नवीन रांगियाल की कविता : पेशाब
इंदौर के युवा कवि और लेखक नवीन रांगियाल द्वारा यह कविता मध्यप्रदेश के सीधी में आदिवासी युवक पर पेशाब करने की घटना पर लिखी गई है। इस शर्मनाक घटना से प्रदेश में हर कोई हतप्रद हैं। नवीन इंदौर से संचालित वेबदुनिया डॉट कॉम में असिस्टेंट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं। हाल ही में उनका कविता संग्रह इंतजार में आ की मात्रा सेतु प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ है।
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दीवारें भीग गई हैं पेशाब से
शौचालय डूब गए हैं
अख़बार गल गए
अस्पतालों में है पेशाब की बू
पेशाब से खत्म हुए जंगल
नदियों में बहता है आदमी का पेशाब
रेल और बसों से टपकता है पेशाब
घांस में पेशाब है
खेत में पेशाब है
गांव में पेशाब
शहर में नहर में पेशाब है
ख्याल और स्वप्न में पेशाब है
हमारी शराब में पेशाब है
फूल भी पेशाब हैं
राजनीति पेशाब है
समाज में घुल गया पेशाब
समाज का नाम पेशाब है
गिरेबां से आती है पेशाब की बू
पेशाब करने वाला आदमी हो गया पेशाब
जिस पर किया पेशाब वो भी हुआ पेशाब
कहीं बची नहीं पेशाब करने की जगह
आदमी के मुंह से निकलता है
आदमी के मुंह पर गिरता है पेशाब
#औघटघाट