अवधेश कुमार
जिन लोगों ने अगस्ता वीवीआईपी हेलिकॉप्टर दलाली मामले पर नजर रखी है, उनके लिए सीबीआई द्वारा पूर्व वायुसेना प्रमुख एअर मार्शल एसपी त्यागी सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी कतई अस्वाभाविक नहीं है। उनके साथ गिरफ्तार गौतम खेतान को तो प्रवर्तन निदेशालय ने दो वर्ष पहले भी गिरफ्तार किया था और वे जमानत पर थे। एसपी त्यागी के चचेरे भाई संजीव त्यागी उर्फ जूली त्यागी के कई फ्लैटों को प्रवर्तन निदेशालय ने दलाली के धन से खरीदे जाने का आरोप लगाकर पहले ही जब्त कर रखा है। हालांकि इस मायने में यह असाधारण घटना है, क्योंकि पहली बार हमारे देश में सेना के तीनों अंगों में से किसी के पूर्व प्रमुख को गिरफ्तार किया गया है वह भी भ्रष्टाचार के आरोप में।
सेना का हमारे देश में जितना सम्मान है उसमें सामान्य तौर पर यह विश्वास करना कठिन है कि इतने उंचे स्तर का कोई सैन्य अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हो सकता है। लेकिन सीबीआई कह रही है कि त्यागी और उनके वकील गौतम खेतान, संजीव त्यागी उर्फ जूली ने पैसा लिया और दूसरों को गैरकानूनी तरीके अपनाने का लालच दिया। ये वाकई भ्रष्ट हैं कि नहीं, इन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में दलाली ली या नहीं इसका अंतिम फैसला तो न्यायालय करेगा, लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि इस सौदे में घूसखोरी और दलाली हुई। इस समय इनको आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना है।
सीबीआई पूरे हेलिकॉप्टर सौदे में अब 452 करोड़ की घूसखोरी की बात कर रही है। पहले हमारे सामने करीब 362 करोड़ दलाली और घूसखोरी की बात थी। इसी साल 8 अप्रैल को इटली की मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स ने फिनमेकेनिका के पूर्व प्रमुख गिसेप ओरसी को साढ़े चार साल तथा फिनमेकेनिका के लिए हेलिकॉप्टर बनाने वाली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ बृ्नो स्पेग्नोलिनी को भी चार साल जेल की सजा सुनाई। दोनों को अनुषंगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के जरिए भारत से 3565 करोड़ रुपए के 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों के सौदे में भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया। ओरसी व स्पेग्नोलिनी दोनों पर भारत से सौदे के लिए अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार व झूठे बिल देने के आरोप लगे थे। अगर इटली के उच्च न्यायालय ने इस सौदे में दलाली के आरोप में हेलिकॉप्टर बेचने वाली तथा बनाने वाली दोनों कंपिनयों के पूर्व प्रमुखों को भ्रष्टाचार का दोषी माना तो फिर हम यह तो नहीं ही कह सकते कि यह सौदा बिल्कुल पाक-साफ था।
ध्यान रखिए, मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स ने अपने फैसले में स्पष्ट माना है कि इस सौदे के दौरान हुए भ्रष्टाचार में पूर्व नौसेना प्रमुख एस पी त्यागी शामिल थे। 