गुरुवार, 17 जुलाई 2025
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Written By WD

नदी का जन्म होता

नदी श्रृंखला की कविताएँ-5

नदी जन्म नदी श्रृंखला की कविताएँnadi janmप्रेमशंकर रघुवंशी नर्मदा
प्रेमशंकर रघुवंशी
WDWD
कोई भी पहाड़ी

सीझती सिहरती

तो किसी न किसी

नदी का जन्म होता

देखे हैं हमने -

सतपुड़ा और अमरकंटक की

पहाड़ियों से अपने गाँव की

कंदेली और नर्मदा के उद्‍गम

और हर नदी के जन्म की

कोई न कोई कथा करुणा के

रोमांच में डूबी होती

चाहे वह कालो रानी के आँसुओं से

भरी कंदेली हो या

शोणभद्र और जोहला के छल से

चोट खाई नर्मदा

और इन सबसे परे

कूल-कछारों-मैदानों में जीवन रस भरती

रपटीली फिसलन के साथ

लहराती बल खाती मिलनातुर नदियाँ

दौड़ती जा रहीं वहाँ

जहाँ लहरों की अनंत बाँहें फैलाए

संगमन को खड़ा है नदीश!!

साभार:पहल