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होली रे होली
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समीर इन्दौरी होली का हुड़दंग हैयहाँ-वहाँ सब दूर। छोटे-बड़े सब बन गएरंगारंग लंगूर।कॉलोनी की भाभियाँकॉलोनी के देवर,रंगधार बरसा रहेपिचकारी ले-लेकर।कसी-कसी-सी सेक्रेटरीफँसी-फँसी-सी ड्रेस,देख-देखकर हो रहेबॉस बड़े इंप्रेस।बोले - सजनी! होली पररहेगा दफ्तर क्लोज,पर तुम छम् से आ जानाखूब करेंगे मौज।सेक्रेटरी ने कहा - 'रंग काशौक नहीं अलबत्ता,फिर भी सोचूँगी, यदि मिलेमोटा-सा होली-भत्ता।'