225 पन्नों के अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि जांच में यह बात साबित हो गई है कि सौदे में भारतीय अधिकारियों को घूस दिए गए। अदालत के फैसले के 17 पन्नों में पूर्व नौसेना प्रमुख एसपी त्यागी की घोटाले में भूमिका के विवरण हैं। फैसले के अनुसार त्यागी के परिवार को घूस के पैसे नकद और वायर के जरिए दिए गए। इसमें त्यागी के तीन रिश्तेदार शामिल थे, जिनमें से एक खुद सेना का अधिकारी था। अदालत ने कहा कि वायुसेनाध्यक्ष रहते हुए त्यागी ने अगस्ता वेस्टलैंड के कई अधिकारियों से मुलाकात की थी। अदालत के अनुसार त्यागी ने हेलिकॉप्टर की विशेषताओं खासकर उड़ान की ऊंचाई को कम करने में भूमिका निभाई। शुरुआत में हेलिकॉप्टर की उड़ान सीमा 6000 मीटर थी जिसे बाद में घटाकर 4500 मीटर कर दिया गया था। इसी वजह से अगस्ता वेस्टलैंड सौदे की दौड़ में शामिल हुई। इसके बिना हेलिकॉप्टर बोली के योग्य नहीं होते।
हालांकि त्यागी का तर्क था कि उनके कार्यकाल के दौरान एक भी हेलिकॉप्टर जब आया नहीं तो वे उसमें शामिल कैसे हुए। लेकिन जब इटली की उच्च स्तरीय अदालत अपने यहां की छानबीन के आधार पर ऐसा मान चुकी है तो फिर हम कैसे नकार सकते हैं। हालांकि इटली के न्यायालय के फैसले के आधार पर हम किसी को न गिरफ्तार कर सकते हैं न सजा दे सकते हैं। तभी तो सीबीआई ने उस फैसले के बाद इतना समय लिया है। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय एवं सीबीआई दोनों ने पूरी छानबीन की है। 2007 में सेवानिवृत्ति के बाद एसपी त्यागी ने 2008 और 2009 में इटली के तीन शहरों फ्लोरेंस, मिलान और वेनिस की यात्रा की। पूर्व वायुसेनाध्यक्ष आखिर वहां क्यों गए थे? जांच एजेंसी का मानना है कि इन यात्राओं का मुख्य उद्देश्य निश्चित रूप से अगस्ता वेस्टलैंड सौदे से जुड़ा था। सीबीआई ने यह जानने की कोशिश की कि क्या त्यागी इटली की यात्राओं के दौरान इस सौदे के बिचौलियों गाइडो हश्के और कार्ला गेरोसा से भी मिले थे अथवा नहीं। इन दोनों से त्यागी 2004 से 2007 के बीच भारत में सात बार मिल चुके थे। 2004 में अगस्ता वेस्टलैंड की कंपनी का प्रतिनिधिमंडल पहली बार त्यागी से मिला था, उस समय वह उप वायुसेना अध्यक्ष थे। प्रतिनिधिमंडल में हश्के और गेरोसा भी शामिल थे। 31 दिसंबर 2004 को एसपी त्यागी के वायुसेनाध्यक्ष बनने के बाद जनवरी, 2005 में बिचौलियों गाइडो हश्के और कार्लो गेरोसा त्यागी से फिर मिले। त्यागी ने एक माह बाद बेंगलुरु में एक एयर शो के दौरान इन दोनों से फिर मुलाकात की। इस शो में अगस्ता को भी एक स्टॉल दी गई थी। 2006 में त्यागी इन दोनों से अपने संबंधी के दिल्ली स्थित घर में मिले। यही नहीं जैसा प्रवर्तन निदेशालय एवं सीबीआई कह रही है एसपी त्यागी सेवानिवृति के दो साल बाद विदेशी धन मिलने का संतोषजनक जबाव नहीं दे पाए। सीबीआई के अनुसार एसपी त्यागी के खाते में हेलिकॉप्टर सौदा होने के पहले 2009 में विदेशी धन आए थे। इससे एसपी त्यागी की ओर संदेह की सूई जाती है।
ध्यान रखिए, इटली की अदालत ने फैसले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सिन्योरा गांधी यानी सोनिया गांधी, अहमद पटेल, ऑस्कर फर्नांडिस....जैसे नेताओं का नाम लिया था। अदालत ने यूपीए सरकार की भूमिका की भी तीखी आलोचना की थी। अदालत के अनुसार दलाली सामने आने के बावजूद तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस हेलिकॉप्टर दलाली के पीछे की सच्चाई का पता लगाने की न कोशिश की और न ही जांचकर्ताओं को संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराए, भारत के रक्षा मंत्रालय ने तथ्यों को सामने लाने में लापरवाही की। इससे तत्कालीन सरकार की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ जाती है।
