• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. आलेख
  4. vama sahitya manch Krishna sobti
Written By

वामा साहित्य मंच में कथाकार कृष्णा सोबती के रचनाकर्म पर चर्चा

वामा साहित्य मंच में कथाकार कृष्णा सोबती के रचनाकर्म पर चर्चा - vama sahitya manch Krishna sobti
वर्ष 2017 अंतिम मुहाने पर खड़ा है और इस वर्ष साहित्य संसार अपनी कई उपलब्धियों पर इठला रहा है। इन सबके बीच वामा साहित्य मंच ने प्रखर उपन्यासकार कृष्णा सोबती की रचनाधर्मिता पर चर्चा की। साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2017 का 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्दी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर कृष्णा सोबती को प्रदान किए जाने की घोषणा हुई है। इसलिए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा समीचीन थी। 
 
कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास 'जिंदगीनामा' के लिए वर्ष 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उन्हें 1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान साहित्य अकादमी फैलोशिप से नवाजा गया था। कृष्णा सोबती की प्रमुख रचनाओं में ज़िन्दगीनामा, ऐ लड़की, मित्रो मरजानी और जैनी मेहरबान सिंह शामिल है। 
 
इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता शामिल सुविख्यात लेखिका डॉ मीनाक्षी स्वामी ने कृष्णा सोबती की लेखन शैली और पात्रों के माध्यम से उनकी साहसी लेखनी पर विस्तृत चर्चा की। अध्यक्षा पद्मा राजेन्द्र ने कृष्णा सोबती पर अपनी बात रखी। लेखिका शांता पारेख तथा मृणालिनी घुले ने भी विचार व्यक्त किए। 
 
इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल शहर की प्रथम नागरिक व महापौर श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ का वामा साहित्य मंच की तरफ से सम्मान किया जाना था। इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर का गौरव दिलवाने वाली श्रीमती गौड़ के अभिनंदन-पत्र का वाचन स्मृति आदित्य ने किया। व्यस्तताओं के चलते हालांकि मालिनी जी उपस्थित न हो सकी, उनके संदेश का वाचन सचिव ज्योति जैन ने किया। 
 
अतिथि के करकमलों से वामा साहित्य मंच द्वारा प्रकाशित रचना संग्रह 'मैं क्या हूं' का विमोचन किया गया। इस संग्रह में मंच की समस्त सदस्याओं ने अपने मन की रचनात्मक प्रस्तुति दी है और स्वयं को पहचान कर स्वयं के लिए कोमल अभिव्यक्ति रची है। 
आरंभ में सरस्वती वंदना दिव्या मंडलोई ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का मधुर संचालन अंतरा करवड़े ने किया। अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र तथा सचिव ज्योति जैन ने किया।