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Written By WD

रोटी की समस्या

हरिशंकर परसाई की लघुकथा

रोटी की समस्या -
NDND
प्रजातंत्र के राजा ने जहाँगीर की तरह अपने महल के सामने एक जंजीर लटका रखी थी। घोषणा करवा दी थी कि जिसे फरियाद करना हो, वह जंजीर खींचे, राजा साहब खुद फरियाद सुनेंगे।

एक दिन अत्यंत दुबला, कमजोर आदमी लड़खड़ाता वहाँ आया और उसने निर्बल हाथों से जंजीर खींची। प्रजातंत्र का राजा तुरंत महल की बालकनी पर आया और बोला-'फरियादी, क्या चाहते हो?'

फरियादी बोला-'राजा तेरे राज में हम भूखे मर रहे हैं। हमें अन्न का दाना नहीं मिलता। मुझे रोटी चाहिए। मैंने कई दिनों से अन्न नहीं खाया। मैं रोटी माँगने आया हूँ।'

राजा ने बड़ी सहानुभूति से कहा-'भाई तेरे दुख से मेरा हृदय द्रवित हो गया है। मैं तेरी रोटी की समस्या पर आज ही एक उपसमिति बिठाता हूँ। पर तुझसे मेरी एक प्रार्थना है-उपसमिति की रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले तू मरना मत।'