सोमवार, 28 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Poem
Written By WD

ख्वाब कोई इधर का रुख करता

गजल
ठाकुर दास 'सिद्ध'
 
दर्द का कुछ असर नहीं होता,
दर्द होता है पर नहीं होता।
 
याद अपनी उसे नहीं आती,
इतना तो बेखबर नहीं होता।
 
लोग होते न यां दरिंदे गर, 
रास्ता पुरखतर नहीं होता।

जो न घर पर ये आसमां गिरता,
आदमी दर-ब-दर नहीं होता।
 
रोज होते हैं यां महल रोशन,
एक अपना ही घर नहीं होता।
 
हौंसला साथ गर नहीं देता,
ये अकेले सफर नहीं होता।
 
ख्वाब कोई इधर का रुख करता,
दर्द गर रात भर नहीं होता।
 
'सिद्ध' दुश्मन खड़ा नहीं रहता,
या कि अपना ये सर नहीं होता।
ये भी पढ़ें
हिन्दी कविता : निशा