15 अगस्त पर लघु कथा : खुशी के फूल
- विजय सिंह चौहान
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर, गीत तन-मन में ओज भर रहा था। रंगीन गुब्बारों, देशभक्ति के गीत और लड्डू की मिठास के बीच बच्चों का उत्साह भी चरम पर था।
बच्चे, परिजन व विद्यालयीन स्टॉफ के बीच चर्चा का विषय गरम था कि मुख्य अतिथि कही नजर नही आ रहे।
आंखे अतिथि को तलाश रही थी कि कुछ ही देर में गर्वित स्वर माधुर्य में परिवर्तित हो उठा....
आज के गरिमामय अवसर पर हमारे बीच उपस्थित है, सभी के चहेते, सेवाभावी, कर्मठ, बच्चों का, बगिया का ख्याल रखने वाले, पर्यावरण हितैषी हमारे माली काका। माली काका का नाम सुनते ही सारे बच्चे झूम उठे, तालियों ने गगन चूमते हुए माली काका को ससम्मान स्टेज तक पहुंचाया।
बच्चों का प्यार, सम्मान से अभिभूत माली काका की आंखें गर्व से झलझला रही थी, वही बच्चे सुनना चाह रहे थे, मुख्य अतिथि के मन की बात।