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वसंत ऋतु पर कविता : अबकि जो आएगा वसंत

वसंत ऋतु पर कविता : अबकि जो आएगा वसंत - Vasant Panchami Poem
अबकि जो आएगा वसंत
मैं जोगी को म ना लूंगी 
महुआ बन बस जाऊंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
डायरी में, फूलों सा संभाल रखूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
मेहंदी के पत्तों सा 
हाथों में रचाऊंगी 
अबकि जो आएगा वसंत 
फूलों की सजी डोलियां 
अपने आंगन उतारूंगी 
रंग जादुई चुरा 
माथे सिंदूरी चुंबन सजाऊंगी 
खुशनुमा चंदन ले उधार
इतर बना सहेजूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
यादों की कश्ती में 
खामोशी का दरिया पार करुंगी 
अबकि जो आएगा वसंत 
चांद की परछाई 
बदन में उतार लूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
मैं जोगी को मना लूंगी 
महुआ बन बस जाऊंगी