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दस्तूर के मुताबिक
अनन्त मिश्र डरे हुए लोगडरी हुई बस्ती मेंडरे-डरे आएडरे-डरे रहेऔर एक-एक कर चलते बनेमैं आयाउसी बस्ती मेंलोगों को जगायाऔर डरने से बचने के लिएमैंने बहुत समझाया,पर डरे हुए लोगों नेमुझे भी बहुत डरायाऔर इतना डराया कि कि मैं उनमें शरीक हो गया।अब वे आश्वस्त हैं और मैं डर-डर कर जी रहा हूँदुनिया के दस्तूर के मुताबिक। साभार : दस्तावेज