया। लेकिन हॉकिन्स ने हार नहीं मानी। 1611 में, आखिरकार उसने जहांगीर को मना लिया, और मुगल बादशाह ने पहली बार ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत में अपनी फैक्ट्री (व्यापारिक कोठी) स्थापित करने की अनुमति दे दी। यह मुगल साम्राज्य की पहली बड़ी गलती थी, जिसने एक छोटे से व्यापारी समूह को भारत की जमीन पर पैर रखने का मौका दिया।

जहांआरा की आग और शाहजहां का एहसान
मुगलों की दूसरी बड़ी गलती का संबंध सम्राट शाहजहां और उनकी बेटी जहांआरा से है।
जहांआरा की त्रासदी: 1644 में, शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा भयानक रूप से आग में जल गई थी।
डॉक्टर बर्नियर का इलाज: कई हकीमों के इलाज से भी वह ठीक नहीं हो रही थी। तभी एक अंग्रेजी डॉक्टर, डॉक्टर बर्नियर, ने जहांआरा का इलाज किया और उसे पूरी तरह ठीक कर दिया।
मुफ्त व्यापार का तोहफा: शाहजहां, अपनी बेटी की जान बचाने के लिए डॉक्टर से बहुत खुश हुआ। उसने एहसान के बदले में अंग्रेजों को बंगाल, गुजरात और कोरोमंडल तट में बिना किसी प्रतिबंध या टैक्स के व्यापार करने की छूट दे दी। यह एक ऐसी सुविधा थी जिसने अंग्रेजों को भारत के सबसे धनी और उपजाऊ क्षेत्रों में अनियंत्रित व्यापार का मौका दे दिया।

बंगाल में व्यापार की अनुमति से बढ़ा आगे
शाहजहां द्वारा दी गई यह छूट ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए वरदान साबित हुई। बंगाल, जो उस समय व्यापार और कृषि का केंद्र था, अंग्रेजों के लिए एक नया गढ़ बन गया।
व्यापारिक शक्ति का विस्तार: अंग्रेजों ने इस छूट का फायदा उठाकर बंगाल में अपनी व्यापारिक गतिविधियों का तेज़ी से विस्तार किया। उन्होंने अपनी खुद की व्यापारिक सेनाएं बनानी शुरू कर दीं, और धीरे-धीरे वे एक व्यापारिक शक्ति से राजनीतिक और सैन्य शक्ति में तब्दील होने लगे।
मुगल साम्राज्य का पतन: जहां एक ओर मुगल दरबार आपसी कलह, कमजोर शासकों और भ्रष्टाचार में फँसा था, वहीं ईस्ट इंडिया कंपनी चुपचाप अपनी शक्ति बढ़ा रही थी। 1757 में प्लासी की लड़ाई और 1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद, अंग्रेजों ने बंगाल पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और भारत में ब्रिटिश राज की नींव रख दी।

यह कहना गलत नहीं होगा कि मुगलों की कुछ गलतियों ने अंग्रेजों को भारत में पैर जमाने और फिर राज करने का मौका दिया। जहांगीर का हॉकिन्स को व्यापार की अनुमति देना और शाहजहां का एहसान चुकाने के लिए अंग्रेजों को टैक्स में छूट देना, ये दोनों ही फैसले भारत के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुए। इन फैसलों ने एक व्यापारिक कंपनी को भारत की संप्रभुता पर हावी होने का रास्ता दिखा दिया, जिसकी कीमत देश को 200 साल की गुलामी से चुकानी पड़ी।

ये भी पढ़ें
पाक पीएम शरीफ ने की पाकिस्तान में नई आर्मी रॉकेट फोर्स के गठन की घोषणा