अदालत के अनुसार, मामले के मुख्य आरोपी ने इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री मारियो मोंटी की ओर से भारत के समकालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात करने की कोशिश भी की थी। अदालत ने इसके पीछे गिसेप ओरसी की ओर से जेल से मार्च 2013 में हाथ से लिखे गए एक पत्र को सामने रखा जिसमें लिखा गया था कि मेरे नाम मोंटी या टेरासिआनो को कॉल करें और उनसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बात करने को कहें। हालांकि यूपीए सरकार ने 1 जनवरी 2014 को सौदा रद्द कर सीबीआई को जांच भी सौंप दिया था लेकिन तब हुआ कुछ नहीं। मोदी सरकार ने ही जुलाई 2014 में प्रवर्तन निदेशालय को जांच में शामिल किया। घोटाले में मनी लांड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली व उसके आसपास त्यागी के परिजनों के पांच महंगे फ्लैट जब्त कर लिए। सीबीआई ने भी जांच का विस्तार कर कार्लो गेरोसा, क्रिस्टिन मिशेल, गाइडो हाश्के व चार कंपनियों-फिनमैकेनिका अगस्ता वेस्टलैंड व चंडीग़़ढ की आईडीएस इंफोटेक एंड एअरोमेट्रिक्स तथा मॉरिशस व ट्यूनीशिया की दो कंपनियों समेत कुछ अन्य फर्म व अज्ञात लोगों के खिलाफ जांच आरंभ किया। रिश्वत की रकम को भारत में लाने में चंडीगढ़ की कंपनी एयरोमैट्रिक्स ने अहम भूमिका निभाई थी। गौतम खेतान एयरोमैट्रिक्स के निदेशक मंडल में शामिल थे।
हां, जब 2010 में अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ वायुसेना के एलिट कम्युनिकेशन स्क्वाएड्रन के लिए इस एडब्ल्यू-101 वीवीआइपी हेलीकॉप्टरों की खरीद का सौदा किया था उस समय त्यागी सेवानिवृत्त हो चुके थे। लेकिन सौदा यूपीए 1 के काल में हुआ जब वे थे। इनमें से तीन हेलिकॉप्टर की आपूर्ति भी हो गई। इन्हें वायुसेना के संचार स्क्वॉड्रन को सौंप दिया गया, जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य बड़ी हस्तियों को हेलिकॉप्टर के जरिए लाने-ले जाने की जिम्मेदारी संभालती है। बाकी नौ हेलिकॉप्टर मार्च, जून और सितंबर 2013 में भारत को आपूर्ति किए जाने थे। अगर इटली में जांच नहीं होती तो हमारे यहां पता भी नहीं चलता कि इसमें दलाली दी और ली गई है। इटली में कई कंपनियों पर ठेके या सौदे के लिए घूस देने के आरोपों की जांच चल रही थी। इस सौदे में गड़बड़ी के आरोप काफी पहले लगे थे और 2011 से ही इटली सरकार फिनमैकेनिका के दुनिया भर में हुए सौदों की जांच पड़ताल कर रही थी। इसी के तहत फिनमैकेनिका एयरोस्पेस डिफेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिसेप ओरसी की गिरफ्तारी तथा अगस्ता-वेस्टलैंड के प्रमुख ब्रुनो स्पैग्नोलिनी की नजरबंदी हुई। इसी मामले में अक्टूबर 2012 में स्विट्जरलैंड पुलिस ने गुइडो राल्फ हाशके नामक कंसल्टेंट को गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में जो खुलास किया सारा मामला वहां से सामने आने लगा। इस हेलिकॉप्टर में दलाली तो पहले ही प्रमाणित हो गया था जिसकी जानकारी तब की सरकार को थी।